जसप्रीत बुमराह (टीम इंडिया के तेज गेंदबाज, फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्रिकेट के इतिहास में गिनती के ही ऐसे गेंदबाज हुए हैं, जो गेंद फैंकने से पहले ही बल्लेबाज को 'झुला' देते हैं! इन्हीं गेंदबाजों में से एक हैं भारतीय युवा सीमर और दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए पहली बार टेस्ट टीम में जगह हासिल करने वाले जसप्रीत बुमराह. और बुमराह इस काम को अंजाम देते हैं अपने 'अनोखे गेंदबाजी एक्शन' से. उनके इस एक्शन से बल्लेबाजों के गच्चा खा जाने के पीछे छिपी वजह का खुलासा किया है पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने. बुधवार को बुमराह का जन्मदिन था और वह 24 साल के हो गए हैं. उनके जीवन से जुड़ी खास बातें जानिए. साथ ही उनके बॉलिंग एक्शन के बल्लेबाजों को डॉज देने का राज भी जानिए, जिसका खुलासा कुछ समय पहले आकाश चोपड़ा ने किया था.
'इस ट्रेनिंग' से पैदा हुई रुचि!
जब बुमराह 12 साल के थे, तो घर के भीतर ही गेंद के साथ खेला करते थे. दोपहर में जब बाहर गर्मी बहुत ज्यादा होती होती थी, तो उनकी मां दलजीत को चिंता रहती थी कि कहीं वह बाहर खेलने न निकल जाएं. ऐसे में मां ने बुमराह को इस शर्त पर घर के भीतर खेलने की इजाजत दी कि वह ज्यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे जिससे वह आराम से सो सकें. इस पर जसप्रीत ने खेलने का नया तरीका निकाला. इससे वह फर्श पर गेंद को लगातार हिट गिया करते थे. इससे फर्श से टकराकर गेंद वापस उनकी ओर आती थी और इससे शोर कम होता था. जसप्रीत इसी बात में खुश थे कि उन्हें कम से कम क्रिकेट खेलने को तो मिल रहा था. लेकिन मां और बेटे दोनों की ही नहीं पता था कि यह ट्रेनिंग भारतीय टीम में उनके प्रवेश को जन्म दे देगा.
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मां को मना ही लिया बुमराह ने
जसप्रीत जब 14 साल के थे, तो उन्होंने अपनी मां से गेंदबाज बनने की इच्छा जाहिर की. अकेली मां और स्कूल टीजर की जिम्मेदारी होने के कारण शुरू में मां दलजीत की बेटे को क्रिकेटर बनाने की इच्छा नहीं थी. लेकिन जसप्रीत ने मां से उनमें भरोसा रखने को कहा. इस पर मां दलजीत ने बेटे को अपने सपनों की उड़ान भरने की इजाजत दे दी.
बहुत ज्यादा रहा संघर्ष
जसप्रीत के परिवार को कई उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ा. इस सीमर के पिता जसबीर बुमराह का हेपेटाइट्स बी की बीमारी के कारण निधन हो गया था. तब जसप्रीत सिर्फ सात साल के थे. ऐसे में उनकी मां दलजीत ने अकेले उनका और बहन जुहिका का पालन-पोषण किया. वह उसी प्राइमरी स्कूल में टीजर थीं, जहां जसप्रीत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की.
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आकाश चोपड़ा ने खोला 'अनोखे एक्शन के पीछे का राज़' !
जसप्रीत ने अपने अनोखे एक्शन के कारण शुरुआत से ही हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा. जसप्रीत का एक्शन भी श्रीलंकाई तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा की तरह ही अनोखा था. इसी एक्शन ने टीम इंडिया के सेलेक्टरों का भी ध्यान खींचा. बहरहाल, भारतीय पूर्व क्रिकेटर और नामी कमेंटेटर आकाश चोपड़ा इस एक्शन के राज़ पर से पर्दा हटाते हुए कहते हैं कि बुमराह अनोखे एक्शन वाले भारत के उन गेंदबाजों में से हैं, जिन्हें उंगली पर गिना जा सकता है. वह कहते हैं कि बल्लेबाज गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटने के लिए तब तैयारी करना शुरू करते हैं, जब वे नॉन बॉलिंग आर्म (वह हाथ, जिसमें गेंद नहीं होती) को देखते हैं. आकाश कहते हैं कि किसी भी सामान्य गेंदबाज के दोनों हाथ मिलाकर किसी साइकिल के पैंडल की तरह काम करते हैं. एक पैंडल ऊपर जाता है, तो दूसरा इसके बाद ऊपर आता है. लेकिन बुमराह के मामले में उनका नॉन-बॉलिंग आर्म कभी आगे आता ही नहीं है.
VIDEO : विराट कोहली की टीम के बारे में कुछ खास कह रहे हैं गावस्कर
आकाश कहते हैं कि इससे उनके नीचे के हिस्से की हरकत देरी से होती है और इसे बमुश्किल ही बल्लेबाज द्वारा पढ़ा जा सकता है. इससे बल्लेबाज को बिना किसी तैयारी के ही बुमराह का दायां हाथ गेंद डिलीवर कर देता है. आकाश कहते हैं कि यही कारण है कि जसप्रीत बुमराह वास्तविक स्थिति के मुकाबले तेज दिखाई पड़ते हैं.
He holds the record for the most T20I wickets in a calendar year with 28 in 2016 - Happy 24th Birthday to India's @Jaspritbumrah93!
— ICC (@ICC) December 6, 2017
Does anyone bowl a better yorker? pic.twitter.com/8XBdbESxHq
'इस ट्रेनिंग' से पैदा हुई रुचि!
जब बुमराह 12 साल के थे, तो घर के भीतर ही गेंद के साथ खेला करते थे. दोपहर में जब बाहर गर्मी बहुत ज्यादा होती होती थी, तो उनकी मां दलजीत को चिंता रहती थी कि कहीं वह बाहर खेलने न निकल जाएं. ऐसे में मां ने बुमराह को इस शर्त पर घर के भीतर खेलने की इजाजत दी कि वह ज्यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे जिससे वह आराम से सो सकें. इस पर जसप्रीत ने खेलने का नया तरीका निकाला. इससे वह फर्श पर गेंद को लगातार हिट गिया करते थे. इससे फर्श से टकराकर गेंद वापस उनकी ओर आती थी और इससे शोर कम होता था. जसप्रीत इसी बात में खुश थे कि उन्हें कम से कम क्रिकेट खेलने को तो मिल रहा था. लेकिन मां और बेटे दोनों की ही नहीं पता था कि यह ट्रेनिंग भारतीय टीम में उनके प्रवेश को जन्म दे देगा.
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मां को मना ही लिया बुमराह ने
जसप्रीत जब 14 साल के थे, तो उन्होंने अपनी मां से गेंदबाज बनने की इच्छा जाहिर की. अकेली मां और स्कूल टीजर की जिम्मेदारी होने के कारण शुरू में मां दलजीत की बेटे को क्रिकेटर बनाने की इच्छा नहीं थी. लेकिन जसप्रीत ने मां से उनमें भरोसा रखने को कहा. इस पर मां दलजीत ने बेटे को अपने सपनों की उड़ान भरने की इजाजत दे दी.
बहुत ज्यादा रहा संघर्ष
जसप्रीत के परिवार को कई उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ा. इस सीमर के पिता जसबीर बुमराह का हेपेटाइट्स बी की बीमारी के कारण निधन हो गया था. तब जसप्रीत सिर्फ सात साल के थे. ऐसे में उनकी मां दलजीत ने अकेले उनका और बहन जुहिका का पालन-पोषण किया. वह उसी प्राइमरी स्कूल में टीजर थीं, जहां जसप्रीत ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की.
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आकाश चोपड़ा ने खोला 'अनोखे एक्शन के पीछे का राज़' !
जसप्रीत ने अपने अनोखे एक्शन के कारण शुरुआत से ही हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा. जसप्रीत का एक्शन भी श्रीलंकाई तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा की तरह ही अनोखा था. इसी एक्शन ने टीम इंडिया के सेलेक्टरों का भी ध्यान खींचा. बहरहाल, भारतीय पूर्व क्रिकेटर और नामी कमेंटेटर आकाश चोपड़ा इस एक्शन के राज़ पर से पर्दा हटाते हुए कहते हैं कि बुमराह अनोखे एक्शन वाले भारत के उन गेंदबाजों में से हैं, जिन्हें उंगली पर गिना जा सकता है. वह कहते हैं कि बल्लेबाज गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटने के लिए तब तैयारी करना शुरू करते हैं, जब वे नॉन बॉलिंग आर्म (वह हाथ, जिसमें गेंद नहीं होती) को देखते हैं. आकाश कहते हैं कि किसी भी सामान्य गेंदबाज के दोनों हाथ मिलाकर किसी साइकिल के पैंडल की तरह काम करते हैं. एक पैंडल ऊपर जाता है, तो दूसरा इसके बाद ऊपर आता है. लेकिन बुमराह के मामले में उनका नॉन-बॉलिंग आर्म कभी आगे आता ही नहीं है.
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आकाश कहते हैं कि इससे उनके नीचे के हिस्से की हरकत देरी से होती है और इसे बमुश्किल ही बल्लेबाज द्वारा पढ़ा जा सकता है. इससे बल्लेबाज को बिना किसी तैयारी के ही बुमराह का दायां हाथ गेंद डिलीवर कर देता है. आकाश कहते हैं कि यही कारण है कि जसप्रीत बुमराह वास्तविक स्थिति के मुकाबले तेज दिखाई पड़ते हैं.
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