शशांक मनोहर (फाइल फोटो)
मुंबई:
शशांक मनोहर बीसीसीआई के 36वें बॉस बन गए हैं। जगमोहन डालमिया की मौत के बाद 2017 तक दावेदारी ईस्ट जोन की ही थी, लेकिन 2012 में बोर्ड के संविधान में संशोधन हुआ था। तब ये तय हुआ था कि जिस जोन की बारी है, अगर वहां से एक प्रस्तावक और अनुमोदक मिल जाए तो फिर किसी भी एसोसिएशन से अध्यक्ष बन सकता है, लेकिन अब मांग ये उठने लगी है कि इस पूरे जोनल रोटेशनल सिस्टम को ही बदल दिया जाए।
बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने के बाद एनडीटीवी के सवाल पर शशांक मनोहर ने कहा, 'बोर्ड इतनी बड़ी संस्था है कि ये बड़ी कंपनी से भी बड़ी है, इसलिए जो सबसे बेहतरीन है उसे ही बोर्ड का मुखिया होना चाहिए।' बोर्ड के कई पूर्व पदाधिकारियों को भी लगता है कि अब इस पूरे जोनल रोटेशनल सिस्टम को ही बदल देना चाहिए। बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने कहा, 'मेरा व्यक्तिगत मत है कि जिस तरह बोर्ड का सचिव किसी भी एसोसिएशन से हो सकता है, बोर्ड अध्यक्ष के लिए भी यही नियम होना चाहिए।'
बीसीसीआई में अध्यक्ष पद के लिए हर जोन को एक-एक कर मौका दिया जाता है, साउथ जोन से श्रीनिवासन के बाद बारी थी ईस्ट जोन की। 2012 में बोर्ड के संविधान में संशोधन हुआ था तो ये तय हुआ था कि जिस जोन की बारी है, अगर वहां से एक प्रस्तावक और अनुमोदक मिल जाए तो फिर किसी भी एसोसिएशन से अध्यक्ष बन सकता है, ये माना गया कि ये बदलाव अरुण जेटली के लिए किया गया, ताकि वो 6 साल तक अध्यक्ष बन रह सकें।
चूंकि ईस्ट के बाद बारी नॉर्थ जोन की है, लेकिन बाद में ये खबर गलत साबित हुई और ईस्ट जोन से जगमोहन डालमिया अध्यक्ष बन गए। डालमिया की मौत के बाद ईस्ट जोन के सारे सदस्यों ने ऑन रिकॉर्ड शशांक मनोहर का समर्थन तो कर दिया, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड अपनी नाराज़गी भी जताने से नहीं चूके।
बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने के बाद एनडीटीवी के सवाल पर शशांक मनोहर ने कहा, 'बोर्ड इतनी बड़ी संस्था है कि ये बड़ी कंपनी से भी बड़ी है, इसलिए जो सबसे बेहतरीन है उसे ही बोर्ड का मुखिया होना चाहिए।' बोर्ड के कई पूर्व पदाधिकारियों को भी लगता है कि अब इस पूरे जोनल रोटेशनल सिस्टम को ही बदल देना चाहिए। बोर्ड के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने कहा, 'मेरा व्यक्तिगत मत है कि जिस तरह बोर्ड का सचिव किसी भी एसोसिएशन से हो सकता है, बोर्ड अध्यक्ष के लिए भी यही नियम होना चाहिए।'
बीसीसीआई में अध्यक्ष पद के लिए हर जोन को एक-एक कर मौका दिया जाता है, साउथ जोन से श्रीनिवासन के बाद बारी थी ईस्ट जोन की। 2012 में बोर्ड के संविधान में संशोधन हुआ था तो ये तय हुआ था कि जिस जोन की बारी है, अगर वहां से एक प्रस्तावक और अनुमोदक मिल जाए तो फिर किसी भी एसोसिएशन से अध्यक्ष बन सकता है, ये माना गया कि ये बदलाव अरुण जेटली के लिए किया गया, ताकि वो 6 साल तक अध्यक्ष बन रह सकें।
चूंकि ईस्ट के बाद बारी नॉर्थ जोन की है, लेकिन बाद में ये खबर गलत साबित हुई और ईस्ट जोन से जगमोहन डालमिया अध्यक्ष बन गए। डालमिया की मौत के बाद ईस्ट जोन के सारे सदस्यों ने ऑन रिकॉर्ड शशांक मनोहर का समर्थन तो कर दिया, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड अपनी नाराज़गी भी जताने से नहीं चूके।
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