
अब यह तो आप जानते ही हैं हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (Usman Khwaja's act) को आईसीसी से कैसी पटकार लगी है, लेकिन यह बल्लेबाज है ही मान ही नहीं रहा. अब ICC ने इस लेप्टी बल्लेबाज के गाजा में चल रहे यद्ध के प्रति जागरुकता फैलाने के प्रयास तहत किए गए आवेदन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. दरअसल उस्मान ख्वाजा इसके तहत मैच के दौरान अपने जूतों और अपने बल्ले के निचले हिस्से पर कबूतर का लोगो लगाना चाहते थे. उस्मान ख्वाजा पाकिस्तान के खिलाफ बॉक्सिंग-डे पर एमसीजी (MCG) में शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट (Aus vs Pak 2nd Test) की पूर्व संध्या पर नेट प्रैक्टिस के दौरान जूतों और बल्ले पर इस लोगों के साथ अभ्यास करने उतरे थे.
यह कबूतर का लोगो मानव अधिकारों को लेकर घोषित की गई वैश्विक आचार संहिता की धारा-1 के बारे में बताता है. इसके तहत लिखा गया है, 'सभी इंसान स्वतंत्र अधिकारों और आत्मसम्मान के संदर्भ में स्वतंत्र पैदा होते हैं और बराबर होते हैं. ये लोग कारणों और विवेक से संपन्न होते है और इन्हें भाईचारे की भावना के तहत एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए'.
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने दी थी मंजूरी, लेकिन...
ख्वाजा ने प्रैक्टिस सेशन में लोगों का इस्तेमाल करने से पहले क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया और क्रिकेटर्स एसोसिएशन को भरोसे में लिया था, लेकिन मैच में उनके 'लोगो' को पहले टेस्ट के दौरान प्रदर्शित करने के आवेदन को आईसीसी ने ठुकरा दिया.
आईसीसी का बयान
ICC ने बयान में गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के दौरान उस्मान के उपकरणों पर लोगो लगाने के अनुरोध पर हमने बहुत सोच-विचार किया, लेकिन हम उनके इस आवेदन को मंजूरी नहीं देते हैं. हमारी ड्रेस की आचार-संहिता खिलाड़ियों को निजी संदेश प्रदर्शित करने की इजाजत नहीं है.'
ICC fined Usman Khwaja for wearing a black trip on his shoulder for breaching the @ICC rule of code
— Hafeez Alam Ghazi (@GhaziHafeez) December 21, 2023
Remember Khawaja wears a black trip for the Solidatery of Palestine 🇵🇸 #AUSvsPAK #usmankhwaja pic.twitter.com/nGNRUxhnFU
पहले टेस्ट में भी ख्वाजा ने किया था ऐसा
पाकिस्तान के खिलाफ पर्थ में खेले गए पहले टेस्ट में बांह पर काली पट्टी पहनने के दोषी पाए गए थे. तब भी उन्होंने गाजा में चल रहे युद्ध के विरोध में ऐसा किया था, लेकिन वह आचार संहिता तोड़ने के दोषी पाए गए थे. तब ख्वाजा ने यह कहते हुए विरोध किया था कि उनकी क्रिया 'निजी बर्ताव' के दायरे में नहीं आती, लेकिन वह आगे इसे नहीं पहनेंगे.
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