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This Article is From Oct 18, 2016

'जंबो जेट' की तरह उछलती थीं इस भारतीय फिरकी गेंदबाज की गेंदें, सिद्धू ने नाम रख दिया 'जंबो'

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'जंबो जेट' की तरह उछलती थीं इस भारतीय फिरकी गेंदबाज की गेंदें, सिद्धू ने नाम रख दिया 'जंबो'
कुंबले ने जबड़ा टूट जाने के बावजूद वेस्टइंडीज के खिलाफ बॉलिंग की थी (फाइल फोटो : AFP)
नई दिल्ली: टीम इंडिया के मुख्य कोच अनिल कुंबले के मार्गदर्शन और विराट कोहली की कप्तानी में टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है. खासतौर से गेंदबाजों को उन्होंने नई दिशा दी है. 'जंबो' के नाम से मशहूर कुंबले सोमवार को 46 साल के हो गए. उनका जन्म 17 अक्टूबर, 1970 को हुआ था. कद-काठी से तेज गेंदबाज नजर आने वाले कुंबले स्पिनर रहे हैं. एक ऐसा स्पिनर जिसकी गेंदें ज्यादा टर्न नहीं लेती थीं, लेकिन सटीक लाइन-लेंथ और 'जंबो जेट' की तरह उछाल से बल्लेबाजों के पसीने छूट जाते थे, तभी तो उनका ना ही पड़ गया- 'जंबो'. अनिल कुंबले अपनी जीवटता के लिए भी जाने जाते थे. एक बार वह जबड़ा टूटा होने पर भी मैदान पर उतर गए थे. खेल के प्रति उनका समर्पण और हौसला देखने लायक रहता था. उनके रिकॉर्ड खुद उनकी कहानी बयां करते हैं. तभी तो उनके जन्मदिन पर विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने फैन्स को कुंबले से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुए उन्हें अनूठे अंदाज में बधाई दी है... आइए जानते हैं कि सहवाग ने क्या कहा और कुंबले की खास उपलब्धियां क्या हैं...

सबसे पहले बात वीरेंद्र सहवाग के संदेश की. सहवाग हमेशा ही ट्विटर पर पूर्व और वर्तमान खिलाड़ियों को चुटीले अंदाज में बधाइयां देते रहते हैं. उन्होंने अनिल कुंबले की जीवटता को सलाम करते हुए, फैन्स को उनसे सीख लेने की सलाह दी और लिखा, 'जीवन में 'डंबो' नहीं, बल्कि जंबो की तरह बनें. कुंबले 'जुमले' नहीं फेंकते.. K-U-M-B-L-E बहुत ही विनम्र हैं.. जन्मदिन की बधाइयां अनिल कुंबलेजी...
सिद्धू ने दिया था जंबो नाम
अनिल कुंबले को सबसे पहले जंबो नाम टीम इंडिया के पूर्व ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया था. दरअसल ईरानी टॉफी के दौरान जब कुंबले और सिद्धू शेष भारत के लिए खेल रहे थे, तो उस मैच में कुंबले की कुछ गेंदें अचानक उछाल ले रहीं थी. वास्तव में कुबंले की गेंदबाजी की यही खासियत थी. इस पर सिद्धू ने कहा था - 'जंबो जेट', बाद में वह 'जंबो' के नाम से बुलाए जाने लगे.

अब बात कुंबले की उपलब्धियों और उनकी जीवटता की....

बाउंसर से टूटा जबड़ा, फिर भी गेंदबाजी की...
कुंबले न सिर्फ अपनी बेहतरीन गेंदबाजी के लिए जाने जाते हैं बल्कि उनको संघर्षशील खिलाड़ी के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा ही एक वाकया 2002 में टीम इंडिया के वेस्टइंडीज दौरे पर एंटीगुआ टेस्ट के दौरान देखने को मिला जब बल्लेबाजी के दौरान बाउंसर से जबड़ा टूट जाने के बावजूद टीम की जरूरत को देखते हुए कुंबले अगले दिन पूरे चेहरे पर पट्टी बांधकर मैदान पर उतरे और 14 ओवर की गेंदबाजी में विपक्षी टीम के सबसे मजबूत खिलाड़ी ब्रायन लारा का महत्वपूर्ण विकेट भी टीम के लिए हासिल किया. उनके जुझारूपन का कोई सानी नहीं था, तभी तो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक विकेट लेने के मामले में कुंबले (619 विकेट) तीसरे नंबर पर हैं. उनसे ऊपर दो और स्पिनर श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन (800 विकेट) व ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न हैं.

केवल दो गेंदबाज ले पाए हैं एक पारी में सभी 10 विकेट
टेस्ट क्रिकेट इतिहास में यह कारनामा केवल दो गेंदबाज ही कर पाए हैं. कुंबले से पहले इंग्लैंड के जिम लेकर ने एक पारी में 10 विकेट लिए थे. अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ 4 फरवरी, 1999 को दिल्ली टेस्ट की चौथी पारी में 26.3 ओवरों में 74 रन देकर 10 विकेट झटककर इस रिकॉर्ड की बराबरी की थी. उन्होंने 9 ओवर मेडन भी किए थे.

इंजमाम, यूसुफ, एजाज, मलिक जैसे दिग्गज भी नहीं टिक पाए
उस दौर में पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज माने जाने वाले इंजमाम उल हक, एजाज अहमद, सलीम मलिक और यूसुफ युहाना जैसे खिलाड़ी भी कुंबले की गुगली के आगे नतमस्तक नजर आए थे. दिल्ली के घूमते हुए विकेट पर इन्हें कुंबले ने खूब नचाया था. इंजमाम (6) जहां बोल्ड हुए थे, वहीं एजाज (0) और यूसुफ युहाना (0) विकेट के सामने पैर अड़ा बैठे थे. केवल ओपनर सईद अनवर (69) और शाहिद अफरीदी (41) ही कुछ संघर्ष कर सके थे, लेकिन वह भी ज्यादा देर टिक नहीं पाए थे. इस प्रकार कुंबले ने एक-एक करके सभी 10 पाकिस्तानी विकेट अपने नाम कर लिए. 10वें विकेट के रूप में कुंबले ने वसीम अकरम को आउट किया था, जिन्होंने 37 रन की पारी खेली थी. कुंबले से पहले इंग्लैंड के जिम लेकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 26 जुलाई, 1956 को मैनचेस्टर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 51.2 ओवरों में 53 रन देकर सभी 10 विकेट चटका दिए थे. उन्होंने 23 ओवर मेडन रखे थे.

हेडिंग्ले टेस्ट, इंग्लैंड- 2002 : मैच विजेता के रूप में उदय
अनिल कुंबले ने तेज गेंदबाजों खासतौर से स्विंग के उस्तादों के लिए मददगार विकेट पर भी अपना परचम लहरा दिया था. उन्होंने टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे में अगस्त, 2002 में हेडिंग्ले टेस्ट मैच में 7 विकेट चटकाते हुए भारत को 46 रन से जीत दिला दी थी. विदेशी धरती पर मिली यह जीत बेहद खास थी, क्योंकि टीम इंडिया वहां जीत के लिए हमेशा संघर्ष करती रही. इस मैच के बाद से कुंबले ने मैच विजेता गेंदबाज के रूप में ख्याति अर्जित कर ली.

एक ही साल में 6 बार 5 या उससे अधिक विकेट लिए
अनिल कुंबले की गुगली के जादू का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने 2004 में एक साल में टेस्ट क्रिकेट में एक पारी में 6 बार पांच या उससे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने उस साल 74 विकेट लिए थे. कुंबले ने अपने पूरे करियर में एक पारी में 35 बार 5 या उससे अधिक विकेट चटकाए थे.

टीम की जीत में सबसे अधिक विकेट
टीम इंडिया के टेस्ट क्रिकेट इतिहास को देखें तो जितने टेस्ट मैच कुंबले ने जिताए हैं, उतने अन्य किसी भी गेंदबाज ने नहीं जिताए. कुंबले के दो दशक के लंबे करियर में टीम इंडिया ने 43 मैच जीते, जिनमें कुंबले ने 288 विकेट लिए. इनमें उनका औसत 18.75 का रहा. इस दौरान उन्होंने 20 बार एक पारी में 5 विकेट और पांच बार 10 विकेट झटके. मैच जिताने वाले भारतीय खिलाड़ियों की इस सूची में उनके बाद हरभजन सिंह हैं. फिर भागवत चंद्रशेखर (14 मैच, 98 विकेट), बिशन सिंह बेदी (17 मैच, 97 विकेट) और कपिल देव (24 मैच, 90 विकेट) के नाम दर्ज हैं.

भारतीय पिचों पर तो कई बार कुंबले को खेलना इतना मुश्किल हो जाता था कि एक बार ज्योफ्री बॉयकॉट ने कहा था, 'भारतीय विकेटों पर कुंबले से बेहतर कोई और नहीं है. यदि भारतीय पिचों पर मुझे उनका सामना करना पड़े, तो इसका सबसे अच्छा तरीका होगा कि मैं नॉन-स्ट्राइकर छोर पर ही रहूं.'

धुर विरोधी पाकिस्तान की धरती पर दिलाई फतह
टीम इंडिया को अपने पड़ोसी और धुर विरोधी पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज जीत हासिल करने के लिए 2004 तक लंबा इंतजार करना पड़ा. यह जीत भी कुंबले के रहते हासिल हुई या यूं कहें कि उनके अहम योगदान से ही मिल सकी. अप्रैल, 2004 की इस सीरीज में अनिल कुंबले ने 3 टेस्ट मैचों में 15 विकेट हासिल किए. भारत को इनमें से 2 में जीत मिली, जबकि एक मैच में हार का सामना करना पड़ा. इस प्रकार उसने पाकिस्तान में पहली बार 2-1 से सीरीज पर कब्जा जमाकर इतिहास रच दिया. दरअसल कुंबले दोनों टीमों में से सर्वाधिक विकेट चटकाने वाले गेंदबाज रहे.

35 साल बाद वेस्टइंडीज को हराया
वेस्टइंडीज की धरती तेज गेंदबाजों के लिए हमेशा मददगार रही है और टीम इंडिया के पास ऐसा कोई तेज गेंदबाज नहीं था, जो वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाजों को पैवेलियन भेज सके, लेकिन जून 2006 में परिस्थितियां बदलीं और तेज विकेटों पर स्पिनर अनिल कुंबले ने वह कर दिखाया, जो कोई भी गेंदबाज या बल्लेबाज नहीं कर पाया था. कुंबले ने इस दौरे में 4 टेस्ट मैचों में 23 विकेट झटके थे. इनमें से 3 मैच ड्रॉ रहे थे, जबकि अंतिम मैच भारत ने 49 रन से जीत लिया. किंग्सटन में खेले गए इस मैच में 269 रनों का पीछा करते हुए इंडीज की पारी 219 रनों पर सिमट गई थी. कुंबले ने 78 रन देकर 6 विकेट चटकाए थे.

बने कप्तान, पाक को 28 वर्ष बाद भारत में हराया
अनिल कुंबले को 2007 में टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया. उनके सामने पाकिस्तान की टीम थी, जिसके खिलाफ हम अपने देश में ही सीरीज में नहीं जीत पाए थे. नवंबर 2007 में खेली गई इस सीरीज में कुंबले ने कप्तानी योगदान देते हुए 3 मैचों में 18 विकेट चटकाए. भारत ने पहला मैच 6 विकेट से जीता था, जबकि अन्य दो मुकाबले ड्रॉ रहे. कुंबले ने पहले मैच में कुल 7 विकेट लिए थे. इस प्रकार भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जमीन पर 28 वर्षों बाद टेस्ट सीरीज जीत ली.

500 विकेट और शतक बनाने वाले इकलौते क्रिकेटर
कुंबले सबसे अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज होने के साथ ही इस फॉर्मेट में विश्व के एकमात्र ऐसे क्रिकेटर हैं, जिसने 500 से अधिक विकेट लेने के साथ ही टेस्ट मैच में शतक बनाया है. कुंबले ने अपना एकमात्र टेस्ट शतक इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था. 1990 में इंग्लैड के खिलाफ उन्होंने पहला टेस्ट मैच खेला था. कुंबले 132 टेस्ट मैचों की 236 पारियों में 619 विकेट लेकर टीम इंडिया के सबसे सफल गेंदबाज  हैं. वह नवंबर 2007 से 1 वर्ष तक टीम इंडिया के कप्तान भी रहे.

हीरो कप में 12 रन देकर झटके 6 विकेट
उन्होंने हीरो कप, 1993 में वेस्टइंडीज के खिलाफ सिर्फ 12 रन देकर 6 विकेट लिया, जो वनडे में भारत की ओर से उनका सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन है. वनडे में उनका इकोनॉमी रेट महज 4.30 है. कुंबले ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में श्रीलंका के खिलाफ वनडे में अप्रैल 1990 में पदार्पण किया था. 271 वनडे की 265 पारियों में 337 विकेट लेने का गौरव भी कुंबले के नाम है.

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