मुंबई की लोकल ट्रेन (फाइल फोटो)
मुंबई: क्या घड़ी की सुई पर दौड़ती मुंबई में दफ्तर खोलने का अलग समय होगा? सवाल मुंबई लोकल ट्रेनों की भीड़ के सिलसिले में उठा है।
लोकल ट्रेनों से गिरने के कारण रोज 7 मौतें
मुंबई की उपनगरीय लोकल ट्रेनों से लोगों के गिरने का सिलसिला जारी है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि, मुंबई लोकल से गिरकर हर दिन औसतन 7 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इससे दोगने लोग जख्मी हो रहे हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान पूछा है कि, क्या मुंबई के दफ्तरों का समय बदलकर ट्रेन की भीड़ कम कराई जा सकती है?
तीन टाइम जोन में बंटे शहर
एक तबका यह सोचता है कि, मुंबई लोकल की भीड़ यहां के दफ्तरों के समय से जुड़ी है। लिहाजा मुंबई को 3 टाइम जोन में बांटा जाए। इसमें आइलैंड सिटी के अलावा उपनगरों के दो हिस्से हों। इस टाइम जोन के हिसाब से दफ्तरों का समय बदला जाए। हर टाइम जोन में 2 घंटे का अंतर हो। हर इंडस्ट्री का छुट्टी का दिन अलग हो और सभी आफिस रविवार को बंद न हों। कर्मचारियों को उनके घर के करीब की ब्रांच में काम करने की सहूलियत हो।
सरकार को सुझाव रेल मंत्री ने भी दिया
वैसे यही प्रस्ताव कभी खुद रेल मंत्री दे चुके हैं। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने मुंबई दौरे में यह प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार के सामने रखा था। अपने प्रस्ताव को लेकर संवाददाताओं को रेलमंत्री कह चुके हैं कि मुंबई लोकल अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रही है। ऐसे में हमने राज्य सरकार को कह दिया है कि ट्रेन की भीड़ कम कराने के लिए मुंबई के ऑफिसों का समय बदल दीजिए। हालांकि केवल हाईकोर्ट और रेल मंत्री ही नहीं प्रवासी संगठन भी ट्रेनों की भीड़ कम कराने के लिए अपने सुझाव दो दशक से दे रहे हैं, पर सरकार सुन नहीं रही।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
रेलवे में होने वाले हादसों पर गौर फरमाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रेल हादसा निरीक्षण समिति का गठन हो चुका है। इस समिति के सदस्य सुभाष गुप्ता ने NDTV इंडिया को बताया की मुंबई की लोकल ट्रेनों की भीड़ कम करने के लिए अगर कमी है तो राजनीतिक इच्छाशक्ति की। कोई राजनेता अपने चुनाव क्षेत्र से ऊपर उठकर इस शहर के बारे में सोचता ही नहीं है। शायद इसी वजह से हर दिन करीब 80 लाख यात्रियों को लाती ले जाती मुंबई लोकल पर हर दिन दबाव बढ़ ही रहा है।