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This Article is From Feb 16, 2020

इंदौर में बेवजह हॉर्न बजाने वाले जल्द आगे जाने के बजाय ट्रैफिक में अटक जाएंगे! सबक सिखाने का अब 'स्मार्ट' तरीका

देश के सबसे स्वच्छ शहर को इंदौर को अब 'साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया' बनाने की कवायद शुरू की जा रही, लाउड स्पीकर, डीजे और देर रात की शोरशराबे वाली पार्टियों पर तो रोक लगेगी

इंदौर में बेवजह हॉर्न बजाने वाले जल्द आगे जाने के बजाय ट्रैफिक में अटक जाएंगे! सबक सिखाने का अब 'स्मार्ट' तरीका
प्रतीकात्मक फोटो.
इंदौर:

देश के सबसे साफ शहर के रूप में ख्याति पा चुके मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में अब एक ऐसा कदम उठाया जा रहा है जिससे यह शहर 'साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया' यानी के देश का सबसे शांत शहर बन सकेगा. शहर को शांत बनाने के लिए लाउड स्पीकर, डीजे और देर रात की शोरशराबे वाली पार्टियों पर तो रोक लगाई ही जाएगी, ट्रैफिक का शोर कम करने के लिए भी अनूठी कोशिश शुरू की जाएगी. जिला प्रशासन के इस कदम से बेवजह हॉर्न बजाने वाले अपना समय बचाने के बजाय ट्रैफिक में फंसे रहेंगे. यह 'स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल' हॉर्न बजाकर शोर करने वालों को आगे बढ़ने की इजाजत नहीं देंगे. सड़कों पर अनावश्यक शोर बढ़ाने वालों को इस अनोखे तरीके से सबक सिखाया जाएगा.            

गौरतलब है कि इंदौर शहर लगातार हर वर्ष देश का सबसे साफ-सुथरा शहर घोषित किया जा रहा है. शहर में नगर निगम से लेकर जिला प्रशासन तक के निरंतर प्रयासों और नागरिकों को जागरूक किए जाने से यह संभव हो पाया है. अब इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर के साथ-साथ देश के सबसे शांत शहर बनाने की कवायद भी शुरू की जा रही है.
       
इंदौर के कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने 'पीटीई-भाषा' से कहा कि "हम इंदौर को ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति दिलाते हुए इसे मार्च 2021 तक साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया के रूप में ख्याति दिलाना चाहते हैं. हालांकि, यह एक अनाधिकारिक तमगा है.'' उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ, वृद्धाश्रमों, अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और कुछ अन्य स्थानों के आस-पास 39 "शांत परिक्षेत्र" घोषित किए गए हैं जहां प्रेशर हॉर्न, डीजे और लाउड स्पीकर जैसे साधनों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा. जाटव ने बताया, "शहर में शादी समारोहों के दौरान तेज आवाज में डीजे बजाए जाने से खूब ध्वनि प्रदूषण होता है. इस पर रोक लगाने के लिए अलग-अलग जाति-समुदायों के संगठनों से चर्चा की जा रही है, ताकि डीजे स्वीकृत ध्वनि सीमा में ही बजाया जाए और रात को एक तय समय के बाद इसका उपयोग न किया जाए."

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इंदौर की जनसंख्या 30 लाख से अधिक है. शहर के अधिकांश इलाकों में घनी आबादी तथा संकरी सड़कों के कारण यातायात जाम की स्थिति रहती है. ट्रैफिक सिग्नलों पर वाहन सवारों को बेवजह हॉर्न बजाते हुए देखा जा सकता है. ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए प्रशासन मुंबई की तर्ज पर यहां "स्मार्ट" ट्रैफिक सिग्नल लगाने जा रहा है जो डेसिबल मीटरों से जुड़े रहेंगे.

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कलेक्टर के मुताबिक ने मशीनी तंत्र को इस तरह रखा जाएगा कि लगातार हॉर्न बजाए जाने पर निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि उत्पन्न होने पर ट्रैफिक सिग्नल पर लाल बत्ती का समय अपने आप बढ़ जाएगा. यानी वाहन चालक जितना ज्यादा हॉर्न बजाएंगे, उन्हें ट्रैफिक सिग्नल पार करने के लिए उतना ज्यादा इंतजार करना होगा. जाटव ने बताया कि "शहर का पहला स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल डीआरपी लाइन इलाके में लगाया जाएगा. यह ट्रैफिक सिग्नल प्रायोगिक तौर पर मार्च से काम करना शुरू कर देगा."
 

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अधिकारियों ने बताया कि शहर की सड़कों पर वाहनों की तादाद नियंत्रित करने के लिए लोक परिवहन सेवाओं का विस्तार किया जाएगा. नतीजतन हॉर्न बजाए जाने से होने वाले ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी. इंदौर को "साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया" बनाने के लिए समाज के अलग-अलग तबकों के लोगों से ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के सुझाव भी मांगे जा रहे हैं.

VIDEO : सफाई में अव्वल कैसे बना इंदौर

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