तेलंगाना (Telangana) के एक भाई-बहन को कोरोनावायरस के इस दौर में लागू लॉकडाउन के चलते अपने खोए हुए पिता मिल गए. लॉकडाउन के इस संकट के दौर में अपना पेट भरने के लिए दूसरों पर निर्भर शख्स को एक टिकटॉक वीडियो में देखने के बाद आखिरकार परिवार उन्हें घर वापस ले आया. परिवार के लिए यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं रहा होगा क्योंकि परिवार उन्हें मृत समझकर उनका अंतिम संस्कार तक कर चुका था. भाई-बहन ने इस लॉकडाउन में लुधियाना में एक जगह पर बंट रहे खाने-पीने का पैकेट लेने के लिए खड़े पिता को एक टिकटॉक (TikTok) वीडियो में देखा था.
तेलंगाना के भद्राद्रि कोठागुदेम जिले के रोद्दम वेंकटेश्ववरलु अप्रैल 2018 में लापता हो गए थे. वे दिव्यांग हैं. उन्हें सुनने और बोलने में दिक्कत होती है. उनके परिवार ने उनके लापता होने पर पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला. जब बहुत ढूंढने पर वो नहीं मिले तो उनके परिवार ने उन्हें मृत समझकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया.दो साल बाद, उनसे 2000 किलोमीटर पंजाब पुलिस में कॉन्स्टेबल अजायब सिंह ने लुधियाना सिविल लाइन एरिया के एक मॉल के पास गरीब लोगों में खाना बंटने के दौरान एक वीडियो रिकॉर्ड किया और TikTok पर डाल दिया.
पिछले गुरुवार को वेंकटेश्वरालु के गांव के एक व्यक्ति ने उनकी बेटी कनकदुर्गा को यह वीडियो दिखाया, जिन्होंने तुरंत अपने पिता को पहचान लिया.डिप्टी कमिश्नर अखिल चौधरी ने बताया कि उनके बेटे पेद्दीराजू उन्हें वापस घर ले जाने के लिए सोमावर को लुधियाना पहुंचे. पेद्दीराजू ने फोन पर बताया कि उनके पिता उन्हें देखते ही रोने लगे थे. लुधियाना के नून कलां पुलिस स्टेशन में कॉन्स्टेबल अजायब सिंह ने कहा कि वो खुद को खुशनसीब समझते हैं कि उनके वीडियो की वजह से एक परिवार एक हो पाया है.
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