वाराणसी में मास्क पहनपर योग करते हुए लोग.
वाराणसी:
अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस के मौके पर 21 जून को बनारस के घाटों पर भी लोगों ने योग किया. लेकिन इन्हीं घाटों में एक शिवाला घाट पर लोगों ने कुछ अलग तरह से योग दिवस मनाया. यहां जुटे लोगों ने अपने चेहरे पर मास्क लगा कर योग किया और इस बात से जागरूक करने की कोशिश की कि हमारे आसपास की आबोहवा ख़राब हो चुकी है लिहाजा योग करते समय इसका शरीर पर फायदे से ज़्यादा नुकसान है. 'क्लाइमेट एजेंडा' ने इस योग अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया.
वाराणसी में गंगा किनारे स्थित शिवाला घाट पर आयोजित इस योग अभ्यास में शामिल सभी नागरिकों ने दिन प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण और मनुष्य के श्वसन तंत्र के माध्यम से स्वास्थ्य पर पड़ते घातक असर के प्रति ध्यान आकृष्ट कराने के लिए मास्क पहनकर योग अभ्यास किया. बनारस के साथ-साथ बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में यह कार्यक्रम एक साथ आयोजित किया गया.
मास्क पहनकर किए गए इस अनूठे आयोजन के बारे में क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “योग वास्तव में हमारे शरीर को स्वस्थ रखने वाला व्यायाम है. विज्ञान ने भी विभिन्न आसनों को शारीरिक क्षमता वृद्धि के लिए काफी मददगार माना है. लेकिन, पूरे पूर्वांचल में जिस प्रकार वायु प्रदूषण की स्थिति काफी खतरनाक स्तर पर जा पहुंची है, उसमें खुली हवा में योग करना स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. बढ़ते वायु प्रदूषण के इस दौर में, इस समस्या का व्यापक समाधान दिए बगैर सरकारों द्वारा योग को बढ़ावा देना दरअसल वायु प्रदूषण की समस्या को नजरअंदाज करने जैसा है.”
यहां जुटे लोगों ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम को जल्द से जल्द और मजबूत इरादों के साथ शुरू करना चाहिए, अन्यथा काफी देर हो जाएगी.
इस कार्यक्रम में मौजूद योग प्रशिक्षक योगेश चन्द्र गुप्ता ने बताया “योग मुख्य रूप से श्वसन आधारित व्यायाम है. इसका अभ्यास मानव शरीर में प्राणवायु का संचार करता है. लेकिन, प्राणवायु में जब अधिकांश मात्रा में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 10 व पीएम 2.5 घुल चुके हों, तो ऐसे में पहले हवा को स्वच्छ करने के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए. मास्क पहनकर योग करने की वजह यही है कि हम सरकारों और जनता का ध्यान इस ओर खींचना चाहते हैं.”
VIDEO : पानी में योग अभ्यास
बनारस शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक एवं श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ आरएन वाजपेयी ने बताया “योग के दौरान हमारा शरीर वायु की अधिकतम मात्रा ग्रहण करता है. ऐसे में ऑक्सीजन के साथ प्रदूषण के घातक कण भी नाक के रास्ते फेंफड़े तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं, और फिर यह नुकसान पहुंचाने वाले कण हमारे रक्त में घुलकर घातक बीमारियों का शिकार बनाते हैं. योग के महत्व पर बिना सवाल उठाए यह जरूर सोचना होगा कि प्रदूषित हवा में की जाने वाली गतिविधि हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है.”
वाराणसी में गंगा किनारे स्थित शिवाला घाट पर आयोजित इस योग अभ्यास में शामिल सभी नागरिकों ने दिन प्रतिदिन बढ़ते वायु प्रदूषण और मनुष्य के श्वसन तंत्र के माध्यम से स्वास्थ्य पर पड़ते घातक असर के प्रति ध्यान आकृष्ट कराने के लिए मास्क पहनकर योग अभ्यास किया. बनारस के साथ-साथ बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में यह कार्यक्रम एक साथ आयोजित किया गया.
मास्क पहनकर किए गए इस अनूठे आयोजन के बारे में क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “योग वास्तव में हमारे शरीर को स्वस्थ रखने वाला व्यायाम है. विज्ञान ने भी विभिन्न आसनों को शारीरिक क्षमता वृद्धि के लिए काफी मददगार माना है. लेकिन, पूरे पूर्वांचल में जिस प्रकार वायु प्रदूषण की स्थिति काफी खतरनाक स्तर पर जा पहुंची है, उसमें खुली हवा में योग करना स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. बढ़ते वायु प्रदूषण के इस दौर में, इस समस्या का व्यापक समाधान दिए बगैर सरकारों द्वारा योग को बढ़ावा देना दरअसल वायु प्रदूषण की समस्या को नजरअंदाज करने जैसा है.”
यहां जुटे लोगों ने कहा कि सरकार को राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम को जल्द से जल्द और मजबूत इरादों के साथ शुरू करना चाहिए, अन्यथा काफी देर हो जाएगी.
इस कार्यक्रम में मौजूद योग प्रशिक्षक योगेश चन्द्र गुप्ता ने बताया “योग मुख्य रूप से श्वसन आधारित व्यायाम है. इसका अभ्यास मानव शरीर में प्राणवायु का संचार करता है. लेकिन, प्राणवायु में जब अधिकांश मात्रा में पार्टिकुलेट मैटर पीएम 10 व पीएम 2.5 घुल चुके हों, तो ऐसे में पहले हवा को स्वच्छ करने के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए. मास्क पहनकर योग करने की वजह यही है कि हम सरकारों और जनता का ध्यान इस ओर खींचना चाहते हैं.”
VIDEO : पानी में योग अभ्यास
बनारस शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक एवं श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ आरएन वाजपेयी ने बताया “योग के दौरान हमारा शरीर वायु की अधिकतम मात्रा ग्रहण करता है. ऐसे में ऑक्सीजन के साथ प्रदूषण के घातक कण भी नाक के रास्ते फेंफड़े तक पहुंचने में कामयाब हो जाते हैं, और फिर यह नुकसान पहुंचाने वाले कण हमारे रक्त में घुलकर घातक बीमारियों का शिकार बनाते हैं. योग के महत्व पर बिना सवाल उठाए यह जरूर सोचना होगा कि प्रदूषित हवा में की जाने वाली गतिविधि हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है.”
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