एडिशनल डायरेक्टर जनरल पुलिस राजेंद्र कुमार मिश्रा के पिता को डॉक्टरों ने पिछले माह मृत घोषित कर दिया था लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी. उन्होंने पिता का आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज शुरू किया. गत 14 जनवरी को एक प्राइवेट अस्पताल में उन्हें 20 घंटे तक सघन इलाज के बाद मृत घोषित कर दिया गया था.
सन 1987 बैच के आईपीएस मिश्रा ने एक आयुर्वेदिक प्रेक्टिशनर से अपने 84 वर्षीय पिता का उपचार शुरू कराया. उनके पिता के मिश्रा को 14 जनवरी को क्लिनिकली मृत घोषित किया गया था. उनकी किडनी, फेंफड़े और दिल के काम करना बंद करने के बाद अस्पताल ने उन्हें मृत बताकर डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया.
यह स्थिति तब बदली जब 14 जनवरी की शाम को राजेंद्र कुमार मिश्रा अपने पिता की देह को लेकर घर पहुंचे. उन्होंने बताया कि ''काफी विस्तृत परीक्षण के बाद आयुर्वेदिक वैद्याचार्य ने मेरे पिता के शरीर में जीवन के लक्षण पहचने. उन्होंने बताया कि मेरे पिता सिर्फ बेहोशी की हालत में हैं, उनमें स्वास्थ्य मानकों के अनुसार उनमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. हमने तुरंत उन्हें आक्सीजन लगाई. इसके साथ-साथ वैद्याचार्य ने उन्हें जड़ी-बूटियों से निर्मित भारतीय पारंपरिक दवाएं देनी शुरू की. यह दवाएं होशंगाबाद और छिंदवाड़ा के घने जंगलों से लाई जाती हैं.''
उन्होंने कहा कि पारंपरिक उपचार से पिता के स्वास्थ्य में हो रहे सुधार से वे खुश हैं. उन्होंने कहा कि आर्युर्वेदिक उपचार से मेरे पिता को लाभ मिल रहा है. पिछले 31 दिनों से उनके शरीर में कोई नकारात्मक असर देखने को नहीं मिला है.
पुलिस अधिकारी के घर के सूत्रों का कहना है कि वे मिश्रा के पिता में कई सकारात्मक बदलावों के साक्षी हैं. उन्होंने स्वास्थ्य में बदलाव, त्वचा और आंखों में बदलाव देखा है.
भोपाल के बंसल अस्पताल में 13 जनवरी को मिश्रा के पिता को लाया गया था. अस्पताल के अनुसार फेंफड़ों के इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लाया गया था, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. अस्पताल ने मृत्य प्रमाण पत्र नगर पालिका और मिश्रा के परिवार को दे दी है. अस्पताल आयुर्वेद के जरिए इलाज में सफलता मिलने की मानने के लिए तैयार नहीं है.
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