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This Article is From Feb 29, 2020

एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर का चार्ज लिया, कहा- पहली प्राथमिकता शांति कायम करना

एसएन श्रीवास्तव से NDTV ने पूछा कि तीन दिन तक हिंसा होती रही, पुलिस कहां थी? पुलिस कमिश्नर ने कहा- अगले हफ्ते बात करूंगा

एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर का चार्ज लिया, कहा- पहली प्राथमिकता शांति कायम करना
दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को पदभार संभाल लिया.
नई दिल्ली:

दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने शुक्रवार को चार्ज ले लिया. उन्होंने कहा कि ''मेरी पहली प्राथमिकता शहर में शांति बनाए रखना है. इस शहर के लोग एक दूसरे से मिलकर सहयोग करते हैं. शांति बहाल करने की दिशा में सभी सहयोग करें. हमारे अफसर भी इसी काम मे लगें. ऐसी स्थिति दुबारा न आए, हम कार्रवाई करेंगे.'' एसएन श्रीवास्तव से NDTV ने पूछा कि तीन दिन तक हिंसा होती रही, पुलिस कहां थी? इस पर पुलिस कमिश्नर ने कहा कि ''अगले हफ्ते बात करूंगा.''

दिल्ली में दंगों की गंभीर घटनाओं के बाद 1985 बैच के आईपीएस एसएन श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर का चार्ज ले लिया. उन्होंने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता दिल्ली में शांति बनाए रखना है. उत्तर पूर्वी दिल्ली में बड़ी हिंसा के हालात पर काबू कर रहे स्पेशल कमिश्नर क़ानून व्यवस्था एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को नए पुलिस कमिश्नर का पदभार संभाला. उन्हें दिल्ली दंगों के बीच में ही हालात पर काबू करने के लिए गृह मंत्रालय ने खास तौर पर भेजा है. उनका कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता शहर में शांति और दंगाइयों पर कार्रवाई करना है.

हालांकि जब उनसे एनडीटीवी ने दंगों के दौरान पुलिस की गैरमौजूदगी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इसका जबाब वे एक हफ्ते बाद देंगे.

वहीं दिल्ली पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस की गैरमौजूदगी के आरोपी गलत हैं. घनी आबादी वाली उत्तर पूर्वी दिल्ली में कई जगहों पर हिंसा हो रही थी. हर जगह तुरंत पहुंचना आसान नहीं था. हमारा कोई अफसर मौके से नहीं हटा. 25 फरवरी की रात तक हमने सभी जगहों पर हिंसा पर काबू पा लिया था.

पुलिस ने कहा कि हिंसा में स्थानीय लोगों के साथ कुछ बाहरी लोग भी शामिल थे. कुछ जगहों पर हिंसा अचानक जहुई बकि कुछ जगहों पर प्लानिंग के साथ हुई.

पुलिस के मुताबिक 22 तारीख को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे  रात करीब 10:30 बजे अचानक 1000 लोग आकर बैठ गए, जिसमें 'पिंजड़ा तोड़' से जुड़ी लड़कियां भी शामिल थीं. अगले दिन उन्हीं के सामने हिन्दू संगठन भी आ गए और फिर हिंसा की शुरुआत हो गई.

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