सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
मुंबई:
नेशनल हेरॉल्ड के प्लाट पर मुंबई के बांद्रा ईस्ट में एक कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनने जा रहा है। इसका नाम रखा गया है कांग्रेस भवन। यह खुलासा RTI (सूचना का अधिकार) से हुआ है।
एसोसिएट जर्नल्स को 1983 में मिला था प्लाट
मुंबई के दमकल विभाग के पास पहुंचे कागजात इस इमारत को कांग्रेस भवन बता रहे हैं। यहां बन रही इमारत कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स है। इसमें 11 मंजिलें हैं। इसमें 140 गाड़ियों की पार्किंग के लिए विशेष सुविधा है। मूलतः पिछड़े वर्ग के छात्रावास के लिए आरक्षित यह प्लाट अखबार का कार्यालय बनाने के लिए एसोसिएट जर्नल्स को 1983 में दिया गया था, जो कि यहां अब तक नहीं बना।
पार्टी दफ्तर के लिए बाजार मूल्य से खरीदें प्लाट
यह खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांग की है कि अगर उद्देश्यों का पालन नहीं हो रहा तो प्लाट को लौटा दिया जाना चाहिए। पार्टी दफ्तर बनाने के लिए रियायती मूल्य के बजाए बाजार मूल्य से कांग्रेस को प्लाट खरीदना चाहिए।
कॉमर्शियल इस्तेमाल के बिना दफ्तर का खर्च कैसे चले
उधर नेशनल हेरॉल्ड के लिए दी गई जमीन को लेकर हर खुलासे पर स्थानीय कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है। नेता इस पूरी गतिविधि का समर्थन कर रहे हैं। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम कह रहे हैं कि, ऐसी इमारत का कुछ हिस्सा कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए रखना ही होगा। कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं करेंगे तो दफ्तर का खर्च कहां से चलेगा? निरुपम ने दावा किया है कि देशभर में पार्टियों के दफ्तर इसी तरह चलते हैं।
वैसे याद रहे कि, नेशनल हेरॉल्ड के लिए दी गई मूल जमीन के एक हिस्से को अलग कर वहां पहले ही रिहायशी इमारत बनाई गई है, जो कि फिलहाल कई कांग्रेसी नेताओं का घर है।
एसोसिएट जर्नल्स को 1983 में मिला था प्लाट
मुंबई के दमकल विभाग के पास पहुंचे कागजात इस इमारत को कांग्रेस भवन बता रहे हैं। यहां बन रही इमारत कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स है। इसमें 11 मंजिलें हैं। इसमें 140 गाड़ियों की पार्किंग के लिए विशेष सुविधा है। मूलतः पिछड़े वर्ग के छात्रावास के लिए आरक्षित यह प्लाट अखबार का कार्यालय बनाने के लिए एसोसिएट जर्नल्स को 1983 में दिया गया था, जो कि यहां अब तक नहीं बना।
पार्टी दफ्तर के लिए बाजार मूल्य से खरीदें प्लाट
यह खुलासा करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांग की है कि अगर उद्देश्यों का पालन नहीं हो रहा तो प्लाट को लौटा दिया जाना चाहिए। पार्टी दफ्तर बनाने के लिए रियायती मूल्य के बजाए बाजार मूल्य से कांग्रेस को प्लाट खरीदना चाहिए।
कॉमर्शियल इस्तेमाल के बिना दफ्तर का खर्च कैसे चले
उधर नेशनल हेरॉल्ड के लिए दी गई जमीन को लेकर हर खुलासे पर स्थानीय कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है। नेता इस पूरी गतिविधि का समर्थन कर रहे हैं। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम कह रहे हैं कि, ऐसी इमारत का कुछ हिस्सा कॉमर्शियल इस्तेमाल के लिए रखना ही होगा। कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं करेंगे तो दफ्तर का खर्च कहां से चलेगा? निरुपम ने दावा किया है कि देशभर में पार्टियों के दफ्तर इसी तरह चलते हैं।
वैसे याद रहे कि, नेशनल हेरॉल्ड के लिए दी गई मूल जमीन के एक हिस्से को अलग कर वहां पहले ही रिहायशी इमारत बनाई गई है, जो कि फिलहाल कई कांग्रेसी नेताओं का घर है।
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