भारत, अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से आए मनोचिकित्सकों ने एकमत से इस बात को स्वीकार किया कि पश्चिमी चिकित्सा पद्धति और भारतीय चिकित्सा पद्धति के समन्वय से ही सभी बीमारियों का प्रभावी इलाज संभव है. यह राय दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज द्वारा आयोजित सम्मेलन में उभरकर आई.
दौलत राम कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग द्वारा हाल ही में चिकित्सा पद्धतियों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. अलग-अलग देशों से आए विख्यात विद्वान प्रो सुधीर कक्कड़, प्रो रॉय मूडली, प्रो वलेरी चिरकोव, प्रो जेफ किंग, प्रो जितेन्द्र मोहन, प्रो मीना सहगल, प्रो जितेन्द्र नागपाल, प्रो एसपीके जेना आदि इस सम्मेलन में उपस्थित थे.
दो दिवसीय विचार गोष्ठी में पारंपरिक जापानी पद्धति, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की उपचारात्मक स्वास्थ्य पद्धति से लेकर ऑस्ट्रेलिया के सामोन प्रवासियों की परंपरा से सम्बद्ध सत्र हुए. छात्रों, शोधार्थियों और अभ्यासकर्ताओं द्वारा पाश्चात्य उपचारों को पारंपरिक औषधियों और क्रियाओं से जोड़ने में अनुभव किए गए निष्कर्षों और चुनौतियों पर चर्चा की गई.
डॉ मीतू खोसला और डॉ रजनी साहनी द्वारा इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया. दिल्ली विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय, आम्बेडकर विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, निमहंस, आईआईटी दिल्ली, मुम्बई के व्यावहारिक विज्ञानों के टाटा संस्थान, क्राइस्ट कॉलेज, अंतरराष्ट्रीय संस्थान वाशिंगटन विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, सिडनी विश्वविद्यालय, सस्केचेवान विश्वविद्यालय, ट्रिनिटी कॉलेज, जॉन होपकिन्स विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों ने भी इस आयोजन में भाग लिया.
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प्राचार्या डॉ सविता रॉय ने संवाद के लिए दूसरे के प्रति खुलापन और स्वीकृति की आवश्यकता पर बल दिया. विभिन्न नृत्य गीतों से युक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया. इस सम्मेलन ने भावी शोध, अंतर सांस्कृतिक विचार विमर्श, उच्च शिक्षा तथा आपसी हित के विषयों पर सहकारिता की संभावनाओं को भी प्रोत्साहित किया.
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