दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक ग्रामीण सेवा के ड्राइवर और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मारपीट के मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने शुरू कर दी है. पता चला है सरबजीत के खिलाफ पहले से ही चार आपराधिक मामले दर्ज हैं. अब जांच इस बात की भी की जा रही है कि जिस तरीके से पुलिसकर्मियों ने ड्राइवर को काबू किया क्या उससे बचा जा सकता था?
दिल्ली के मुखर्जी नगर में सरजबीत को जब एएसआई योगवीर ने पीछे से पकड़कर काबू में कर लिया था, तो उसे बाकी पुलिसकर्मी बेरहमी से पीटते क्यों रहे? लोग वीडियो बनाते रहे. क्या इससे बचा जा सकता था. अब जॉइंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी इसी बात की जांच कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक इस बात की बाकायदा ट्रेनिंग होती है कि जब कोई हथियार लहरा रहा हो तो उसे किस तरह काबू में करना है. सवाल यह है कि उस ट्रेनिंग में क्या और सुधार की जरूरत है.
दिल्ली के मुखर्जी नगर मामले में पुलिस ने दो क्रॉस एफआईआर दर्ज कीं
मारपीट का ये मामला अब राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा है. सोमवार की रात हज़ारों की संख्या में फिर लोग मुखर्जी नगर थाने के बाहर इकट्ठे हुए और उन्होंने अपने ही समुदाय के अकाली नेता मनिंदर जीत सिंह सिरसा की पिटाई कर दी. आरोप लगाया कि वे पुलिस से मिले हुए हैं. कुछ पत्रकारों को भी पीटा गया. इससे पहले रविवार को वाहनों में तोड़ फोड़ की गई थी और 8 पुलिसकर्मियों समेत एक एसीपी को बुरी तरह पीटा गया. हंगामा कर रहे लोग अलग अलग गुटों और राजनीतिक दलों में बंटे हुए हैं. कुछ लोग सरबजीत के कृपाण लहराने को सही मानते हैं, तो कुछ गलत.
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जांच में पुलिस को सरबजीत के खिलाफ 4 आपराधिक मामले और मिले हैं. उसके खिलाफ तीन केस शांतिभंग के दर्ज हैं. मारपीट का एक केस संसद मार्ग थाने में दर्ज है. तब उसने गुरुद्वारा बंगला साहिब के सेवादार का झगड़े के बाद हाथ तोड़ दिया था. क्राइम ब्रांच ने वारदात के पूरे वीडियो फुटेज, सीसीटीवी फुटेज और दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं. उसकी वह ग्रामीण सेवा की गाड़ी भी जब्त कर ली गई है जिसे उसके बेटे ने पुलिसकर्मियों पर चढ़ाया था.
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पुलिस ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है.
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