कलकत्ता हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
कोलकाता:
कलकात्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार की एक अधिसूचना रद्द कर दी जिसमें राजनीतिक कैदियों की पेंशन रोक दी गई थी। इस पेंशन की शुरुआत पूर्ववर्ती वाम मोर्चे की सरकार ने की थी।
सन 1977 में शुरू की गई थी पेंशन
न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी ने एक याचिका पर अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। वाम मोर्चा की सरकार ने 1977 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से ‘असिस्टेंस टू पोलिटिकल सफर्स स्कीम’ की शुरुआत की थी। यह जानकारी उनके वकील विकास भट्टाचार्य ने दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से 15 जनवरी 2013 को राजनीतिक कैदियों की पेंशन बंद कर दी।
राज्य सरकार ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि पेंशन का उद्देश्य वाम मोर्चा के करीबी लोगों को उपहार देना है और इस तरह से यह राजनीति से प्रेरित योजना है।
सन 1977 में शुरू की गई थी पेंशन
न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी ने एक याचिका पर अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। वाम मोर्चा की सरकार ने 1977 में राज्य की सत्ता में आने के बाद से ‘असिस्टेंस टू पोलिटिकल सफर्स स्कीम’ की शुरुआत की थी। यह जानकारी उनके वकील विकास भट्टाचार्य ने दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने एक अधिसूचना के माध्यम से 15 जनवरी 2013 को राजनीतिक कैदियों की पेंशन बंद कर दी।
राज्य सरकार ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि पेंशन का उद्देश्य वाम मोर्चा के करीबी लोगों को उपहार देना है और इस तरह से यह राजनीति से प्रेरित योजना है।
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