मुंबई की एक अदालत ने उपनगर मानखुर्द इलाके में 30 साल की महिला से दुष्कर्म के जुर्म में चार लोगों को 20 साल की सजा सुनाई है. अदालत ने कहा कि अपराध ‘‘गंभीर प्रकृति'' का है. अदालत ने कहा, ‘‘यौन हिंसा गंभीर जन स्वास्थ्य संकट है, जिसका व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर लघु तथा दीर्घकालीन दोनों असर होता है.''
सत्र न्यायाधीश एसजे घरात ने 25 मई को प्रणय इंगले (24), अमोल इझाक (23), संदीप शिवाजी कांबले (24) और अजय कांबले (24) के खिलाफ आदेश पारित किया. इस मामले की जानकारी शनिवार को उपलब्ध हुई.
अभियोजन के अनुसार, 30 वर्षीय महिला से आरोपियों ने तब दुष्कर्म किया जब वह इलाके में हुई ‘लावणी' (महाराष्ट्र लोक नृत्य) देखने के बाद घर लौट रही थी. पीड़ित महिला के पति की मृत्यु हो गई है और उसके तीन बच्चे हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों ने दलील दी है कि उनकी उम्र बहुत कम है तथा उनका परिवार उन पर निर्भर है.
न्यायाधीश घरात ने कहा, ‘‘हालांकि, दुष्कर्म के अपराध और खासतौर से सामूहिक दुष्कर्म के लिए आरोपियों की कम उम्र की दलील नहीं दी जा सकती है. अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि सजा अपराध की गंभीरता के अनुरूप हो.''
अदालत ने कहा कि अपराध के लिए न्यूनतम सजा 20 साल है, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है.
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