जब से कोरोना काल शुरू हुआ है होटल इंडस्ट्री का बिजनेस पूरी तरह से जीरो हो गया है क्योंकि ना इनको पहले खोलने की इजाजत थी और ना ही आज तक मिल पाई है. लेकिन दिल्ली के होटल वाले इन दिनों बिजली के बिलों से परेशान हैं. हज़ारों रुपये के ये बिजली के बिल इन दिनों दिल्ली के होटल वालों के जी का जंजाल बने हुए हैं.
दिल्ली के करोल बाग इलाके में होटल गेस्ट हाउस की भरमार है. यहां का 27 कमरों का होटल सोपान हाइट्स भी मार्च से बंद है. बंद होटल के डाइनिंग एरिया में बैठे होटल मालिक महेंद्र गुप्ता बिजली का बिल जांच रहे हैं और ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि जब होटल लॉकडाउन के चलते बंद है तो अप्रैल-मई का 67,450 रुपये का बिल कैसे आ गया? बताते हैं कि मीटर की रीडिंग लेने कोई नहीं आया...बिना बिजली इस्तेमाल किए हजारों रुपये का बिल आ गया.
महेंद्र गुप्ता ने बताया 'मार्च-अप्रैल में हमारा 48000 रुपये का बिल आया और अब जो अप्रैल से मई का बिल आया है जिसमें 100 फीसदी लॉकडाउन है जिसमें होटल में किसी के रुकने का सवाल ही नहीं उठता उसमें 67450 का बिल आया है. तो जब लॉकडाउन है तो खपत कहां से हो रही है, मुझे समझ में नहीं आता!'
दिल्ली एयरपोर्ट के पास महिपालपुर में कतार में होटल ही होटल हैं. बंद पड़े इन्हीं होटलों में है 33 कमरों का होटल वेव्स. होटल मालिक बॉबी लोहिया ने बताया कि 26 मार्च को होटल का 1 महीने का बिजली बिल 1 लाख 5 हज़ार रुपये lockdown के चलते नहीं चुका सके. अब काम बंद होने के बाद अपने स्टाफ़ के खर्च के चलते बिल चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन बिना खास इस्तेमाल के....दो महीने में फिक्स चार्ज और लेट पेमेंट सरचार्ज 44,000 जोड़कर अब उनसे 1 लाख 49 हज़ार रुपये देने को कहा जा रहा है. कहते हैं हज़ारों रुपये का फिक्स चार्ज किस बात का दें?
बॉबी लोहिया ने कहा 'जब हमारा होटल ही बंद पड़ा हुआ है तो फिक्स चार्ज किस बात का? अगर हमारा होटल चल रहा होता तो हमें फिक्स चार्ज देने में कोई दिक्कत नहीं होती, हम सालों से देते हुए आ रहे हैं. लेकिन पिछले 2 महीने से हमारा होटल ही बंद पड़ा हुआ है उसके बावजूद हमें फिक्स चार्ज देना पड़ेगा?'
दिल्ली होटल एंड रेस्टोरेंट ऑनर एसोसिएशन के मुताबिक दिल्ली में करीब 2000 होटल और गेस्ट हाउस हैं. पिछले 2 महीने से काम बिल्कुल नहीं है इसलिए पहले ही हालत खराब है. ऐसे में हजारों के बिजली बिल कहां से देंगे? एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा 'हमारी स्थिति बहुत खराब है हमारे पास पैसा नहीं है हमारा बैंक बैलेंस खाली हो चुका है हमें नहीं पता हमारा 3 महीने गुजारा कैसे चलेगा. क्या पता किसी से लोन लेना पड़े सरकार तो हमको लोन देगी नहीं. हमें निजी तौर पर किसी से उधार लेना पड़ेगा दोस्त से या पड़ोसी से लेकर घर चलाना पड़ेगा. आज हमारे पास घर चलाने के लिए पैसा नहीं है वो कह रहे हैं बिजली का बिल दे दो. वह कह रहे हैं पानी का बिल दे दो, वह कह रहे हैं हाउस टैक्स दे दो ...हम कहां से देंगे? हम कहां से तनख्वाह देंगे आज हमारे पास कुछ नहीं है हम ठन ठन गोपाल हैं.'
BSES का पक्ष
दिल्ली में बिजली वितरण का काम निजी कंपनियों के हाथों में हैं. कुल 3 बिजली वितरण कंपनियों में से दो बीएसईएस की है. BSES के मुताबिक बीएसईएस डीईआरसी के सभी नियमों का अनुपालन कर रहा है. वाणिज्यिक और औद्योगिक सहित हमारे सभी उपभोक्ताओं के पास स्वयं मीटर रीडिंग का विकल्प है. कई उपभोक्ता पहले से ही ऐसा कर रहे हैं. मीटर रीडिंग के अभाव में, 4 मई, 2020 के डीईआरसी आदेश के अनुपालन में, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र में उपभोक्ताओं को केवल फिक्स्ड और संबंधित शुल्कों के आधार पर प्रोविजनल बिल भेजे जा रहे हैं. उन्हें ऊर्जा शुल्क के लिए बिल नहीं दिया जा रहा है. इस आदेश से पहले जारी किए गए बिलों को उपभोक्ताओं की इस श्रेणी के लिए वापिस ले लिया गया है, इसलिए इन शिकायतों को पहले ही संबोधित किया जा चुका है. कोरोना वायरस के प्रसार और उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सरकार के उपायों के समर्थन में, बीएसईएस सेवाओं में से कुछ, जिनमें मीटर रीडिंग और बिल वितरण शामिल हैं, को बंद कर दिया गया था. सभी आवश्यक सुरक्षा सावधानियों का पालन करते हुए, हमने अपने उपभोक्ताओं के एक निश्चित हिस्से के लिए मीटर रीडिंग फिर से शुरू की है. अभ्यास धीरे-धीरे तेज़ किया जाएगा.'