
विदेशों में काम करने वाले भारतीयों ने 2024 में रिकॉर्ड 129.4 अरब डॉलर अपने देश भेजे हैं. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ही भारत को अब तक का सबसे ज्यादा 36 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत लगातार दुनिया का टॉप रेमिटेंस पाने वाला देश बना हुआ है.
दुनिया में भारत टॉप, जानें कौन-कौन से देश आगे हैं?
वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में भारत को सबसे ज्यादा 129.4 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला. इसके बाद दूसरे नंबर पर मैक्सिको (68 अरब डॉलर), तीसरे पर चीन (48 अरब डॉलर), चौथे पर फिलीपींस (40 अरब डॉलर) और पांचवें स्थान पर पाकिस्तान (33 अरब डॉलर) रहा.
रेमिटेंस क्यों बढ़ा? जानें इसकी वजह
- पिछले कुछ सालों में विदेशों में काम करने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 1990 में यह 66 लाख थी, जो अब 1.85 करोड़ हो चुकी है.
- दुनिया भर में रह रहे भारतीयों में से लगभग 50% गल्फ देशों में काम कर रहे हैं.
- कोविड-19 के बाद कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था सुधरी और नौकरियों में बढ़ोतरी हुई, जिससे भारतीयों की कमाई भी बढ़ी.
- वर्ल्ड बैंक के अनुसार, रेमिटेंस अब विदेशी निवेश ( FDI ) से ज्यादा हो गया है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हो रहा है.
पिछले 10 साल में रेमिटेंस कितना बढ़ा?
पिछले दशक में रेमिटेंस में 57% की बढ़ोतरी हुई, जबकि विदेशी निवेश (FDI) में 41% की गिरावट आई.भारत के ग्लोबल माइग्रेंट्स में शेयर 4.3% से बढ़कर 6% हो गया है.
रेमिटेंस क्यों जरूरी है?
रेमिटेंस वह पैसा होता है जो विदेशों में काम करने वाले लोग अपने देश में अपने परिवार या निवेश के लिए भेजते हैं.यह रकम किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता है और देश के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.भारत को मिलने वाला रेमिटेंस दुनिया में सबसे ज्यादा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिलता है.
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