
जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तब भारत एक पॉजिटिव मिसाल बनकर उभरा है. संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस समय उन कुछ गिनी-चुनी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहां तेज विकास की उम्मीद बनी हुई है. दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जहां धीमे ग्रोथ, ट्रेड टेंशन और इन्वेस्टमेंट गिरने जैसी चुनौतियों का सामना कर रही हैं, वहीं भारत की ग्रोथ रफ्तार सबसे तेज मानी गई है.
संयुक्त राष्ट्र ने भारत पर जताया भरोसा
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स यानी डब्ल्यूईएसपी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इकोनॉमी मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में 6.3% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, और यह 2026 तक 6.4% रहने का अनुमान है.यह ग्रोथ रेट दुनिया की बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा है. वहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक ग्रोथ 2025 में गिरकर 2.4% रह सकती है, जो इस साल के अनुमान 2.9% से काफी कम है.
क्यों मजबूत बनी हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था?
भारत की इकोनॉमी को जो चीजें मजबूती दे रही हैं, उनमें सबसे बड़ी वजह है देश के अंदर की डिमांड यानी घरेलू मांग, सरकार का लगातार खर्च बढ़ाना और स्मार्ट पॉलिसी डिसीजन. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में रोजगार में सुधार हुआ है और महंगाई दर भी अब कंट्रोल में है. 2025 तक महंगाई के 4.3% तक आने की उम्मीद है, जो आरबीआई के टारगेट रेंज में है.
शेयर बाजार और पूंजी बाजार ने दिखाई ताकत
भारत का फाइनेंशियल मार्केट भी पॉजिटिव सिग्नल दे रहा है. निवेशकों का भरोसा बना हुआ है, जिसकी वजह से शेयर बाजार ने रिकॉर्ड हाई छू लिया है. यहां तक कि दुनिया के कई उभरते देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है. IPO मार्केट भी एक्टिव रहा है और इस कारण हुंडई और एलजी जैसी बड़ी ग्लोबल कंपनियों ने भारत में अपनी लोकल यूनिट्स को लिस्ट कराने का प्लान बनाया है. ये संकेत देते हैं कि भारत अब सिर्फ एक कंजम्प्शन मार्केट नहीं, बल्कि ग्लोबल फाइनेंशियल इकोसिस्टम का अहम हिस्सा बन रहा है.
मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में रिकॉर्ड ग्रोथ
भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी अब ग्लोबल लेवल पर अपनी पकड़ बना रहा है. बीते 10 साल में मैन्युफैक्चरिंग की वैल्यू लगभग दोगुनी हो गई है. वित्त वर्ष 2013-14 में यह 15.6 लाख करोड़ थी, जो 2023-24 में बढ़कर करीब 27.5 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई.
एक्सपोर्ट के मामले में भी भारत ने रिकॉर्ड बनाया है. 2024-25 में कुल निर्यात 824.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर से 6% ज्यादा है. अगर 10 साल पीछे जाएं तो 2013-14 में यह सिर्फ 466.22 बिलियन डॉलर था. इससे साफ है कि भारत का ग्लोबल ट्रेड लगातार बढ़ रहा है.
डिफेंस सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ
डिफेंस सेक्टर में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाई है. 2023-24 में डिफेंस प्रोडक्शन का वैल्यू 1,27,434 करोड़ रुपए रहा, जो 2014-15 के मुकाबले 174% की बढ़त है. सिर्फ प्रोडक्शन ही नहीं, डिफेंस एक्सपोर्ट भी 34 गुना तक बढ़ चुका है. 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात केवल 686 करोड़ रुपए था, जो 2024-25 में बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए हो गया है. अब भारत के डिफेंस प्रोडक्ट करीब 100 देशों में एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं, जो इसे एक स्ट्रैटेजिक ग्लोबल डिफेंस सप्लायर बनाता है.
भारत बन रहा है ग्लोबल इकोनॉमिक इंजन
इन सभी फैक्टर्स से साफ है कि भारत न सिर्फ तेजी से आगे बढ़ रहा है, बल्कि ग्लोबल अनिश्चितताओं के बावजूद एक स्थिर और मजबूत इकोनॉमी बनकर उभर रहा है. चाहे इन्वेस्टमेंट हो, मैन्युफैक्चरिंग, एक्सपोर्ट या पॉलिसी मेकिंग हर सेक्टर में भारत की स्थिति बेहतर होती दिख रही है.
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