
अगर आप सोना खरीदने (Gold Buying) की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है. देश में इस साल यानी 2025 में सोने की खपत यानी डिमांड 5 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकती है. इसकी बड़ी वजह है सोने के दामों (Gold Rate) में जोरदार उछाल, जिसने गहनों की खरीद को काफी हद तक प्रभावित किया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
महंगा सोना बना खरीदारों की जेब पर बोझ
WGC के मुताबिक, इस साल भारत में गोल्ड डिमांड 600 से 700 मीट्रिक टन के बीच रह सकती है. यह 2020 के बाद सबसे कम होगी. जबकि 2024 में यह डिमांड करीब 802.8 टन थी. अगर सोने की कीमतें इसी स्तर पर स्थिर रहती हैं तो डिमांड 700 टन तक जा सकती है, लेकिन अगर दाम और 10-15% बढ़े, तो यह 600 टन तक गिर सकती है.
गहनों की खरीद पर सबसे ज्यादा असर
इस साल अप्रैल से जून के बीच सोने की कुल खपत में 10% की गिरावट देखी गई. खासकर ज्वेलरी खरीद में 17% की कमी आई है. वहीं, निवेश की मांग में थोड़ी तेजी देखी गई है इसमें 7% की बढ़त रही. रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर तिमाही में भी डिमांड घटने के आसार हैं, जबकि पिछले साल इसी समय सरकारी इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती के चलते खरीदी बढ़ी थी.
इतनी तेजी से बढ़े हैं सोने के दाम
2025 की शुरुआत से अब तक देश में सोने की कीमतों में 28% का उछाल आ चुका है. जून में सोना 10 ग्राम के लिए रिकॉर्ड 1,01,078 रुपये तक पहुंच गया था. पिछले साल यानी 2024 में भी सोना 21% महंगा हुआ था.
निवेश का रुझान बढ़ा, गोल्ड ETF की मांग बढ़ी
हालांकि सोने के लगातार बढ़ते दामों ने निवेशकों का रुझान बढ़ाया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फिजिकल गोल्ड के साथ-साथ गोल्ड ETF में निवेश करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. जून महीने में भारत में गोल्ड ETF में इनफ्लो 10 गुना बढ़कर करीब 20.81 अरब रुपये हो गया. यह पांच महीने का उच्चतम स्तर है. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी गोल्ड ETF तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं.
सोने की खरीदारी से पहले कीमतों पर रखें नजर
अगर आप गोल्ड खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो जरूरी है कि कीमतों पर नजर रखें. एक्सपर्ट का मानना है कि अगर मौजूदा स्तर पर दाम स्थिर रहते हैं, तो त्योहारी सीजन में थोड़ी बहुत डिमांड लौट सकती है. लेकिन अगर कीमतें और बढ़ीं, तो आम खरीदारों के लिए सोना खरीदना और मुश्किल होता जाएगा.
ये रिपोर्ट बताती है कि कैसे लगातार बढ़ते दामों ने सोने की पारंपरिक डिमांड को कमजोर कर दिया है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाती है कि अब सोना एक डिजिटल और इनवेस्टमेंट-फ्रेंडली प्रोडक्ट बनता जा रहा है. अगर दाम काबू में आते हैं तो आने वाले महीनों में डिमांड फिर से रफ्तार पकड़ सकती है.
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