कुल बजट का 12.78 प्रतिशत इस क्षेत्र को आवंटित किया गया है.
नई दिल्ली:
पड़ोसी देशों की बढ़ती प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए आम बजट में रक्षा क्षेत्र का खास ख्याल रखा गया है. इस बार के रक्षा बजट में 10 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ोतरी कर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि सरहदों की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी. कुल बजट का 12.78 प्रतिशत इस क्षेत्र को आवंटित किया गया है. यह लगातार दूसरी बार है कि सरकार ने रक्षा बजट में 10 प्रतिशत से ज्यादा का आवंटन किया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को पेश अपने बजट में रक्षा क्षेत्र में 2.74 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह कुल बजटीय राशि 21.47 लाख करोड़ रुपये का 12.78 प्रतिशत है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बजट में जिन मदों में सर्वाधिक आवंटन हुए हैं, उनमें रक्षा क्षेत्र को भी शामिल किया जा सकता है.
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इस बार के बजट में इन ऐतिहासिक जगहों को भी मिला स्थान
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पिछली बार बजट में रक्षा क्षेत्र की हिस्सेदारी तकरीबन 11 प्रतिशत थी. उससे पिछले साल यह आवंटन तकरीबन 10.5 प्रतिशत था. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक सेनाओं के आधुनिकीकरण की मांगों और जरूरतों के हिसाब से हालिया वर्षों में इस क्षेत्र के बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ इतना ही नहीं हाल में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती भी सामरिक दृष्टि से भारत के लिए चिंता का सबब रही है. हिंद महासागर में चीन, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से लेकर श्रीलंका के हम्बनटोटा पोर्ट तक भारत को घेरने की कोशिशों के तहत स्ट्रिंग ऑफ पर्ल (मोतियों की माला) का निर्माण करने की कोशिशों में हैं. इस क्षेत्र में उसकी परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्ब्यिों को भी देखा गया है. हाल में इस क्षेत्र में अमेरिका के शीर्ष कमांडर ने भी भारत को लेकर चिंता जाहिर की थी.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी को पेश अपने बजट में रक्षा क्षेत्र में 2.74 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह कुल बजटीय राशि 21.47 लाख करोड़ रुपये का 12.78 प्रतिशत है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बजट में जिन मदों में सर्वाधिक आवंटन हुए हैं, उनमें रक्षा क्षेत्र को भी शामिल किया जा सकता है.
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इस बार के बजट में इन ऐतिहासिक जगहों को भी मिला स्थान
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पिछली बार बजट में रक्षा क्षेत्र की हिस्सेदारी तकरीबन 11 प्रतिशत थी. उससे पिछले साल यह आवंटन तकरीबन 10.5 प्रतिशत था. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक सेनाओं के आधुनिकीकरण की मांगों और जरूरतों के हिसाब से हालिया वर्षों में इस क्षेत्र के बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी हुई है. सिर्फ इतना ही नहीं हाल में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती भी सामरिक दृष्टि से भारत के लिए चिंता का सबब रही है. हिंद महासागर में चीन, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से लेकर श्रीलंका के हम्बनटोटा पोर्ट तक भारत को घेरने की कोशिशों के तहत स्ट्रिंग ऑफ पर्ल (मोतियों की माला) का निर्माण करने की कोशिशों में हैं. इस क्षेत्र में उसकी परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्ब्यिों को भी देखा गया है. हाल में इस क्षेत्र में अमेरिका के शीर्ष कमांडर ने भी भारत को लेकर चिंता जाहिर की थी.
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