इनकम टैक्स छूट सीमा तीन लाख रुपये हो सकती है : SBI रिसर्च की रिपोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से लगातार इस बाबत उम्मीदें बलवती होती रहीं कि इनकम टैक्स (आयकर) में छूट के लिए सरकार उपाय करे. पिछले वित्तीय वर्ष में पेश किए गए बजट में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया लेकिन संकेत जरूर दिए गए थे. आगामी केंद्रीय बजट 2017 को लेकर भी जानकारों की राय है कि सरकार इनकम टैक्स की छूट जोकि अभी ढाई लाख रुपए है, को बढ़ाकर तीन से साढ़े तीन लाख रुपए कर सकती है. इसी कड़ी में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट ‘ईकोरैप’ आई है जिसके मुताबिक, सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुये अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है.
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इस दिशा में आयकर (Income Tax) छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जा सकता है और बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है. इस रिपोर्ट के अनुसार, आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है. आयकर की धारा 80C के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है. होमलोन के ब्याज पर भी कर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख से बढ़कर तीन लाख रुपए की जा सकती है. धारा 80C के तहत विभिन्न बचतों और निवेश पर मिलने वाली कर छूट सीमा 1.5 लाख से बढ़कर दो लाख रुपये की जा सकती है.
स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महा प्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा लेकिन हमें आय घोषणा योजना-दो के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है.’ SBI शोध के अनुसार, आय घोषणा योजना (IDS) के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपये की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.
(न्यूज एजेंसी भाषा से भी इनपुट)
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स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महा प्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा लेकिन हमें आय घोषणा योजना-दो के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है.’ SBI शोध के अनुसार, आय घोषणा योजना (IDS) के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपये की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.
(न्यूज एजेंसी भाषा से भी इनपुट)
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