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This Article is From Feb 28, 2016

राजकोषीय घाटा लक्ष्य पर संतुलित रुख अपनाएगी सरकार : अरविंद सुब्रमण्यम

राजकोषीय घाटा लक्ष्य पर संतुलित रुख अपनाएगी सरकार : अरविंद सुब्रमण्यम
अरविंद सुब्रमण्यम
नई दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि सरकार विभिन्न कारकों पर विचार करने के बाद राजकोषीय घाटे के अपने लक्ष्य पर संतुलित रख अपनाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि को बल देने के लिए सरकार आगामी बजट में ऊंचे राजकोषीय घाटे पर भी विचार कर सकती है।

यह बात उन्होंने एक साक्षात्कार में ये बात कही। कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बीच सरकार आर्थिक वृद्धि को बल देने के लिए सरकार क्या अपने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण खाके से हटेगी? यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों के पास बहुत अच्छे तर्क हैं.. इसलिए यह बहुत ही कठिन फैसला है।’ उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया सहित कुछ प्रमुख अर्थशास्त्री यह सुझाव दे चुके हैं कि सरकार को अधिक सार्वजनिक खर्च की राह चुननी चाहिए ताकि ऊंची आर्थिक वृद्धि दर हासिल की जा सके। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन सहित अन्य अर्थशास्त्रियों ने राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की राह से किसी तरह के विचलन के प्रति आगाह किया है।

संशोधित राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के तहत सरकार को 2016-17 में 3.5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना है। मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 3.9 प्रतिशत रहना अनुमानित है।

यह पूछे जाने पर कि मुख्य आर्थिक सलाहकार किस पक्ष में हैं, उन्होंने कहा,‘मुझे बहुत खुशी है कि मैं मुख्य राजनीतिक निर्णयकर्ता नहीं हूं, मैं केवल मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) हूं। कई बार सीईए विचारों से ऊपर होता है। इस समय मैं भी विचारों से ऊपर हूं। मेरे कोई विचार नहीं हैं। यह आप सोमवार को देखेंगे (जब बजट पेश किया जाएगा।)’

सुब्रमण्यम ने कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करने की योजना के मुद्दे को लेकर सरकार के भीतर शीर्ष स्तर पर बहुत ही जीवंत आंतरिक बहस हुई है।

उन्होंने कहा, ‘सवाल यह है हमें घाटे को बढ़ाना चाहिए या घाटे को घटाना चाहिए। सवाल यह है कि हम घोषित राह पर ही बने रहे या थोड़ी थीमी गति वाली राह चुनें। अब, बहुत मजबूत राय रखी जा चुकी है और सरकार को यह श्रेय है कि उसने बहस की अनुमति दी। हमने आर्थिक समीक्षा में दोनों पक्षों के तर्कों को बहुत निष्पक्षता से जगह दी है।’

उल्लेखनीय है कि आर्थिक समीक्षा 2015-16 में स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा साल के लिए 3.9 प्रतिशत के बजटीय घाटे के लक्ष्य का पालन किया जाएगा। इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत को देखते हुए अगला वित्त वर्ष ‘चुनौतीपूर्ण’ होगा।

समीक्षा में कहा गया है कि राजकोषीय मजबूती के लिए आक्रामण और आरामदायक दोनों प्रकारण की रणनीति के पक्ष और विपक्ष में बहुत अच्छे तर्क दिये गये है। आरामदायक रणनीति के पक्ष में कहा जा रहा है कि घाटे को एक संभालने योग्य रखते हुए मांग पर प्रतिकूल प्रभाव से बचा जाए ताकि आर्थिक स्थिति में सुधार की प्रक्रिया को झटका न लगे क्यों कि यह अब भी नाजुक दौर में है।

एक सुझाव है कि राजकोषीय धाटे को साल दर साल 0.2-0.3 प्रतिशत के दायरे में कम किया जाए। इससे इसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत तक लाने में मार्च 2021 तक का वक्त लगेगा। अभी इसे 2017-18 तक 3 प्रतिशत पर लाने की योजना है। जीएसटी के बारे में सुब्रमण्यम ने उम्मीद जताई की विधेयक चालू बजट सत्र में पारित हो जाएगा।

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