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6 years ago
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'मन की बात' (Mann ki Baat) कार्यक्रम के 53वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया. पीएम ने कहा कि 'मन की बात' शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है.10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया. इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया. देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था. इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास करने वाले विश्व के मानवतावादी समुदायों में भी है. भारत-माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले देश के सभी वीर सपूतों को मैं नमन करता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि यह शहादत आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी. देश के सामने आयी इस चुनौती का सामना, हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है ताकि आतंक के खिलाफ़ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों. 

 

पीएम ने कहा कि 'मन की बात' कार्यक्रम के माध्यम से आप सब से जुड़ना मेरे लिए एक अनोखा अनुभव रहा है. रेडियो के माध्यम से मैं एक तरह से करोड़ों परिवारों से हर महीने रूबरू होता हूं. चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है. अगले दो महीने, हम सभी चुनाव की गहमा-गहमी में व्यस्त होगें. मैं स्वयं भी इस चुनाव में एक प्रत्याशी रहूँगा. मार्च, अप्रैल और मई, ये तीन महीने की सारी हमारी जो भावनाएं हैं उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार 'मन की बात' के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा. स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का सम्मान करते हुए अगली 'मन की बात' मई महीने के आखरी रविवार को होगी.
पीएम ने कहा कि भारत की बात हो और त्यौहार की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. शायद ही हमारे देश में कोई दिन ऐसा नहीं होता है, जिसका महत्व ही न हो, जिसका कोई त्यौहार न हो. क्योंकि हज़ारों वर्ष पुरानी संस्कृति की ये विरासत हमारे पास है.
देशभर  में अलग-अलग शिक्षा बोर्ड अगले कुछ हफ़्तों में दसवीं और बारहवीं कक्षा के board के इम्तिहान के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करेंगें. परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थियों को, उनके अभिभावकों को और सभी शिक्षकों को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ हैं.

किसान चाची ने अपने इलाके की 300 महिलाओं को 'Self Help Group' से जोड़ा और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने गाँव की महिलाओं को खेती के साथ ही रोज़गार के अन्य साधनों का प्रशिक्षण दिया.

अमेरिका की Tao Porchon-Lynch के बारे में सुनकर आप सुखद आश्चर्य से भर जाएंगे | Lynch आज योग की जीती-जागती संस्था बन गई है. सौ वर्ष की उम्र में भी वे दुनिया भर के लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रही हैं और अब तक डेढ़ हज़ार लोगों को योग शिक्षक बना चुकी हैं. वहीं, झारखण्ड में 'Lady Tarzan' के नाम से विख्यात जमुना टुडू ने टिम्बर माफिया और नक्सलियों से लोहा लेने का साहसिक काम किया. उन्होंने न केवल 50 हेक्टेयर जंगल को उजड़ने से बचाया बल्कि दस हज़ार महिलाओं को एकजुट कर पेड़ों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया. 
पद्म पुरस्कार पाने वालों में मराठवाड़ा के शब्बीर सैय्यद गौ-माता के सेवक के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने जिस प्रकार अपना पूरा जीवन गौमाता की सेवा में खपा दिया ये अपने आप में अनूठा है. तो वहीं, मदुरै चिन्ना पिल्लई वही शख्सियत हैं, जिन्होंने सबसे पहले तमिलनाडु में कलन्जियम आन्दोलन के जरिए पीड़ितों और शोषितों को सशक्त करने का प्रयास किया. साथ ही समुदाय आधारित लघु वित्तीय व्यवस्था की शुरुआत की.
गुजरात के अब्दुल गफूर खत्री जी को ही लीजिए, उन्होंने कच्छ के पारंपरिक रोगन पेंटिंग को पुनर्जीवित करने का अद्भुत कार्य किया. वे इस दुर्लभ चित्रकारी को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का बड़ा कार्य कर रहे हैं
ओडिशा के दैतारी नायक के बारे में आपने जरुर सुना होगा उन्हें 'Canal Man of the Odisha'  यूँ ही नहीं कहा जाता, दैतारी नायक ने अपने गाँव में अपने हाथों से पहाड़ काटकर तीन किलोमीटर तक नहर का रास्ता बना दिया.अपने परिश्रम से सिंचाई और पानी की समस्या हमेशा के लिए ख़त्म कर दी.
हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था और यह दिन 4 वर्ष में एक बार ही आता है. सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे. भारतीय लोकतंत्र के महात्म्य को बनाए रखने में मोरारजी भाई देसाई के अमूल्य योगदान को, आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा याद रखेंगे।  एक बार फिर ऐसे महान नेता को मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
पीएम ने कहा कि जमशेदजी टाटा सही मायने में एक दूरदृष्टा थे, जिन्होंने ना केवल भारत के भविष्य को देखा बल्कि उसकी मजबूत नींव भी रखी. वे भली-भांति जानते थे कि भारत को साइंस, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री का हब बनाना भविष्य के लिए आवश्यक है. ये उनका ही विजन था जिसके परिणामस्वरूप Tata Institute of Science की स्थापना हुई जिसे अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कहा जाता है. यही नहीं उन्होंने टाटा स्टील जैसे कई विश्वस्तरीय संस्थानों को और उद्योगों की भी स्थापना की.
पीएम ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने 25 वर्ष की अल्प आयु में ही अपना बलिदान दे दिया. बिरसा मुंडा जैसे भारत माँ के सपूत, देश के हर भाग में हुए है. शायद हिंदुस्तान का कोई कोना ऐसा होगा कि सदियों तक चली हुई आज़ादी की इस जंग में, किसी ने योगदान ना दिया हो. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इनके त्याग, शौर्य और बलिदान की कहानियाँ नई पीढ़ी तक पहुँची ही नहीं. अगर, भगवान 'बिरसा मुंडा' जैसे व्यक्तित्व ने हमें अपने अस्तित्व का बोध कराया तो जमशेदजी टाटा जैसी शख्सियत ने देश को बड़े-बड़े संस्थान दिए
भगवान 'बिरसा मुंडा' ने अंग्रेजों से न केवल राजनीतिक आज़ादी के लिए संघर्ष किया बल्कि आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी. अपने छोटे से जीवन में उन्होंने ये सब कर दिखाया. वंचितों और शोषितों के अंधेरे से भरे जीवन में सूरज की तरह चमक बिखेरी.
पीएम ने कहा कि अंग्रेजों ने छिप कर, बड़ी ही चालाकी से उन्हें उस वक़्त पकड़ा था जब वे सो रहे थे. क्या आप जानते हैं कि उन्होंने ऐसी कायरतापूर्ण कार्यवाही का सहारा क्यों लिया ? क्योंकि इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने वाले अंग्रेज भी उनसे भयभीत रहते थे. भगवान 'बिरसा मुंडा' ने सिर्फ अपने पारंपरिक तीर-कमान से ही बंदूकों और तोपों से लैस अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख दिया था. दरअसल, जब लोगों को एक प्रेरणादायी नेतृत्व मिलता है तो फिर हथियारों की शक्ति पर लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति भारी पड़ती है.
ये दोनों व्यक्तित्व पूरी तरह से दो अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं जिन्होंने झारखण्ड की विरासत और इतिहास को समृद्ध किया. 'मन की बात' में 'बिरसा मुंडा' और 'जमशेदजी टाटा' को श्रद्धांजलि देने का एक प्रकार से झारखण्ड के गौरवशाली इतिहास और विरासत को नमन् करने जैसा है. इन दो महान विभूतियों ने झारखण्ड का नहीं पूरे देश का नाम बढ़ाया है. पूरा देश उनके योगदान के लिए कृतज्ञ है. आज, अगर हमारे नौजवानों को मार्गदर्शन के लिए किसी प्रेरणादायी व्यक्तित्व की जरुरत है तो वह है भगवान 'बिरसा मुंडा'.
आतिश मुखोपाध्याय जी ने लिखा है कि वर्ष 1900 में 3 मार्च को, अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को गिरफ्तार किया था तब उनकी उम्र सिर्फ 25 साल की थी ये संयोग ही है कि 3 मार्च को ही जमशेदजी टाटा की जयंती भी है.
पीएम ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में मुझे नेशनल पुलिस मेमोरियल को भी देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला था. वह भी हमारे उस विचार का प्रतिबिम्ब था जिसके तहत हम मानते हैं कि देश को उन पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए जो अनवरत हमारी सुरक्षा में जुटे रहते हैं.
पीएम ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में मुझे नेशनल पुलिस मेमोरियल को भी देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला था. वह भी हमारे उस विचार का प्रतिबिम्ब था जिसके तहत हम मानते हैं कि देश को उन पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए जो अनवरत हमारी सुरक्षा में जुटे रहते हैं.
पीएम ने कहा कि इसके बाद रक्षक चक्र, सुरक्षा को प्रदर्शित करता है. इस सर्कल में घने पेड़ों की पंक्ति है. ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है. कुल मिला कर देखें तो राष्ट्रीय सैनिक स्मारक की पहचान एक ऐसे स्थान के रूप में बनेगी जहाँ लोग देश के महान शहीदों के बारे में जानकारी लेने, अपनी कृतज्ञता प्रकट करने, उन पर शोध करने के उद्देश्य से आयेंगे.
अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है. दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है जो सैनिकों के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है. यह एक ऐसी गैलरी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी के कारनामों को उकेरा गया है. इसके बाद, त्याग चक्र है यह सर्कल सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है. इसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं.
पीएम ने कहा कि स्मारक का डिजाईन, हमारे अमर सैनिकों के अदम्य साहस को प्रदर्शित करता है. राष्ट्रीय सैनिक स्मारक का concept, Four Concentric Circles यानी चार चक्रों पर केंद्रित है, जहाँ एक सैनिक के जन्म से लेकर शहादत तक की यात्रा का चित्रण है.
पीएम ने कहा कि इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है. मुझे विश्वास है ये देशवासियों के लिए राष्ट्रीय सैनिक स्मारक जाना किसी तीर्थ स्थल जाने के समान होगा. यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है. 
हमने नेशनल वार मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और मुझे खुशी है कि यह स्मारक इतने कम समय में बनकर तैयार हो चुका है. 25 फरवरी को हम करोड़ों देशवासी इस राष्ट्रीय सैनिक स्मारक को, हमारी सेना को सुपुर्द करेंगे. देश अपना कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास करेगा.
पीएम ने कहा कि हम सबको जिस वार मेमोरियल का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है. इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है. एक ऐसा मेमोरियल, जहां राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके. 
देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है - उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी. हमारी आँखों के सामने, ये जीते-जागते उदाहरण हैं और यही उज्ज्वल भारत के भविष्य के लिए प्रेरणा का कारण हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं युवा-पीढ़ी से अनुरोध करूँगा कि वो, इन परिवारों ने जो जज़्बा दिखाया है, जो भावना दिखायी है उसको जानें, समझने का प्रयास करें .
पीएम ने कहा कि चाहे वो देवरिया के शहीद विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के शहीद हेमराज का छः साल का बेटा हो - शहीदों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई हैं. 
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी ही भावनाएँ, हमारे वीर, पराक्रमी शहीदों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं. हमारा एक भी वीर शहीद इसमें अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है.
पीएम ने कहा कि ओडिशा के जगतसिंह पुर के शहीद प्रसन्ना साहू की पत्नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है . उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी सीआरपीएफ ज्वाइन कराने का प्रण लिया है. जब तिरंगे में लिपटे शहीद विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुंचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊंगा . इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है.
पीएम ने कहा कि बिहार के भागलपुर के शहीद रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने, दुःख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है. उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो ख़ुद भी लड़ने जाएँगे.
सेना ने आतंकवादियों और उनके मददगारों के समूल नाश का संकल्प ले लिया है. वीर सैनिकों की शहादत के बाद, मीडिया के माध्यम से उनके परिजनों की जो प्रेरणादायी बातें सामने आयी हैं उसने पूरे देश के हौंसले को और बल दिया है. 
पीएम ने कहा कि हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं. शांति की स्थापना के लिए जहाँ उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जबाव देने का काम किया है. 
यह शहादत आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी. देश के सामने आयी इस चुनौती का सामना, हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है ताकि आतंक के खिलाफ़ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों
पीएम ने कहा कि इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास करने वाले विश्व के मानवतावादी समुदायों में भी है. भारत-माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले देश के सभी वीर सपूतों को मैं नमन करता हूँ. 
पीएम मोदी ने कहा कि 'मन की बात' शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है.10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया. इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया. देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था.
फिर न कहना कि बताया नहीं...
पीएम मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम के 53वें एपिसोड में बस थोड़ी देर में देशवासियों को संबोधित करेंगे. पीएम ने खुद ट्वीट कर इस बार के एपिसोड को खास बताया है.

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