साल 1975 से 2007 तक विश्व कप क्रिकेट मेज़बान टीमों के लिए जिंक्स था. हर बार मेहमान टीम वर्ल्ड चैंपियन बनती रही लेकिन पिछले तीन बार से आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप मेज़बान टीम ने जीता है. इसकी सिलसिले की शुरुआत हुई 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के मशहूर छक्के के साथ भारत 28 साल बाद विश्व चैंपियन बना. प्रशंसकों की उम्मीद और उत्साह ने टीम पर दबाव बनाने की बजाए ऊर्जा का काम किया. उसके बाद 2015 में ऑस्ट्रेलिया और 2019 में इंग्लैंड अपनी ज़मीन पर चैंपियन बने.
भारत उम्मीद कर रहा है कि इस बार भी वही कहानी दोहराई जाएगी. खचाखच भरे स्टेडियम में दर्शकों की हौसलाअफ़जाई से टीम का उत्साह और मनोबल बढ़ रहा है. पहले छह मैचों में छह जीत के बाद सातवें मैच के लिए टीम के हौसले सातवें आसमान पर हैं. अपनी पिच और अपने दर्शकों के बीच खेलने के अलावा और क्या पहलू हैं जो टीम इंडिया को अपराजेय बनाए हुए हैं और टीम को द इनविंसिबल कहा जा रहा है.
टीम की तरह खेल रहा है भारतक्रिकेट एक टीम गेम है. जब बल्लेबाज़, गेंदबाज़ और क्षेत्ररक्षक एक साथ बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हों, तो उस टीम को रोक पाना आसान नहीं होता है. विश्व कप के पहले टीम को लेकर आलोचक बहुत ज़्यादा आश्वस्त नहीं थे. हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह और केएल राहुल चोट के बाद वापसी कर रहे थे. इनके फ़िटनेस को लेकर सवाल उठ रहे थे, ख़ासकर केएल राहुल को लेकर काफ़ी संशय था. मगर कोच राहुल द्रविड़ जानते थे कि विश्व कप जैसे बड़े मंच पर अनुभव काम आता है. राहुल सहित तीनों खिलाड़ियों ने उस भरोसे को सही साबित किया है. बैटिंग, बॉलिंग और फ़ील्डिंग एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं. पहले पाँच मैचों में गेंदबाज़ों ने जो भी लक्ष्य तय किया, बल्लेबाज़ों ने बख़ूबी अपना काम किया. इंग्लैंड के विरुद्ध पिछले मैच में बल्लेबाज़ बहुत बड़ा लक्ष्य नहीं खड़ा कर पाए तो गेंदबाज़ आगे आकर जीत की कहानी लिख गए.
टॉप आर्डर का दमदार प्रदर्शनटीम की नींव मज़बूत हो तो समस्या आधी हो जाती है. टीम में दो वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी हों और दोनों फ़ॉर्म में हों तो सफलता दूर कहां भाग सकती है. कप्तान रोहित शर्मा अपने प्रदर्शन से टीम के सामने मिसाल रख रहे हैं. अब तक छह मैचों में 119..16 की स्ट्राइक रेट से 398 रन बना चुके हैं. अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 131, पाकिस्तान के विरुद्ध 86 और इंग्लैंड के साथ पिछले मैच में 87 रनों की ज़बर्दस्त पारियाँ खेल चुके हैं. बांग्लादेश के ख़िलाफ़ 48 और न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 46 रन बनाए थे.
विराट कोहली भी अच्छी लय में हैं. अब तक 354 रन बनाए हैं जिनमें एक शतक और तीन अर्धशतक शामिल हैं. ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 85, अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 55, बांग्लादेश के साथ मैच में 103 और न्यूज़ीलैंड के विरुध्द 95 रनों की पारी खेल चुके हैं. रोहित और विराट मिलकर 752 रन बना चुके हैं. केएल राहुल ने न सिर्फ़ 108 की औसत से 216 रन बनाए हैं बल्कि विकेट के पीछे भी चुस्त हैं. और सबसे बड़ी बात यह टीम दबाव में बिखर नहीं रही है. इंग्लैंड के विरुद्ध विराट शून्य पर आउट हुए तो सूर्यकुमार यादव और केएल राहुल ने मोर्चा सँभाल लिया. लक्ष्य छोटा था तब भी गेंदबाज़ दबाव में नहीं आए बल्कि दोगुनी जोश के साथ इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को वापस भेजते रहे.
गेंदबाज़ जिताते हैं मैचभारत के पास हमेशा सुपरस्टार बल्लेबाज़ रहे हैं लेकिन जीत अक्सर गेंदबाज़ दिलाते हैं. भारत के पास पहले ऐसा आक्रमण नहीं था जिससे विपक्षी ख़ेमे में ख़ौफ़ पैदा हो! ऐतिहासिक दृष्टि से विदेशी टीमों को भारतीय पिचों पर स्पिनर से डर लगता रहा है मगर इस बार मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह के सामने उनकी हालत ख़राब है. इस वर्ल्ड कप में भारत की कामयाबियों का श्रेय गेंदबाज़ों को देना ग़लत नहीं होगा.
जसप्रीत बुमराह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. बुमराह ने 6 मैच में 3.91 की इकॉनमी से सबसे ज़्यादा 14 विकेट लिए हैं. मोहम्मद शमी के आने के बाद से आक्रमण में और पैनापन आया है. शमी ने दो मैच में ही 9 विकेट ले लिए हैं. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 5 विकेट ले कर मैन ऑफ़ द मैच रहे और इंग्लैंड के खिलाफ 4 विकेट लिए. ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने 8 शिकार बनाए हैं जबकि मोहम्मद सिराज ने छह. सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है कुलदीप यादव ने. चाइनामैन ने खुद को अपग्रेड किया है. गेंद की रफ़्तार बढ़ायी है और अपने तरकश में दोबारा कुछ मिस्ट्री गेंदें जोड़ी हैं.
इंग्लैंड के ख़िलाफ़ कुलदीप यादव ने एक ऐसी जादुई गेंद डाली सभी को चौंका रखा है. 16वें ओवर की पहली गेंद पर कुलदीप यादव ने इंग्लिश कप्तान जॉस बटलर को आउट किया. गेंद इतनी खास थी कि इसे 'बॉल ऑफ द टूर्नामेंट' भी बताया जा रहा है. कुलदीप की गेंद ऑफ़ स्टंप के बाहर टप्पा खाई और जब तक इंग्लिश कप्तान इसे समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वो क्लीन बोल्ड हो गए. कुलदीप छह मैचों में 4.50 की इकॉनमी से 10 विकेट ले चुके हैं.
मज़बूत बेंच स्ट्रेंथइस टीम की बेंच स्ट्रेंथ मज़बूत है और जिसे जो भूमिका मिल रही है, वह बख़ूबी निभा रहा है. रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ी को तो अभी तक सिर्फ़ एक मैच में मौक़ा मिल पाया है. शुभमन गिल पहले दो मैच नहीं खेल पाए तो ईशान किशन ने उनकी कमी नहीं खलने दी. ऑस्ट्रेलिया के विरुध्द खाता नहीं खोल पाए लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 47 गेंदों पर 47 रन बनाए. हार्दिक पांड्या को टखने में चोट लगी उनकी जगह सूर्य कुमार यादव को मौक़ा मिला. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टीम इंडिया मुश्किल में नज़र आयी तो यादव ने 47 गेंदों पर 49 रन की अहम पारी खेली. शार्दुल ठाकुर तीन मैच में दो विकेट ले पाए तो मोहम्मद शमी को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया. शमी ने तो क़हर बरपा दिया. दो मैचों में नौ विकेट ले चुके हैं.
टीम में तालमेल और तारतम्यताप्रदर्शन के साथ-साथ टीम में तालमेल और तारतम्यता है. कप्तान रोहित शर्मा और उनके पूर्ववर्ती विराट कोहली के बीच कथित अहम की लड़ाई कहीं पीछे छूट गई है. दोनों के बीच की समझ अब तक भारत की जीत का एक सुखद पहलू रहा है. एक और अहम बात शायद ही कभी किसी टीम के इतने सारे खिलाड़ियों का प्रदर्शन एक साथ चरम पर होता है. रोहित शर्मा की टीम की तुलना रिकी पॉन्टिंग की 2003 टीम के साथ की जा रही है. ऑस्ट्रेलिया की टीम उस विश्व कप में अपराजेय रही थी. एक तरफ़ा फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने सौरव गांगुली की भारतीय टीम को हरा कर ट्रॉफ़ी पर क़ब्ज़ा कर लिया था. मैं क़िस्मत वाला था कि मुझे उस विश्व कप को कवर करने का मौक़ा मिला था.
संजय किशोर 28 साल से खेल पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं. एनडीटीवी के स्पोर्ट्स एडिटर भी रह चुके हैं. इन दिनों आईपीएल की एक टीम में कंटेंट एडिटर हैं
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