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This Article is From Feb 14, 2020

दिल्ली में BJP की हार से चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर पर उठने लगे हैं सवाल

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 14, 2020 15:11 pm IST
    • Published On फ़रवरी 14, 2020 15:04 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 14, 2020 15:11 pm IST

दिल्ली चुनाव के बाद बीजेपी (BJP) के नेताओं के बीच सन्नाटा पसरा है लेकिन दबी जुबान अब प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) की रणनीति की आलोचना उनके अपने ही सांसद और कई पदाधिकारी करते सुने जा सकते हैं. दिल्ली के चुनाव नतीजे आने के बाद से ही अब तक न तो वो प्रदेश दफ्तर में दिखाई दिए और न ही इस करारी हार पर उनका कोई ट्वीट मिला. एक निजी टीवी इंटरव्यू में उन्होंने हार की ठीकरा कांग्रेस के गिरते वोट पर फोड़ा. हां, बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण कांग्रेस का वोट बैंक 5 फीसदी से नीचे आना भी रहा. चुनाव त्रिकोणीय होने के बजाए बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच हुआ, जिसमें वोट परसेंटेज बढ़ने के बजाए बीजेपी को करारी हार मिली.

बीजेपी ये समझने में नाकाम रही है कि 45 से 50 फीसदी फ्लोटर वोटर मुफ्त पानी और बिजली पर केजरीवाल को वोट देता है और लोकसभा चुनाव में मोदी को जिताता है. कुछ सांसद दबी जुबान स्वीकारते हैं कि प्रकाश जावड़ेकर से वो बार-बार बोलते रहे कि मुफ्त बिजली और पानी पर उन्हें भी एक योजना केजरीवाल के मुकाबले लानी चाहिए लेकिन प्रकाश जावड़ेकर ने इन बातों को नकार दिया. संकल्प पत्र में मुफ्त बिजली और पानी देने पर कोई बात नहीं की गई और घोषणा पत्र को देर से जारी करना एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भूल थी. हालांकि दिल्ली प्रदेश बीजेपी के तमाम पदाधिकारी चाहते थे कि 300 से 400 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा हो. कई बार उनकी बहस भी प्रदेश के नेताओं से हुई लेकिन प्रकाश जावड़ेकर राष्ट्रीय मुद्दे और शाहीन बाग प्रदर्शन पर ज्यादा फोकस करते दिखे.

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इतना ही नहीं, जहां अरविंद केजरीवाल चुनाव घोषणा से ठीक पहले एक के बाद एक टाउनहाल कर रहे थे, वहीं बीजेपी के नेताओं के बार-बार आग्रह के बावजूद टीवी पर समय रहते एड नहीं जारी किए गए. जब जारी हुए तब तक देर हो थी. दिल्ली में दिलासा देने के लिए बीजेपी बार-बार वोट परसेंटेज बढ़ने की बात कह रही है, लेकिन प्रदेश के पदाधिकारियों का एक तबका ये मानता है कि फ्री बिजली पर साफ राय न होना, केजरीवाल को आतंकवादी बोलना और कुछ नेताओं के जहरीले बयानों पर लगाम न लगा पाना, चुनाव प्रभारी के तौर पर उनकी असफलता थी. वहीं संगठन के पदाधिकारी और कुछ उम्मीदवार दो से तीन सांसदों से नाराज दिखे. उनका कहना था कि मनमाफिक टिकट न मिलने की नाराजगी के चलते चुनाव प्रचार में ज्यादा जोर नहीं लगाया गया.

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बीजेपी अब कम से कम 6 महीने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नकारात्मक बोल से बचने की कोशिश करेगी और चुनाव में रह गई कमियों पर काम करेगी. लेकिन 20 साल से लगातार दिल्ली की सत्ता से बाहर रहने का दर्द लंबे समय तक उसको टीसता रहेगा.

 (रवीश रंजन शुक्ला एनडीटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं)

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