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This Article is From Apr 06, 2017

प्राइम टाइम : गाय के नाम पर...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 07, 2017 18:22 pm IST
    • Published On अप्रैल 06, 2017 23:32 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 07, 2017 18:22 pm IST
6 अगस्‍त 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'गौरक्षा के नाम पर कुछ लोगों ने जो अपनी दुकानें खोलकर बैठ गए हैं, मुझे इतना गुस्‍सा आता है. गउभक्‍त अलग है, गउ सेवक अलग है. मैंने देखा है कि कुछ लोग जो पूरी रात ऐंटीसोशल एक्टिविटी करते हैं, लेकिन दिन में गौरक्षक का चोला पहन लेते हैं. मैंने राज्‍य सरकारों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे जो गौरक्षक बनते हैं उनका डोजियर तैयार करें, 70-80 प्रतिशत ऐसे निकलेंगे जो ऐसे गोरखधंधे करते हैं जो समाज स्‍वीकार नहीं करता है लेकिन अपनी उन बुराइयों से बचने के लिए गौरक्षा का चोला पहन कर निकलते हैं. और अगर सचमुच में वो गौसेवक हैं तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि एक काम कीजिए, सबसे ज्‍यादा गाएं कत्‍ल के कारण नहीं, प्‍लास्टिक खाने से मरती हैं, तो आप कम से कम गाय को प्‍लास्टिक खाना बंद करवा दें, लोगों को प्‍लास्टिक फेंकना बंद करा दें तो वह भी बड़ी गौसेवा होगी. इसलिए स्‍वयंसेवा औरों को प्रताड़ि‍त करने के लिए नहीं होती.' गौ रक्षा या गौ हत्या के संदर्भ में दो ढाई साल में जितनी भी बहसें हुई हैं उनमें सरकार की तरफ से सबसे बड़ा और प्रमाणिक बयान यही है कि 70-80 फीसदी गौ रक्षक फर्जी होते हैं. उम्मीद है प्रधानमंत्री अब भी अपनी इस राय पर कायम होंगे. हमें यह नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री की इस अपील का राज्य सरकारों पर क्या असर पड़ा. कम से कम मौजूदा विवाद के संदर्भ में राजस्थान के गृह मंत्री ही बता सकते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री की अपील पर फर्जी गौ रक्षकों या गौ रक्षा के नाम पर दुकान चलाने वालों की कोई फाइल बनाई है या नहीं. राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया जी ही बता सकते हैं कि हिन्दू चौकी क्या है. ये किस कानून से बना है. हिन्दू चौकी का दारोगा कौन है, एसपी कौन है, एसएसपी कौन है और डीजी हिन्दू चौकी कौन है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि अलवर से बीजेपी के लोकप्रिय विधायक ज्ञानदेव आहूजा जी ने कहा है.

हिन्दू चौकियां किस कानून से बनी हैं या हिन्दू नाम रख लेना ही कानून है. जनता तो भीड़ है और भीड़ तंत्र है. ये सुनकर लगेगा कि आहूजा जी जनता को भड़का रहे हैं. नहीं ऐसा नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बस यही कहा कि जनता तो भीड़ है और भीड़ तंत्र है. बल्कि आहूजा जी की इस बात के लिए भूरी भूरी प्रशंसा की जानी चाहिए कि उन्होंने यह भी कहा है कि जनता को पीटना नहीं चाहिए. ऐसी बात के लिए कानून है. इस गरीमामयी बयान के बाद उन्होंने यह भी कहा है कि 'हमारे यहां जो हिन्दू चौकियां बनी हैं, उन सबको हमने इंस्ट्रक्शन दिया है कि गौ तस्करों से किसी तरह की मारपीट नहीं करनी है, उनको पकड़ करके पुलिस के हवाले कर देना है.' इसके लिए भी भूरी भूरी प्रशंसा की जानी चाहिए. ये उनके बयान का सकारात्मक पहलू है. लेकिन हिन्दू चौकियों की बात सुनकर मैं चौंक गया. क्या अलवर पुलिस को हिन्दू चौकियों की जानकारी है कि पूरे मेवात में ऐसी चौकियां बनी है. मेवात हरियाणा में है. अलवर राजस्थान में है. अलवर के विधायक ने हरियाणा के मेवात में हिन्दू चौकियां क्यों बनवाई हैं. क्या हरियाणा सरकार को हिन्दू चौकियों की जानकारी है. ये सब सवाल तो बनते हैं. आहूजा जी ने जो कहा है उसे कम से कम राजस्थान पुलिस को गंभीरता से तो लेना ही चाहिए. न भी ले तो कम से कम अपनी कमियों को दूर करना चाहिए. अगर राजस्थान पुलिस अच्छा काम कर रही होती तो हिन्दू चौकी बनाने की शायद नौबत ही नहीं आती. एक बार फिर बता रहा हूं कि आहूजा ने कहा है कि 'पूरे मेवात में मैंने हिन्दू चौकियां और गौ रक्षा चौक बनाया है. पुलिस चौकियां इतना अच्छा काम नहीं कर रही हैं.'

आहूजी जी ने अपने इस बयान में कहा है कि गृहमंत्री ने छह पुलिस चौकियां गौ रक्षा के लिए बनाई हैं. जो अच्छा काम नहीं कर रही हैं. गौ रक्षा के लिए बनी पुलिस चौकियों की हमें कोई जानकारी नहीं है, ये हमारी कमी है. कम से कम हिन्दू चौकी और गौ रक्षा के लिए बनी पुलिस चौकियों के बीच तुलनात्मक रिपोर्ट तो होनी ही चाहिए थी. अब एक सवाल आपसे भी है और ख़ुद से भी है. हम सबकी गाय में आस्था है. बहुतों की गाय में वैसे ही आस्था नहीं है जैसी हमारी है. गाय में आस्था होना, उसकी पूजा करना, श्रद्धा रखना बिल्कुल ठीक और सामान्य बात है. अच्छी बात भी है. आस्था तो अन्य कई चीज़ों में है तो क्या उसके लिए हम किसी भीड़ को अनुमति दे सकते हैं. इतनी बहस हो गई, सबके बयान आ गए, रैलियां हो गईं, इसके बाद भी भीड़ का हौसला क्यों नहीं थम रहा है.

अगर आपको गौ रक्षा के नाम पर मार दिये गए पहलू ख़ान की मौत से कोई सहानुभूति नहीं है, कोई करुणा नहीं है तो मुझे उससे भी कोई परेशानी नहीं है. पहलू ख़ान के बच्चों के प्रति कोई अफसोस नहीं है तो कोई बात नहीं. लेकिन इन लोगों के प्रति तो आप चिन्तित होंगे ही. ये जो मार रहे हैं. गुस्से में हो सकता है इनका भी ख़ुद पर बस न चला हो. मरने वाला तो एक ही है मगर मारने वाले दो चार हों तो क्या ये चिन्ता की बात नहीं है. भीड़ में किसी के हाथ ख़ून से रंग जाएं, कोई दुर्घटना हो जाए तो क्या आप इन लोगों के प्रति भी चिंतित नहीं होंगे, क्या आपकी सहानुभूति इन गौ रक्षकों से भी नहीं है. हम वीडियो की पुष्टि नहीं कर रहे हैं लेकिन एक सवाल पूछ रहे हैं. भीड़ में कौन है. हमारे ही लोग तो हैं न. अगर इनके सर ख़ून का इल्ज़ाम आता है तो क्या ये अच्छी बात है. मान लीजिए कि किसी और घटना में ऐसी ही कोई भीड़ से हत्या हो जाती है, भले पुलिस और राजनीति उन्हें बचा ले लेकिन क्या आप उन्हें अपने बीच स्वीकार कर पाएंगे. क्या गौ रक्षा के नाम पर बन रही भीड़ के साथ खड़े लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ऐसी घटना के बाद उनके भविष्य पर क्या असर पड़ेगा. ये सब नौजवान लड़के हैं. मुझे पूरा यकीन है कि इन्हें रातों को नींद नहीं आएगी. हत्या का गुनाह कभी न कभी ज़िंदगी में लौट कर आता है. परेशान करता है.

इसलिए हमें हिंसक भीड़ के प्रति सहानुभूति तो रखनी ही चाहिए. इस भीड़ में हमारे ही बीच का कोई है. जोश और जुनून में टोका टोकी, बहसबाज़ी तक तो ठीक है लेकिन उससे आगे जाकर किसी को उतारकर मारना, पीटना और ऐसी स्थिति पैदा कर देना कि मौत ही हो जाए, मेरे ख़्याल से आप मेरी इस बात से सहमत हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए. हम सबको इस भीड़ का इसलिए विरोध करना चाहिए क्योंकि इस तरह कानून अपने हाथ में लेने से कोई हत्यारा बन सकता है. ऐसे लोगों का राजनीतिक दल इस्तेमाल ही करते हैं. उन्हें बहादुर कहेंगे, जाबांज़ कहेंगे फिर जब गौ रक्षा का टौपिक राजनीतिक रूप से कमज़ोर पड़ेगा तो उन्हें छोड़ देंगे. इन नौजवानों का जीवन बर्बाद हो जाएगा. हां अगर इन्हें गाय की सेवा करनी है तो बिल्कुल इन नौजवानों का साथ देना चाहिए. उनका हौसला बढ़ाना चाहिए. वो सेवा जो प्रधानमंत्री ने इनके लिए कही है.


प्रधानमंत्री ने कहा था, 'मैं उनसे आग्रह करता हूं एक काम कीजिए सबसे ज़्यादा गायें कत्ल के कारण मरती नहीं हैं, प्लास्टिक खाने से मरती हैं. अब ये जो समाज सेवा करना चाहते हैं कम से कम गाय को प्लास्टिक खाना बंद करवा दें और प्लास्टिक लोगों का फेंकना बंद करवा दें तो भी बहुत बड़ी गो-सेवा होगी.' चंद महीने पुरानी इस बात के संदर्भ में ही मैंने अपनी बात कही है. अब तय आपको करना है, आपके प्रिय प्रधानमंत्री की बात सही है, मेरी बात सही है या उस भीड़ की बात सही है. एक बार आप यह तय कर लेंगे तो मुझे पूरा यकीन है कि आप पहलू ख़ान की मौत पर शर्मिंदा होंगे. जो भी निंदा करने आएगा वो अगर मगर का सहारा लेकर इस भीड़ के साथ खड़ा नहीं हो सकेगा. अलवर के एसपी राहुल प्रकाश ने कहा है कि गौ तस्कर थे या नहीं थे, इससे मारपीट करने वालों का दोष कम नहीं होता है. जिन लोगों ने मारपीट की है वे 302 के तहत हमारे लिए मुल्ज़िम हैं. ये एसपी का बयान है. क्या आप गौ रक्षा के नाम पर नौजवानों की टोली को 302 यानी हत्या का मुल्ज़िम बनाने का समर्थन कर सकते हैं. क्या आपको नहीं लगता है कि कोई इनके जीवन से खेल रहा है.

पहलू ख़ान को जिस गाड़ी से उतार कर दौड़ाया गया उसे अर्जुन नाम का चालक चला रहा था. कहा जा रहा है कि भीड़ ने उसका नाम पूछ कर छोड़ दिया. अब अगर गाय की तस्करी अपराध है तो क्या अर्जुन के लिए नहीं है. क्या अर्जुन को गाय की तस्करी की छूट है? कम से कम अर्जुन से पूछताछ तो होनी ही चाहिए. ठीक है कि उसे पहलू ख़ान ने किराये पर लिया था लेकिन जयपुर से जब वो छोटा ट्रक लेकर चला था तब तो गाय दिखी ही होगी. पहलू ख़ान के साथ उसके दो बेटे इरशाद और आरिफ़ भी गए थे. टीवी पर कैसे कहा जाए पर गाय मुसलमान भी पालते हैं. मुसलमान भी गाय का दूध बेचकर गुज़ारा करते हैं. इस तरह से शक के आधार पर किसी को दौड़ा कर मार दिया जाए तो क्या पता किसी दिन आप किसी गाय के बगल में चल रहे हों, कुछ खिला रहे हों और भीड़ आकर मार दे, कुछ भी कह दे, कह देगी कि गाय को कहीं और ले जा रहे था, कुछ संदिग्ध खिला रहा था.

जिन पर मारपीट के इल्ज़ाम हैं उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस ने तीन स्पेशल टीम बनाई हैं. आरोपियों को पकड़ने के लिए पांच-पांच हज़ार का इनाम रखा गया है. वीडियो और तस्वीरों के आधार पर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन एसपी राहुल प्रकाश ने जो बात कही कि राज्य से बाहर ले जाने के लिए कलेक्टर से परमिट लेनी होता है ये महत्वपूर्ण है. हो सकता है उन्हें इसकी जानकारी न हो. सिर्फ इस परमिट के न होने से क्या किसी को गौ तस्कर घोषित किया जा सकता है, जबकि खरीदार नगर निगम के मेले से खरीद रहा है, उसकी पर्ची लेकर आ रहा है. NDTV की रिपोर्टर हर्षा कुमारी सिंह ने इसके लिए कई अधिकारियों से बात करने की कोशिश की. कोई कैमरे पर नहीं आया और न ही बता सका कि शनिवार को कितने लोगों को ट्रांजिट परमिट दिया गया, अगर ऐसा कानून है जैसा कि एसपी साहब कह रहे हैं तो उसके लिए मेले में क्या व्यवस्था की गई. हर जगह ऑफ द रिकॉर्ड जवाब ही मिला. लेकिन जयपुर के मेयर अशोक लाहोटी ने कैमरे पर जवाब दिया. यह सब जांच का विषय है. एसपी ने कहा कि इससे किसी का अपराध कम नहीं हो जाता कि कोई गौ तस्कर था या नहीं. वैसे भी पहलू ख़ान के मारे जाने से पहले 11 लोगों को तस्करी के आरोप में पकड़ा गया है.

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