यह ख़बर 13 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

कौन हैं एसपीजी के नए प्रमुख विवेक श्रीवास्तव?

एसपीजी के नए प्रमुख विवेक श्रीवास्तव

पटना:

पिछले दस दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन बड़ी नियुक्तियां की हैं। एक सीबीआई निदेशक के पद पर अनिल सिन्हा, आईबी चीफ के पद पर दिनेश्वर शर्मा और एसपीजी प्रमुख के पोस्ट पर विवेक श्रीवास्तव।

अनिल सिन्हा जहां बिहार कैडर के पुलिस अधिकारी हैं, वहीं दिनेश्वर शर्मा केरल कैडर के और विवेक गुजरात कैडर के, लेकिन इन तीनों अधिकारियों में एक समानता है और वह है इन सब का पैतृक राज्य बिहार होना।

दिनेश्वर शर्मा ने हालांकि कभी बिहार में काम नहीं किया। वह एनएसए अजित डोभाल के करीब माने जाते हैं। उनकी कार्यशैली भी बहुत हद तक डोभाल के सूत्र और सिद्धांत पर ही चलती है।

वहीं अनिल सिन्हा के बारे में तय हैं कि जब तक वह सीबीआई निदेशक के पद पर रहेंगे, मोदी सरकार के सभी हितों का खयाल रखेंगे और अपने पुर्व के बॉस रंजीत सिन्हा की गलतियों को नहीं दोहराएंगे।

लेकिन पीएम मोदी द्वारा एसपीजी निदेशक के पद पर विवेक श्रीवास्तव की नियुक्ति को लेकर लोगों के मन में सबसे ज्यादा सवाल खड़ा हो रहा है, क्योंकि विवेक 89 बैच के अधिकारी हैं और अनुभव के मामले में उनके पास उतना अनुभव नहीं।

जानकारों की मानें तो केंद्र सरकर ने अनुभव और बैच से ज्यादा हाल के दिनों में अधिकारियों के प्रदर्शन को तरजीह दी है, जहां विवेक अपने सभी शॉर्टलिस्टेड अन्य अधिकारियों पर भारी पड़ें।

दरअसल विवेक डीआईजी के तौर पर ना केवल एसपीजी में पांच साल काम कर चुके थे, बल्कि हाल के वर्षों में आईबी के बिहार- झारखंड के जॉइंट डाइरेक्टर के तौर पर उन्होंने इंडियन मुजाहिदीन के सबसे बड़े आंतकवादी यासीन भटकल को गिरफ्तार करने में अहम भूमिका निभाई।

इसके अलावा उन्होंने ही यह भी बताया कि बोध गया ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिदीन का ही हाथ है और पिछले साल नरेंद्र मोदी की पटना रैली में हुए बम विस्फोट की आशंका के बारे में भी उन्होंने राज्य सरकार को पहले ही अलर्ट कर दिया था। बम विस्फोट के बाद छह महीने के भीतर ही एनआईए के साथ मिलकर उन्होंने इंडियन मुज़ाहिदीन से जुड़े कई आरोपियों को गिरफ्तार करने में काफी अहम भूमिका निभाई।

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मोदी भी जानते हैं की विवेक जब गुजरात में पोस्टेड थे, तब एक बंद के दौरान बीजेपी संसद को गिरफ्तार करने में उन्होंने कोई हिचक नहीं दिखाई थी, इसलिए मोदी जिन्हें खुद के ऊपर कई तरह के थ्रेट की जानकारी हैं, उन्हें मालूम हैं कि ऐसी परिस्थिति में शायद विवेक से बेहतर अधिकारी नहीं मिलेगा जो सुरक्षा के मामले में उनकी बातों को भी नजअंदाज़ करने में भी शायद हिचके नहीं।