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This Article is From Nov 09, 2014

किस क्रिकेटर की आत्मकथा सबसे विवादास्पद

Pradeep Kumar, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 13:41 pm IST
    • Published On नवंबर 09, 2014 16:17 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:41 pm IST

सचिन तेंदुलकर की किताब 'प्लेइंग इट माय वे' ने बाज़ार में कामयाबी के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। ये होना ही था आखिर क्रिकेट के सबसे बड़े मास्टर ने दावा किया है कि वो अपने जीवन का सच लोगों को बता रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उनका इरादा इस किताब के जरिये कोई विवाद खड़ा करना नहीं था, लेकिन ग्रेग चैपल और कपिल देव की आलोचना के चलते उनकी किताब सुर्खियां बटोर रही है।

वैसे यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी क्रिकेटर की आत्मकथा ने सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले दिनों इंग्लिश क्रिकेटर केविन पीटरसन की आत्मकथा जब आई तो उसने भी विवादों की सीरीज़ को जन्म दे दिया था। केविन पीटरसन की इंग्लिश टीम से विदाई एक बड़े विवाद के तौर पर उभरी थी लिहाजा ये भी माना गया है कि केविन ने इस किताब के जरिए टीम के अंदर विरोधी लॉबी के खिलाफ स्कोर सेट किया है।

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोन्टिंग ने अपनी आत्मकथा 'पोन्टिंग− एट द क्लोज ऑफ़ प्ले' में हरभजन और एंड्रूय सायमंडस के विवाद में बीसीसीआई के रवैए के साथ साथ भारतीय टीम की भी आलोचना की थी। इससे पहले शोएब अख्तर ने अपनी आत्मकथा में सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ सरीखे बल्लेबाज़ों की तकनीक पर सवाल उठाकर दुनिया भर को चौंकाया था। वैसे एक समय दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज़ के तौर पर उभरे शोएब अख्तर ने अपने करियर के बहाने पाकिस्तान क्रिकेट की हकीकतों को दुनिया के सामने रखा।

इससे पहले द अफ्रीका के आक्रामक सलामी बल्लेबाज़ हर्शल गिब्स ने जब अपनी किताब 'टू द प्वाइंट' लिखी तो दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में भूचाल आ गया। गिब्स ने दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट की पोल खोल दी। सीनियरों पर गुटबाजी के आरोप से लेकर टीम होटल में लड़कियों के बेरोकटोक आने की कहानी लिखी। इन सबका असर ऐसा हुआ कि उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैथ्यू हेडन ने अपनी आत्मकथा 'स्टैंडिंग माय ग्राउंड' के जरिये दुनिया को बताया कि कैसे स्लेजिंग ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट का एक बड़ा हिस्सा रहा।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एडम गिलक्रिस्ट ने अपनी आत्मकथा 'ट्रूय कलर्स' में लिखा था कि सचिन तेंदुलकर में खेल भावना की कमी है। गिलक्रिस्ट ने कहा कि हरभजन−साइमंड्स के विवाद में सचिन ने सच नहीं बोला और उनकी गवाही की वजह से भज्जी बच गए। गिलक्रिस्ट ने यह भी लिखा कि भारत जब मैच हारता था तो भज्जी और सचिन विरोधी टीमों से हाथ मिलाना पसंद नहीं करते थे।

लेकिन क्रिकेट किताबों में विवादों की शुरुआत शायदा 2006 में जॉन राइट द्वारा लिखी गई किताब 'इंडियन समर्स' ने की। जॉन राइट ने अपनी किताब में भारतीय ड्रेसिंग रूम के कई राज़ दुनिया के सामने रख दिए। 2002 में ओवल मैदान पर जब सहवाग ने एक खराब शॉट खेला तो कोच जॉन राइट ने सहवाग का कॉलर पकड़ा और जमकर लताड़ लगाई। इसके अलावा राइट ने अपनी किताब में गांगुली और द्रविड़ के बीच के मतभेदों को भी उजागर किया जिससे टीम को काफी नुकसान हुआ।

जाहिर है क्रिकेटर जो सच मैदान में रहते नहीं बोल पाते उसे किताब के जरिये बताते हैं। यही वजह है कि क्रिकेटरों की आत्मकथाओं का विवादों से चोली दामन का साथ नजर आता है।

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