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This Article is From Jan 29, 2018

सरकारी नौकरियां आख़िर हैं कहां - भाग 7

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 03, 2018 11:12 am IST
    • Published On जनवरी 29, 2018 21:54 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 03, 2018 11:12 am IST
भारत में बेरोज़गारी का विस्फोट हो गया है. जहां कहीं भर्ती निकलती है, बेरोज़गारों की भीड़ टूट पड़ती है. यह भीड़ बता रही है कि बेरोज़गारी के सवाल को अब और नहीं टाला जा सकता है. यह सभी सरकारों के लिए चेतावनी है चाहे किसी भी दल की सरकार हो. नौजवानों के बीच नौकरी का सवाल आग की तरह फैल रहा है. मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िला न्यायालय में चौथी श्रेणी की नौकरी के लिए भर्ती निकली है. मुरैना से हमारे सहयोगी उपेंद्र गौतम ने बताया है कि मात्र 22 पदों के लिए 5300 बेरोज़गारों ने आवेदन किया था. 28 जनवरी को इंटरव्यू होना था, बाहर इतनी भीड़ आ गई कि पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा. पुलिस को इस भीड़ को संभालने के लिए डंडे निकालने पड़े. 200 से अधिक पुलिसकर्मी लगाने पड़े. दैनिक भास्कर ने लिखा है कि सरकारी नौकरी की चाह में इंजीनियर तक चपरासी पद के लिए इंटरव्यू देने आए. मुरैना, अंबाह, संभलगढ़ जौरा की अदालत में पानी पिलाने वाले भृत्य, चौकीदार और ड्राइवर के 22 पदों के लिए 5500 बेरोज़गारों की स्क्रीनिंग की गई. इस पद के लिए वेतन मात्र 12000 है.

उज्जैन से अजय पटवा ने बताया कि यहां तो पुलिस को लाठी तक चलानी पड़ी है. भास्कर संवाददाता ने लिखा है. उज्जैन में चपरासी, चौकीदार और ड्राइवर के 16 पदों के लिए सात हज़ार ऑनलाइन आवेदन आ गए. इतनी भीड़ आ गई कि पुलिस को बहुत मेहनत करनी पड़ी. 21 जजों को तीन-तीन के पैनल में रखा गया था. इन पैनलों के लिए 66 युवकों की सूची तैयार की गई है. मध्यप्रदेश के अखबार इस समाचार से भरे हैं कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ज़िला कोर्ट में चालक, चपरासी, माली, स्वीपर की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. 31 दिसंबर तक फार्म जमा करने की अंतिम तारीख थी. 738 पदों के लिए 2 लाख 81 हज़ार युवकों ने अप्लाई कर दिया. सबसे अधिक फॉर्म ग्वालियर के युवकों ने भरे हैं. ग्वालियर में 16 पदों के लिए 70 हज़ार फार्म भरे गए हैं. इनमें 80 फीसदी उम्मीदवार 12वीं पास हैं, ग्रेजुएट हैं और एमए पास हैं. यहां पर इंटरव्यू के लिए 12 पैनल बने हैं. दैनिक भास्कर ने लिखा है कि हर दिन 2400 उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेने का लक्ष्य है. 18 फरवरी तक इंटरव्यू चलेंगे. अनुराग द्वारी हमारे सहयोगी ने लिखा है कि अकेले ग्वालियर में फार्म भरने से ही 1 करोड़ 20 लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए हैं.

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आप इन तस्वीरों को देख कर अनदेखा भी कर सकते हैं. नौकरी का सवाल टीवी पर आ सके इसके लिए रोज़ उन मुद्दों से संघर्ष करना पड़ता है जिन्हें लेकर राजनीतिक दल सक्रिय रहते हैं और आईटी सेल ललकारता रहता है कि आप कासगंज पर कब बोलेंगे, बिल्कुल दिखाएंगे हमारे चैनल पर कासगंज की भी खबर चल रही है, बाकी चैनलों पर चल रही है. आज एक युवक ने मैसेज किया कि क्या कासगंज के दबाव में नौकरियों की सीरीज़ बंद हो जाएगी. हर तरफ से कुछ न कुछ शिकायत है, सवाल है, बेहतर है नौकरियों पर एक और एपिसोड कर ही लेते हैं. संख्या के हिसाब से यह सातवां एपिसोड होगा. आपने मध्यप्रदेश का हाल देखा. चपरासी और चालक के पद के लिए लाखों आवेदन आए हैं. इनमें से कोई भी नौकरी परमानेंट नहीं है. सब ठेके पर है. ठेके पर की नौकरी के लिए इतनी मारामारी है. ज़ाहिर है बेरोज़गारी की आग नौजवानों को जला रही है. इसलिए अलग-अलग इलाकों में आग लगाने वाले मुद्दे सुलगाए जा रहे हैं ताकि बेरोज़गारी की चिंगारी नज़र न आए. अनुराग ने लिखा है कि अप्लाई तो ग्रेजुएट इंजीनियर, एमबीए तक के छात्रों ने ही किया लेकिन स्क्रीनिंग सिर्फ आठवीं पास के युवाओं की ही हुई है क्योंकि योग्यता आठवीं पास ही मांगी गई थी. नौजवानों ने लाखों रुपये देकर, बैंक से कर्ज़ा लेकर जो डिग्री ली है, वो कबाड़ हो चुकी है.

हमारे सहयोगी अनुराग द्वारी ने मध्य प्रदेश के खनिज मंत्री से सवाल किए हैं. हम अनुराग के इंटरव्यू का वो हिस्सा दिखा रहे हैं जिसका संबंध आज की सीरीज़ से है. आप मंत्री जी के जवाब सुनिए, ध्यान से सुनिए, अगर आप बेरोज़गार हैं तो उनके जवाब से बहुत लाभ होगा.

मंत्री जी कहते हैं, 'खनिज विभाग में मैंने अमला बढ़ाया था. कैपिटल इन्वेस्टमेंट इतना ना हो जाए कि विकास के काम रुकने लगें. विकास के जो असर होते हैं वो बेरोजगारी को दूर करने वाले होते हैं. सरकारी शासकीय खजाने पर बोझ बढ़ेगा. बिजली की उपलब्धता बढ़ाई और सिंचाई का रकबा बढ़ाया. उन इलाकों मे जाकर देखिए, लोगों की पेइंग कपैसिटी बढ़ गई है, उससे बाजार बढ़ा है. बाजार बढ़ा तो व्यापार बढ़ा. खेती बढ़ने से किसान की जेब में जो पैसा बढ़ा, जो व्यापार बढ़ा, उससे जो रोजगार के अवसर पैदा हुए उन आंकड़ों पर आप ध्यान देंगे तो पता चलेगा कि ओवर ऑल जो ग्रोथ होती है, और खासकर कृषि के क्षेत्र में उससे बेरोजगारी की समस्या के समाधान में मदद मिलती है. उससे लाभ हमने लिया है लेकिन यह बात सही है कि एफर्ट करते रहने की जरूरत है.'

आपने यूनिवर्सिटी सीरीज़ देखी होगी, यू ट्यूब पर है. 27 दिनों तक हमने दिखाया कि देश के कई राज्यों की राजधानी और ज़िला मुख्यालयों में मौजूद कॉलेजों की हालत खस्ता हो चुकी है. वहां पढ़ाने के लिए प्रोफेसर नहीं हैं. क्लास में लड़कियां पहुंच रही हैं मगर पढ़ाने वाला कोई नहीं है. 27 एपिसोड कम नहीं होते. उच्च शिक्षा पर लगातार इस रिपोर्ट को देखकर आप भी थक गए थे लेकिन आपकी इस थकावट ने आपके ही भाई बंधुओं का क्या हाल कर दिया है. उनके पास डिग्री है मगर वही डिग्री अब इनके लिए थर्ड डिग्री की यातना दे रही है.

हरियाणा के करनाल ज़िले में इसी साल चपरासी के 70 पदों के लिए वैकेंसी आई थी जिसे भरने इतने लोग आ गए. ये सारी वैकेंसी ठेके की थी, परमानेंट नहीं थी, इसके बाद भी बेरोज़गारी तमाम आंकड़ों को ध्वस्त करते हुए निकल आई है. 70 पदों के लिए करीब दस हज़ार लोग आ गए. संख्या कुछ कम भी हो सकती है और ज़्यादा भी. प्रशासन को भी इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी, लिहाज़ा भर्ती कैंसिल कर दी. वहां आए नौजवान गुस्से में आ गए और वहां थोड़ा बहुत उत्पात मचाया. करनाल से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर आते हैं. हरियाणा में करनाल को सीएम सिटी बोलते हैं. 70 पदों के लिए आठवीं पास की योग्यता थी मगर आ गए बीए और एमए वाले.

नौकरी सीरीज़ के बाद युवा चाहते हैं कि सिर्फ रोज़गार पर बात हो. हमारी सीरीज़ का असर यह हुआ कि बिहार पब्लिक सर्विस कमिशन के 60वीं से 62वीं बैच की मेन्स परीक्षा का डेट आ गया. एक साल से इस परीक्षा का कोई अता पता नहीं था मगर हमारी सीरीज़ के बाद एक संभावित तारीख आई है, उस तारीख पर परीक्षा होगी या नहीं होगी यह इस पर निर्भर करता है कि देश में वही वाला टॉपिक कितना असरदार रहता है. वही वाला टॉपिक हिन्दू मुस्लिम टॉपिक का अच्छा सा नाम है क्योंकि कुछ लोगों को तकलीफ है कि मैं बार-बार हिन्दू मुस्लिम क्यों बोल रहा हूं.

बीपीएससी की वेबसाइट पर नोटिस है कि बीपीएससी की 60 से 62वें बैच की सम्मिलित परीक्षा इस साल अप्रैल में हो सकती है. इस बैच के लिए विज्ञापन सितंबर 2016 में आया था. फरवरी 2017 में पीटी की परीक्षा हुई थी, नवरी 2018 बीतने लगा मगर मेन्स की परीक्षा का कोई अता पता नहीं था. हमारी नौकरी सीरीज़ के बाद तारीख का ऐलान करना पड़ा है.

प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्रों के बीच हॉस्टल और चाय की दुकानों में इस सीरीज़ की चर्चा हो रही है. एक और असर हुआ है. 63वें बैच की बीपीएससी की परीक्षा के बारे में सूचना प्रकाशित हुई है कि इस साल जून के अंतिम सप्ताह में परीक्षा होगी. यही नहीं हमारी सीरीज़ के असर में बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने भी अपनी परीक्षाओं का कैलेंडर तैयार करने की बात कही है. स्थानीय अखबारों में छपा है वर्ना अभी तक यह आलम था कि फार्म भर लिए गए, इम्तिहान का पता नहीं, इम्तिहान हो गया मगर रिज़ल्ट का पता नहीं. यही नहीं हमने नौकरी सीरीज़ के छठे एपिसोड में दिखाया था कि बिहार के छपरा ज़िले के जयप्रकाश नारायण यूनिवर्सिटी के चालीस हज़ार से अधिक छात्र बीए और एमए में एडमिशन लेकर फंस गए हैं. 2014-17 के बैच में जिन छात्रों ने बीए का एडमिशन लिया था, तीन साल में बीए हो जाना चाहिए था मगर सिर्फ प्रथम वर्ष की ही परीक्षा हुई. भारत के विश्वविद्यालय छात्रों से फीस लेकर उनको बर्बाद करने की प्रयोगशाला बन गए हैं. छह साल में छात्रों को बीए करने के लिए मजबूर किया जाए और किसी के खिलाफ कार्रवाई न हो यह सिर्फ और सिर्फ वही वाले टॉपिक के कारण हो सकता है. यहां तक कि इस विश्वविद्यालय में 2013-16 के छात्रों का भी बीए पूरा नहीं हुआ है. हमने यूनिवर्सिटी सीरीज़ में भी इस विश्वविद्यालय का हाल दिखाया था, कोई असर नहीं हुआ. मगर नौकरी सीरीज़ से जोड़ने के बाद यही असर हुआ है कि कम से कम कागज पर तारीख का ऐलान हुआ है.

बीटेक तीसरे और चौथे सेमेस्टर की परिक्षाएं फरवरी में शुरू होंगी. टीडीसी तीसरे पार्ट (2013-16) की परीक्षा मार्च 2018 में शुरू होगी और एमए, एमएससी और एम कॉम (2014-16) के पहले और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा मार्च 2018 के अंतिम सप्ताह में आरंभ की जाएगी. ऐसी सूचना जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय से जारी हुई है.

बीटेक का सत्र भी तीन चार साल लेट था. जिस विश्वविद्यालय में 40,000 से अधिक छात्र फंसे हों, और उनके भविष्य के बारे में कुछ फैसला एक प्रोग्राम के बाद हो जाए तो ज़ाहिर है मुझे भी यही करना चाहिए. पता चला कि इससे पहले परीक्षा मंडल की बैठक होती थी मगर डेट की घोषणा नहीं होती थी. हमारी सीरीज़ के बाद डेट की घोषणा हुई है. पता चल रहा है कि बीए की परीक्षा की तारीख का भी ऐलान हो जाएगा. अभी अभी आपको बताया भी कि जे पी यूनिवर्सिटी में तीन साल का बीए छह साल में होता है. स्टाफ सलेक्शन कमिशन की परीक्षा में पास हुए नौजवानों को अभी भी ठोस जवाब नहीं मिल रहा है कि उन्हें ज्वाइनिंग की चिट्ठी कब आएगी. वे अलग अलग विभागों को फोन कर रहे हैं, कोई जवाब नहीं मिल रहा है. 20,000 से अधिक इन नौजवानों की समस्या वाकई बेहद गंभीर है.

अब उत्तराखंड से हमारे सहयोगी दिनेश मानसेरा की रिपोर्ट देखिए. आप हंसते हंसते रोने लगेंगे और रोते रोते कब हंसना भूल जाएंगे पता भी नहीं चलेगा. 'शास्त्रों में सरकार की बुद्धि की शुद्धि का कोई यज्ञ है या नहीं मैं आधिकारिक रूप से नहीं बता सकता मगर ये बेरोज़गार देहरादून में सरकार की बुद्धि की शुद्धि के लिए यज्ञ कर रहे हैं. यज्ञ की तस्वीर देखते हुए आप भी देवी देवताओं का आह्वान कीजिए मगर मेरी बात ध्यान से सुनिए. उत्तराखंड के उद्यान विभाग ने अगस्त 2016 में 95 पदों के लिए भरती निकाली. इसके लिए ग्यारह हज़ार छात्रों ने 300-300 रुपये देकर फार्म भरे. तय हुआ कि परीक्षा होगी 14 मई 2017 को लेकिन नहीं हुई. फिर तय हुआ कि परीक्षा होगी 15 अक्तूबर 2017 को लेकिन नहीं हुई. ये पैसे सरकार के पास ज़ब्त हो गए. आज तक सरकार ने नहीं लौटाए. अब आयोग ने एक और खेल किया. पदों की संख्या 95 से बढ़ाकर 198 कर दी गई और 17 नवंबर 2017 को भर्ती का विज्ञापन निकला. इस बार फिर से 12 हज़ार छात्रों ने 300-300 रुपये देकर फार्म भरे. यानी उन्होंने 600 रुपये दिए फार्म भरने के. यह परीक्षा 10 जनवरी 2018 को होनी थी, मगर रद्द हो गई. अब फिर से कहा गया गया है कि 308 पदों की भर्ती निकलेगी.

यह गेम हर राज्य में देखने को मिला है. पहली बार जब परीक्षा रद्द होती है तो अगली बार के लिए पदों की संख्या बढ़ा दी जाती है. फार्म के पैसे ले लिए जाते हैं मगर परीक्षा नहीं होती है और होती भी है तो रिज़ल्ट नहीं आया बस पदों की संख्या बढ़ा बढ़ा कर नौजवानों को उम्मीद बेची जा रही है. वे भी फार्म भर कर टीवी पर वही वाला टॉपिक देखने में मस्त हो जाते हैं. 2016 से 2018 आ गया और 600 रुपये भी लिए और इम्तहान नहीं हुए, आप इस सवाल से तकनीकि और कानूनी खामियों का हवाला देकर नहीं टाल सकते हैं. दिनेश मानसेरा ने एक हिसाब जोड़ा है.

- इस तरह के इम्तहान के लिए एक छात्र कोचिंग पर 30,000 रुपये ख़र्च करता है
- देहरादून में रहकर तैयारी करने के लिए महीने का 10,000 ख़र्च करता है
- इस तरह वह एक परीक्षा पर एक साल में डेढ़ लाख खर्च कर देता है
- इसके बाद भी नौकरी नहीं मिलती है, परीक्षाएं समय पर पूरी नहीं होती हैं

दिनेश मानसेरा ने बताया कि इन बेरोज़गार युवकों की कोई नहीं सुन रहा है जबकि इनकी संख्या 12000 है. ये रोज़ परेड ग्राउंड में जमा होते हैं, नारेबाज़ी करते हैं और शाम को जब टीवी देखते हैं तो इनकी खबर ही नज़र नहीं आती है. 12000 लोगों की ज़िंदगी से जुड़ी खबर को मीडिया में जगह नहीं है, इसका मतलब है कि मीडिया ज़रूर कुछ बड़ा काम कर रहा है. दिनेश मानसेरा से आप संपर्क कीजिए और नौकरियों में हो रही देरियों और धांधलियों का खेल उन्हें बताइये. उनकी रिपोर्ट का अगला हिस्सा हम आगे भी दिखाएंगे. अब आते हैं उत्तर प्रदेश के बीटीसी की परीक्षा पर. बीटीसी का मतलब हुआ बेसिक ट्रेंड टीचर. ये पहली से पांचवी क्लास में पढ़ाते हैं. राज्य में अलग-अलग जगहों पर बीटीसी सेंटर बने हैं जहां मेरिट के आधार पर ये चुने जाते हैं और पढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. बीटीसी की ट्रेनिंग के लिए पांच हज़ार फीस होती है. दो साल का कोर्स होता है ये. इसके बाद छात्रों को टेट की परीक्षा पास करते हैं, टेट का अंग्रेज़ी में मतलब हुआ टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट, हिन्दी में हुआ शिक्षक पात्रता परीक्षा. इसके बाद जब सरकार भर्ती निकालती है तो बीटीसी और टेट के आधार पर मेरिट लिस्ट बनती है. सरकार ने 2012 के बाद बीटीसी शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई है.

यूपी के बीटीसी पात्रता वाले नौजवान जगह जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. ट्वीटर पर दिन रात ट्विट किए रहते हैं कि हमारा मसला कब दिखाएंगे. मंत्रियों को भी ट्विट करते हैं. इनका कहना है कि 2016 में 12,460 पदों के लिए विज्ञापन निकला था. मार्च 2017 तक काउंसलिंग की प्रक्रिया चली है. 18 मार्च को सारे ज़िले के कटऑफ गए और मेरिट लिस्ट बन गई थी. लेकिन 23 मार्च को योगी सरकार ने इन भर्तियों पर रोक लगा दी. उसके बाद से ये नौजवान हर मौके पर प्रदर्शन कर रहे हैं. यहां तक कि 16 जुलाई 2017 से तीन सितंबर 2017 तक ढाई महीने लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में धरना भी दिया. अब ये परीक्षार्थी अदालत जा चुके हैं. हाईकोर्ट से केस भी जीत गए. 3 नवंबर को अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि दो महीने में इनको बहाल किया जाए. अदालत के आदेश के बाद भी दो महीने बीत गए हैं और इन छात्रों को पता नहीं कि क्या होगा. सरकार अब सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में जा चुकी है.

उत्तर प्रदेश के 12,460 नौजवानों को लगता है कि प्राइम टाइम में ज़िक्र के बाद नियुक्ति पत्र मिल जाएगा, सरकार का मन बदल जाएगा. कितना अच्छा हो अगर ऐसा हो जाए. हम इससे संबंधित विभाग के मंत्री का उदार मन से आभार व्यक्त करेंगे.

यूपी में बीटीसी की दस हज़ार सीटें हैं. प्राइवेट संस्थानों में एक लाख सीट है. इतने छात्र हर साल शिक्षक बनने की योग्यता लेकर बाहर निकल रहे हैं. नौकरियों की रफ्तार इतनी धीमी है. बीजेपी ने यूपी में वादा किया था कि सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर प्रदेश के सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए पारदर्शी तरीके से प्रक्रिया शुरू होगी. पंजाब के बेरोज़गार धीरज रखें, उनका भी नंबर आएगा प्राइम टाइम में.

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