लखनऊ के चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने ऐसा नजारा पहले कभी देखा न था. मंगलवार आधी रात से देश की सारी डोमेस्टिक फ्लाइट्स बंद होने का एलान था. ऐसे में कल रात 8 बजे के बाद एक-एक कर 6 फ्लाइट्स गोआ,मुम्बई,चंडीगढ़,दिल्ली से लैंड कीं. यूं तो आखिरी फ्लाइट दिल्ली से 12 बजे आनी थी लेकिन वो सवा बजे रात को आई. लेकिन लखनऊ में तीन दिन से लॉकडाउन होने की वजह से मुसाफिरों के लिए न तो कोई टैक्सी थी और न ही लखनऊ में रहने वाला कोई शख्स अपने घर से कोई गाड़ी मंगवा सकता था.
इन फ्लाइट्स में लखनऊ के अलावा दूसरे शहरों के भी मुसाफिर थे. ऐसे में करीब 800 पैसेंजर लखनऊ एयरपोर्ट पर एक साथ फंस गए. उसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी थे. एक तरफ कोरोना का खौफ तो दूसरी तरफ घंटों एयरपोर्ट पर बंधक की सी हालत.
अब समस्या यह आयी कि जो मुसाफिर दूसरे जिलों के हैं,वे लॉकडाउन में कैसे अपने घर जाएं. तब पुलिस ने सरकार से इजाज़त लेके 10 बड़ी बसें किराये पर लीं और उनसे दूसरे शहर के मुसाफिर भेजे. अब मसला यह था कि जब इन बसों को जगह जगह पुलिस रोक देगी तो वो अपनी मंज़िल तक कैसे पहुंचेंगी. इसके लिए एडिशनल कमिश्नर चिरंजीव सिन्हा ने हर बस ड्राइवर को अपना फ़ोन नंबर दिया और कहा कि जिस जगह की पुलिस बस को रोक कर जाने न दे उससे उनकी फ़ोन पर बात करा दें.
चिरंजीव सारी रात ज़िले-ज़िले की पुलिस को बताते रहे कि मुसीबत में फंसे मुसाफिरों को पुलिस उनके हस्र भेज रही है. उन्हें जाने दिया जाए. इस तरह लॉकडाउन के बीच एयरपोर्ट पर फंसे 800 लोग अपने घर पहुंच सके.