पाक के साथ क्या रुख़ अपनाए भारत?

पाक के साथ क्या रुख़ अपनाए भारत?

पकड़ा गया आतंकी उस्मान

नई दिल्ली:

जब तक आतंकवाद का चेहरा नकाब से ढका होता है वो क्रूर तो लगता है लेकिन जब नकाब हटता है तो उससे भी क्रूर हो जाता है क्योंकि तब आप देख पाते हैं कि कैसे फर्ज़ी मज़हबवाद और राष्ट्रवाद के नाम पर नौजवानों को आग में झोंका जा रहा है। आतंकवाद राष्ट्रवाद का चोर रास्ता है। बुधवार को जो आतंकवादी पकड़ा गया है उसका चेहरा पाकिस्तान और पूरी दुनिया को दिखाया जाना चाहिए। घटना नेशनल हाइवे नंबर वन यानी जम्मू श्रीनगर हाइवे पर दारसू के पास की है।

पकड़े जाने से पहले दो आतंकवादियों ने उस बस पर हमला कर दिया जिससे सीमा सुरक्षा बल के जवान जा रहे थे। इनकी गोलियों से 11 जवान घायल हो गए। दो जवान शहीद हुए हैं... ये हैं पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के कांस्टेबल शुभेंदु रॉय और हरियाणा में यमुनानगर के कॉन्स्टेबल रॉकी। इनमें से एक जवान ने मोर्चा न संभाला होता तो बीएसएफ के पचासों जवानों की जान नहीं बचती। इनकी जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी मारा गया और दूसरा जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे से ऊपर गांव की तरफ भागा। रास्ते में कुछ लड़कों को एके 47 के ज़ोर पर कहा कि भागने का रास्ता बताओ, उन्हें बट से मारा भी।

रास्ते में आतंकवादी को भूख लगी तो खाना भी खिलाया। जब पुलिस वाले पास आते दिखे तो आतंकवादी घबरा गया और कहने लगा कि मुझे जाने दो, फरार होना है। बस मौका देख एक ने राइफल पकड़ी और दूसरे ने गर्दन दबा कर दबोच लिया। चेहरा नकाब से ढका हुआ है लेकिन साथ लेकर गांव के लोग चले आ रहे हैं उसमें हिन्दू मुसलमान सब हैं। अक्सर आतंकवाद के नाम पर हिन्दू मुस्लिम की राजनीति हो जाती है लेकिन गांव के लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और नवाज़ शरीफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। पकड़ने वाले युवकों के नाम है विक्रमजीत, राकेश कुमार और इमरान। दारसू से पांच किलोमीटर दूर है इनका गांव जिसका नाम है छिलडी। इस गांव में हिन्दू मुस्लिम दोनों रहते हैं।

कासिम, उस्मान और नावेद। जैसे जैसे ख़बर आ रही थी नाम बदल रहा था। रहने वाला है पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मोहम्मदाबाद का। न्यूज़ चैनलों पर फ्लैश होने लगा कि कसाब के बाद दूसरा आतंकवादी पकड़ा गया है। इकोनॉमिक टाइम्स अखबार से जु़ड़े रक्षा मामलों के पत्रकार मनु पबी ने ट्वीट कर हैरानी ज़ाहिर की है कि टीवी वाले इसे कसाब पार्ट टू कैसे कह रहे हैं। पिछले ही साल भारतीय सेना ने 44 आतंकवादी पकड़े हैं। दूसरों की क्या कहें खुद मैंने भी टीवी पर फुटेज देखकर सोचा कि कसाब के बाद दूसरी बार ऐसा हुआ है।

मनु पबी ने कहा कि पिछले ही साल भारतीय सेना ने इस इलाके से 44 आतंकवादियों को पकड़ा है। लेकिन सेना इन्हें पकड़ कर नुमाइश नहीं करती, उनसे जानकारी इकट्ठा करती है और फिर जो करना होता है वो करती है। लेकिन जैसे ही नकाब हटाया गया तो उसका जो चेहरा दिखा वो पूरी दुनिया के लिए सबक है।

पकड़े जाने पर इसके चेहरे का हाव भाव बता रहा था कि अब तो कोई चारा नहीं शायद उसी वजह से बेखौफ भी हो गया होगा। बेखौफ क्या वो तो वीडियो फुटेज में मस्त मौला लग रहा है। सोलह से बीस साल के लगने वाले इस आतंकी के चेहरे से बात-बात पर हंसी छलक रही थी। कुछ ही घंटे पहले यही चेहरा बीएसएफ की बस पर गोली चला रहा था। अजमल कसाब और नावेद के हुलिये में खास फर्क नहीं है, सिर्फ इस बात के कि कसाब अपनी चाल ढाल से सैनिक प्रशिक्षण पाया हुआ लगता था और नावेद गांव से बहला फुसलाकर लाया गया नौजवान।

धर्म और राष्ट्रवाद के गलत बहकावे में आने वाले दुनिया भर के सारे युवक देखें कि कैसे उनका इस्तमाल होता है। वे मार दिये जाते हैं और पकड़े जाने पर न तो उनका मुल्क काम आता है और न मज़हब। नावेद के दो भाई हैं। एक जेसी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर है और एक भाई होज़री का बिजनेस करता है। एक बहन भी है। जो मार दिया गया उसका नाम नामोन उर्फ नोमी है और बहावलपुर का रहने वाला है। दोनों लश्करे तैयबा के हैं और दो दिन पहले से भारत की सीमा में आए हैं।

पकड़े जाने के बाद आतंकवादी और गांव वालों की बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग टीवी स्क्रीन पर चलने लगी। गांव वालों ने इस आतंकवादी से पूछना शुरू किया तो कहने लगा कि मैं आपके हाथ में पकड़ा गया हूं जी। आप जानें। वीडियो रिकॉर्डिंग बहुत साफ नहीं है इसलिए कुछ जवाब समझ नहीं आता है। आतंकी नावेद ने बताया कि दोनों पाकिस्तान से आए थे।

जब गांव वालों ने पूछा कि ट्रेन से आए या बस से तो हंसते हुए जवाब देता है कि कौन सी ट्रेन बस आती है। अगर ट्रेन बस आती होती तो इधर आ जाते। जंगल जंगल आए हैं। गांव वालों का व्यवहार काबिले तारीफ तो है ही, उससे भी कमाल है इनका व्यवहार। आतंकवादी को पकड़ने के बाद न तो मारो मारो का नारा लगा रहे थे न ही उसके साथ धक्का मुक्की कर रहे थे। किसी ने पूछा कि

लोग - खाना-पीना कौन देता है? खिलाता पिलाता कौन है आपको?
आतंकी - खाना-पीना क्या है जी, जिस घर में घुसा खा लिया।
लोग - इतने घंटे कहां रहे हो?
आतंकी - रहे तो नहीं कहीं। पाकिस्तान से अभी आए थे जंगल में, बॉर्डर से दो दिन पहले।
लोग - कहां से आए?
आतंकी - बॉर्डर से। फिर हम नीचे उतरे सड़क पर जम्मू की। इधर उधर से गाड़ियां भी पकड़ीं।
सवाल - क्या तार काटके आए? तार के पास कोई आर्मी वार्मी नहीं थी?
आतंकी - जी पोस्ट थी उनकी।
आतंकी - ना तार नहीं काटे। हमारे पास क्या था जो तार काटते। ऐसे ही घुसे।
लोग - आगे का क्या प्लैन था?
आतंकी - पकड़ा क्यों, आगे क्या करना है, देखो अभी।
लोग - क्या श्रीनगर जाना था आपको?
आतंकी - ना ना ना, इधर कोई पता नहीं क्या इलाका है, कौन सा इलाका है।

मैं तो सोच रहा था कि बातचीत के इस वीडियो को पूरी दुनिया को दिखाया जाना चाहिए, खासकर आतंक की घटना के बाद पुतला दहन करने वाले और आक्रामक नारे लगाने वाले हमारे नेताओं कार्यकर्ताओं को। लेकिन वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता के ट्वीट पढ़कर मुझे लगा कि मैं आतंक के मसले पर न ही बोलूं तो ठीक रहेगा। शेखर गुप्ता ने सवाल उठाया है कि दुनिया में आतंकवाद से लड़ने वाला कौन सा ऐसा देश है जो आतंकी को पकड़कर लाइव टीवी का तमाशा बनाता है जहां पूरी दुनिया के सामने आतंकवादी कबूल कर रहा हो। शेखर का कहना है कि दुनिया हम पर हंस रही होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है उधमपुर का इलाका आतंकवाद से मुक्त हो चुका था। मगर पीडीपी-बीजेपी शासन के दौरान राज्य में आतंकी हमलों में तेजी आई है। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया भी है कि 2014 में आतंकवाद की 110 घटनाएं हुई थीं और इस साल जुलाई तक 89 हो चुकी हैं। पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट पर इस घटना की कोई खबर नहीं है। अब पाकिस्तान में फेडरल इंवेस्टीगेशन एजेंसी के डायरेक्टर जनरल रहे तारिक खोसा का ज़िक्र करना चाहता हूं। जिन्होंने पाकिस्तान के डॉन अखबार में लिखा है, 'खोसा ने कहा है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है।

कसाब पाकिस्तान का नागरिक था और लश्करे तैयबा ने इस हमले के लिए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया था। जिस कैंप में ट्रेनिंग दी गई उसकी भी पहचान हो चुकी है। जहां से मुंबई हमले में इस्तमाल विस्फोटकों के कवर भी बरामद हुए हैं। कराची के जिस ऑपरेशन रूम से निर्देश दिये गए उसका भी पता चल गया है और सील किया गया है। कथित कमांडर और आतंकियों की भी पहचान हो चुकी है। उनके लेख से पता चलता है कि पाकिस्तान की जांच एजेंसी ने अपना काम बखूबी किया है। और यह सब पाकिस्तान के अखबार में छप रहा है इस संकेत को भी समझना चाहिए।

नावेद के पकड़े जाने के बाद भारत को क्या करना चाहिए? क्या ये सही मौका है पाकिस्तान को बातचीत की मेज़ पर लाने का? ताकि इसी बहाने खोसा के मसले की बात हो या इस मौके को रूटीन की नारेबाज़ी में गंवा देना चाहिए।

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