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This Article is From Feb 24, 2017

प्राइम टाइम इंट्रो : बच्चे के जन्म के लिए ऑपरेशन सही है या नॉर्मल डिलिवरी?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 24, 2017 23:27 pm IST
    • Published On फ़रवरी 24, 2017 23:25 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 24, 2017 23:27 pm IST
अदालत के आदेश के बाद अब स्टेंट की कीमत सरकार को तय करनी पड़ी है. तीस हज़ार से ज्यादा इसकी कीमत नहीं होगी. मगर हार्ट के मरीज़ों के परिजन इस सवाल से गुज़रते रहे कि स्टेंट लगाने का फैसला सही है या नहीं, वो कैसे जान सकेंगे. उनके पास क्या तरीका होना चाहिए जिससे वो डॉक्टर की बात पर तर्कों से यकीन कर सकें कि स्टेंट लगाने की जो बात बताई गई है वो पूरी तरह ठीक है. क्यों जब प्राइम टाइम में चर्चा हुई थी तब यह बात सामने आई थी कि कई बार ज़रूरत भी नहीं होती और स्टेंट लगा दिये जाते हैं. भारत में अभी तक सभी अस्पतालों के लिए स्टेंट लगाने के लिए कोई गाइडलाइन ही नहीं बनी है. दर्शकों का यह सवाल जायज़ है कि आम लोगों को कैसे जानकारी दी जाए, कैसे सक्षम किया जाए ताकि वे डॉक्टर से सही सवाल कर सकें. आज हम बात करेंगे बच्चे का जन्म ऑपरेशन से होना ठीक है या नॉर्मल तरीके से. क्या अस्पताल अधिक कमाई के लिए ऑपरेशन का रास्ता चुनते हैं. आप इस शो में सीज़ेरियन, सी-सेक्शन जैसे शब्द ख़ूब सुनेंगे जिसका मतलब है ऑपरेशन के ज़रिये बच्चे का जन्म होना.

दो महीना पहले चेंज डॉट ओआरजी पर मुंबई की सुवर्णा घोष ने एक याचिका डाली और लोगों से समर्थन मांगा. याचिका के ज़रिये सुर्वणा जी ने मांग की कि सभी अस्पतालों के लिए अनिवार्य किया जाए कि वे अपने अस्पताल में होने वाले सीज़ेरियन डिलिवरी की संख्या की घोषणा करें. दो महीने के भीतर इस अभियान को एक लाख चालीस हज़ार लोगों ने अपना समर्थन दिया है जिनमें से साठ फीसदी महिलाएं हैं. केंद्र सरकार की महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी इस अभियान का समर्थन करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि इस दिशा में कदम उठाया जाना चाहिए.

कई बार ऐसी बहसें दिल्ली और मुंबई के लिए सिमट कर रह जाती हैं मगर बच्चा ऑपरेशन से होगा या नॉर्मल से होगा, हर जगह इसकी चर्चा होती है. इस आधार पर इलाके में डॉक्टर की प्रसिद्धी भी होती है और परिवारों में उहापोह कि फलां अस्पताल में जाएं या न जाएं जहां सीज़ेरियन से ही बच्चा होता है. दूसरी ओर हकीकत यह भी है कि मरीज़ भी मांग करते हैं कि बच्चा ऑपरेशन से पैदा हो. कई बार लोग ज्योतिष से समय निकलवा लाते हैं और खास तारीख को पैदा होने की सनक के कारण डॉक्टर से गुज़ारिश करते हैं कि ऑपरेशन से ही बच्चा पैदा हो. कई बार मरीज़ अन्य कारणों से भी डॉक्टर को मजबूर करते हैं. कई बार अस्पताल और डॉक्टर भी मजबूर करते हैं कि उनके यहां बच्चा ऑपरेशन से ही पैदा हो. नेशनल रूरल हेल्थ सर्वे का आंकड़ा पहले देख लेते हैं. आप भी कहां रामजस कालेज, महाराष्ट्र में बीजेपी की शानदार कामयाबी और यूपी चुनावी के निम्नस्तरीय भाषणों में उलझे हुए हैं, इसलिए अचानक से आपके ऊपर सिज़ेरियन का मसला थोपना भी ठीक नहीं है. 2015-16 का आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना के प्राइवेट अस्तपालों में 74 फीसदी जन्म ऑपरेशन से होता है और 40.6 फीसदी नॉर्मल तरीके से होता है. त्रिपुरा के प्राइवेट अस्तपालों में 73.7 फीसदी जन्म ऑपरेशन से होता है. 18.1 फीसदी नॉर्मल तरीके से होता है. तमिलनाडु के प्राइवेट अस्तपालों में 51.3 प्रतिशत जन्म ऑपरेशन से होता है और 26.3 प्रतिशत जन्म नॉर्मल तरीके से.

इसी दौरान टाइम्स ऑफ इंडिया की एक ख़बर पढ़ते हुए अच्छा लगा कि तमिलनाडु में 99 प्रतिशत बच्चे अस्तपालों में पैदा होते हैं. लेकिन यहां के अस्तपालों में भी ऑपरेशन का जलवा है. 10 में से 3 बच्चे ऑपरेशन से पैदा होते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडू ने 2000 अस्पतालों से कहा है कि वे मार्च के अंत तक ऑनलाइन रिपोर्टिंग करें कि कितने बच्चे ऑपरेशन से इस दुनिया में आए और कितने नॉर्मल तरीके से. एक तर्क दिया जा रहा है कि ऑपरेशन से बच्चा पैदा होने के कारण प्रसव के दौरान मां और बच्चे की मौत की संख्या में कमी आई है.

मेनका गांधी का बयान और चेंज डाट ओआरजी का यह अभियान कहता है कि अस्पतालों को अब बताना पड़ेगा कि उनके यहां महीने में कितने बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए.

क्या यह काफी होगा? इससे क्या फर्क पड़ जाएगा? आप दर्शकों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि अगर यह पता ही चल गया कि फलाने सरकारी या प्राइवेट अस्तपाल में हर महीने ज्यादातर बच्चे सीज़ेरियन से पैदा होते हैं तो वे क्या कर लेंगे. दूसरे अस्पताल में जाएंगे, वहां भी यही संख्या लिखी होगी. तब क्या करेंगे. चेंज डाट ओआरजी को आरटीआई के हवाले से जानकारी मिली है कि 2015 में मुंबई के सरकारी और निगमों के अस्पतालों में 21,744 बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए. 2010 में मुंबई के सरकारी और निगमों के अस्पतालों में 9,593 बच्चे ही ऑपरेशन से पैदा हुए. पांच साल में संख्या दुगनी से भी अधिक हो चुकी है.

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पोपुलेशन साइसेंस के चयन रॉय चौधरी ने रिसर्च किया है कि दुनिया के जिन देशों में ऑपरेशन से सबसे अधिक बच्चे पैदा होते हैं, अपना भारत में उनमें शामिल है. यह तस्वीर तब है जब हमारे देश में आंकड़ों को जमा करने की व्यवस्था थोड़ी कमज़ोर है. हो सकता है कि इससे भी भयावह स्थिति हो. कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज का पांच साल का अध्ययन किया गया है. वहां ऑपरेशन से पैदा होने वाले बच्चों में 49.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. तो क्या अस्पताल मरीज़ों को ऑपरेशन के लिए मजबूर कर रहे हैं.

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