देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठतम नेताओं में से एक लालकृष्ण आडवाणी द्वारा अपने ब्लॉग पर कथित रूप से वर्ष 2014 के आम चुनाव में पार्टी की हार को स्वीकार कर लेने की जो ख़बरें सोमवार को सभी अख़बारों में छाई रहीं, वे इस बात का साफ प्रतीक हैं कि अब मीडिया किसी भी ख़बर की तह तक जाए बिना उसे छाप देता है, ताकि मसाला बना रहे...
सभी समाचारपत्रों ने आज छापा कि पूर्व उप-प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया है कि वर्ष 2014 के आम चुनाव के बाद देश में गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेस सरकार बनेगी, क्योंकि आडवाणी ने लिखा है, "एक गैर-भाजपाई और गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री का इन्हीं दो प्रमुख पार्टियों में से किसी एक के समर्थन से सरकार चलाना हालांकि मुमकिन है..."
लेकिन इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़ने पर आडवाणी की बातों का यह अर्थ कतई नहीं निकलता, क्योंकि वहां इसे पूरे संदर्भ में पढ़ा जा सकता है... दरअसल, आडवाणी ने अपने ब्लॉग में निवर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के सम्मान में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए भोज के दौरान कांग्रेस के दो केन्द्रीय मंत्रियों से हुई बातचीत का ज़िक्र किया है... वह लिखते हैं, "औपचारिक भोज से पहले कांग्रेस के दो मंत्रियों के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत से मैं स्पष्ट अंदाज़ा लगा पाया हूं कि उन दोनों के दिमाग में भारी चिन्ता बसी हुई है... उनकी चिन्ताएं थीं - एक, लोकसभा के लिए होने वाले 16वें चुनाव में कांग्रेस या भाजपा में से कोई भी ऐसा गठबंधन नहीं बना पाएगी, जिसे स्पष्ट बहुमत हासिल हो... और दो, इसीलिए, भले ही चुनाव वर्ष 2013 में हों या वर्ष 2014 में, ऐसा भी संभव है कि तीसरे मोर्चे की सरकार बन जाए, जो भारतीय राजनीति के लिए गंभीर रूप से हानिप्रद होगी ही, राष्ट्रीय हितों को भी नुकसान पहुंचाएगी..."
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This Article is From Aug 06, 2012
दरअसल, डरे हुए नहीं हैं आडवाणी, चेता रहे हैं कांग्रेस को...
Vivek Rastogi
- ब्लॉग,
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Updated:August 06, 2012 16:50 IST
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Published On August 06, 2012 16:53 IST
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Last Updated On August 06, 2012 16:53 IST
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