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विराट कोहली: 2016 में विराट के बेस्ट से-टेस्ट से-रेस्ट तक

Payal Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 12, 2025 23:58 pm IST
    • Published On मई 12, 2025 23:58 pm IST
    • Last Updated On मई 12, 2025 23:58 pm IST
विराट कोहली: 2016 में विराट के बेस्ट से-टेस्ट से-रेस्ट तक

विराट कोहली ने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में अपने करियर का स्वर्णिम अध्याय लिखा. इस सीरीज़ में उन्होंने बल्लेबाजी के नए कीर्तिमान स्थापित किए और टेस्ट क्रिकेट में अपनी बादशाहत साबित की. पांच टेस्ट मैचों में 655 रन और 109.16 की औसत के साथ कोहली ने हर चुनौती को पार किया. राजकोट में 167, मुंबई में 235 और चेन्नई में 248 रन की पारियों ने क्रिकेट प्रेमियों को रोमांचित कर दिया. एंडरसन की स्विंग को बेअसर करना, स्पिनर्स के खिलाफ रिवर्स स्वीप का कमाल और कप्तानी की जिम्मेदारी निभाते हुए डबल सेंचुरी बनाना – यह सीरीज़ कोहली की तकनीक और दृढ़ता का प्रतीक बन गई.

कोरोना काल और 2021 की इंग्लैंड सीरीज़: एक योद्धा का संघर्ष

2021 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ कोहली के लिए कठिन साबित हुई. चार टेस्ट में केवल 218 रन और 31.14 की औसत के साथ वह एक भी अर्धशतक नहीं बना सके. जेम्स एंडरसन ने उनकी कमजोरी को बखूबी भुनाया और ऑफ-स्टंप लाइन पर उन्हें बार-बार परेशान किया. बायो-बबल की थकान, कप्तानी का दबाव और फॉर्म में गिरावट ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया. यह दौर उनके करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण समय माना जाता है.

2016 और 2021 के बीच कोहली की बल्लेबाजी में तकनीकी बदलाव साफ दिखाई दिए. 2016 में वह फ्रंट फुट पर गेंद को पूरी तरह कवर करते थे, लेकिन 2021 तक उनकी स्टांस स्थिर हो गई थी. इससे आउटस्विंगर्स पर उनका तालमेल बिगड़ गया. बैट का ग्रिप एंगल बदलने और फुटवर्क में कमी ने उनकी मुश्किलें बढ़ाईं. सुनील गावस्कर ने टिप्पणी की, यह उनका मुद्दा हो सकता है क्योंकि वह रन नहीं बना पा रहे हैं. जब आप फॉर्म में नहीं होते तो आप लगभग हर गेंद को खेलने की कोशिश करते हो और रन बनाने की कोशिश में हर गेंद को हिट करना चाहते हो. शायद वह इस चीज पर ध्यान दे सकते हैं.

मेंटल हेल्थ, लीडरशिप का प्रभाव और फिर वापसी

कप्तानी छोड़ने के बाद कोहली ने स्वीकार किया कि मानसिक थकान उनके खेल पर हावी हो रही थी. 2021 की सीरीज़ में वह हर गेंद पर अतिरिक्त सावधानी बरतते दिखे, जिससे उनकी सहजता गायब हो गई. साथ ही, टीम में युवा खिलाड़ियों के उभरने से उन पर खुद को साबित करने का दबाव बढ़ गया था.

2023 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में कोहली ने शानदार वापसी की. दो मैचों में 197 रन और 49.25 की औसत के साथ उन्होंने 121 रन की यादगार पारी खेली. बाउंसर्स पर पुल शॉट्स और स्पिनर्स के खिलाफ कवर ड्राइव्स ने उनके पुराने अंदाज की झलक दिखाई. हालाँकि, कुछ आलोचकों ने इसे कमजोर गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ प्रदर्शन बताया, लेकिन बेहतर फुटवर्क और स्ट्राइक रोटेशन ने उनकी मजबूत मानसिकता को उजागर किया.

टेस्ट का बॉर्डर साबित हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 

विराट कोहली की अंतिम टेस्ट श्रृंखला 2025 में ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन पर खेली गई और यह उनके सुनहरे करियर की एक सजीव लेकिन भावुक विदाई साबित हुई. पांच मैचों की इस बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में उन्होंने कुल 190 रन बनाए. औसत रहा 23.75 का, जो उनके नाम के मुकाबले फीका था लेकिन पर्थ में खेली गई नाबाद 100 रन की पारी ने उनके क्लास की आखिरी झलक ज़रूर दिखाई. वह इनिंग कोहली की तकनीक और जज्बे की मिसाल थी, जब बाकी बल्लेबाज़ जूझ रहे थे और उन्होंने एक छोर थामे रखा. हालांकि शेष पारियों में बार-बार ऑफ स्टंप की बाहर जाती गेंदों पर स्लिप में कैच आउट होना उनके संघर्ष की कहानी कह गया. ICC रैंकिंग में वे 12 साल बाद टॉप 25 से बाहर हो गए, और यह इशारा था एक युग के अंत का. 12 मई 2025 को जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा, तो सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं बल्कि एक जुनून, एक लड़ाका मैदान से उतरा.

पायल दिल्ली से हैं और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता रिसर्च स्कॉलर हैं. वह कई समाचार पत्र- पत्रिकाओं से जुड़ी रही हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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