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This Article is From Nov 18, 2014

विमल मोहन की कलम से : फिर राजनीति में उलझी भारतीय हॉकी

Vimal Mohan
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 19, 2014 16:10 pm IST
    • Published On नवंबर 18, 2014 19:18 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 19, 2014 16:10 pm IST

भारतीय हॉकी और कोच टेरी वाल्श के रिश्ते का अंजाम ऐसा होगा, ये किसी ने पहले शायद ही सोचा हो। भारतीय हॉकी कोच टेरी वाल्श ने खेल मंत्रालय जाकर मीडिया के सामने खेल मंत्री से हाथ भी मिलाए, लेकिन इन सबके दिल भी मिल गए हों, ये तो कतई नहीं कहा जा सकता।

खेल मंत्री से मिलने के बाद भी वाल्श टीम के कोच बने रहेंगे या नहीं ये खुद कोच को भी नहीं मालूम। कोच वाल्श ने कहा कि भारतीय हॉकी का कोच बनना उनके लिए सबसे मुश्किल कामों में से एक है। उन्होंने कहा कि वह भारतीय हॉकी के साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन उनके मुताबिक नए क़रार में उनकी शर्तें मानी जाएंगी, तभी वह इस टीम के साथ काम कर सकेंगे।

वहीं खेलमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारतीय हॉकी को कोच वाल्श की ज़रूरत है, क्योंकि वाल्श के साथ भारतीय टीम ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। लेकिन वाल्श की कई शर्तें हैं, जिनमें एक ये है कि वह पर्थ में रहकर भी भारतीय टीम की कोचिंग करना चाहते हैं। उन्होंने पिछले प्रदर्शन के आधार पर अपनी तनख़्वाह में बढ़ोतरी की मांग भी की है।

लेकिन हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने टेरी वाल्श और अमेरिकी हॉकी के बीच साफ़्टवेयर को लेकर हुए क़रार का हवाला देते हुए वाल्श के चरित्र पर सवाल उठा दिए। वाल्श ने हैरान और दुखी होकर प्रतिक्रिया दी कि इससे किसी का फ़ायदा नहीं होने वाला है और इस बारे में आगे मीडिया में बात करने से मना कर दिया।

हाल के दिनों में एशियाड, कॉमनवेल्थ खेल और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय हॉकी ने कई बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारतीय हॉकी की ये जीत की तस्वीरें जल्दी ही फ़ैन्स के ज़ेहन से मिट जाएं, इसके लिए अधिकारी मैदान के बाहर अच्छा खेल रहे हैं।

अगले महीने की छह तारीख से भारतीय टीम हॉकी के सबसे मुश्किल टूर्नामेंट चैम्पियंस ट्रॉफ़ी में हिस्सा लेगी। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम अब तक सिर्फ़ एक बार पोडियम पर जगह बनाने में कामयाब हुई है। लेकिन हाल की कामयाबी के बाद टीम के उपकप्तान पीआर श्रीजेश कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में जीत के बाद खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा है और उन्हें उम्मीद है कि टीम इस टूर्नामेंट में भी अच्छा प्रदशर्न करेगी।

भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर उपकप्तान कहते हैं कि हाल की कामयाबी से भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा कि
वह तो चैम्पियंस ट्रॉफ़ी को हाथ में उठाने का सपना देखते हैं। उन्हें भरोसा है कि टीम को इस बार घरेलू मैदान में मैच खेलने का फ़ायदा भी मिलेगा और इस बार टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी।

दरअसल एशियाई खेलों के बाद हॉकी कोच टेरी वाल्श की टैक्स की अदायगी को लेकर मसला पहले हॉकी इंडिया ने ही उठाया था।
हॉकी कोच वाल्श ने उस वक्त अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी और मीडिया में इसे लेकर खूब बवाल उठा।

टेरी वाल्श ने इस मौके का फ़ायदा उठाते हुए अपनी तनख्वाह और हॉकी के सपोर्ट स्टाफ़ और कामकाज के कई मुद्दे एक साथ उठा दिए। इनमें से कई मुद्दे आज भी बरक़रार हैं।

इस मसले को सुलझाने के लिए पूर्व कप्तान अजीत पाल सिंह, ज़फ़र इकबाल और अशोक कुमार जैसे दिग्गजों की कमेटी
बनाई गई, लेकिन लंबी बैठकों के बाद ये कमेटी मसले का हल निकालने में नाकाम रही।

हॉकी की ये कहानी नई नहीं है। भारतीय टीम जब भी बड़ी कामंयाबी हासिल करती है, अधिकारी मैदान के बाहर इस कामयाबी को बड़ा नहीं बनने देते। एक बार फिर भारतीय हॉकी उसी मुकाम पर खड़ी है।

ज़ाहिर है हॉकी का खेल मैदान के बाहर इतनी तेज़ी से हो रहा है कि समझना मुश्किल हो गया है कि गोलपोस्ट किस तरफ़ है।
फ़िलहाल इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि चैम्पियंस ट्रॉफ़ी में गोल बचाने के लिए हॉकी टीम को को हद से ज्यादा मेहनत करनी होगी।

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