नई दिल्ली: सुबह घर से निकलते ही कुछ अलग महसूस हुआ। सड़क खाली नजर आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि यह वह सड़क नहीं है जिस पर मैं रोज सफर करता हूं। मैंने अपना सफर शुरू किया रोज की तरह... ऑटो में बैठकर ऑफिस की तरह रवाना हो गया। घर से ऑफिस तक करीब 7 किलोमीटर की रास्ता तय करने में मुझे करीब 10 मिनट लगे। पहले 20 से 30 मिनट लगते थे। खुशी हुई कि रास्ते में ट्रैफिक नहीं था, सड़क पर गाड़ियां कम थीं। ऑड-ईवन फार्मूले से प्रदूषण कितना कम हुआ, यह तो पता नहीं लेकिन ट्रैफिक कम हो गया है।
पहले भारी प्रदूषित शहर था ओस्लो
प्रदूषण कम करने के लिए कई देशों ने अलग-अलग फार्मूले लागू किए हैं। जब मैं कुछ रिसर्च कर रहा था तो मुझे पता चला कि एक ऐसा समय था जब नॉर्वे की राजधानी ओस्लो एक प्रदूषित शहर के नाम से जानी जाती थी, लेकिन वहां की सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए जिनसे प्रदूषण कम होने लगा और अब ओस्लो दुनिया के पांच कम प्रदूषित शहरों में से एक है। नॉर्वे दुनिया का एक बड़ा तेल और गैस उत्पादक देश है। तेल और गैस इंडस्ट्री से कार्बन डाईऑक्साइड निकलती है जो पूरे देश को प्रदूषित करती है।
सन 1991 से लगा कार्बन डाइऑक्साइड टैक्स
इस प्रदूषण को रोकने के लिए नॉर्वे ने एक महान कदम उठाया। सन 1991 से इन उद्योगों पर कार्बन डाईऑक्साइड टैक्स लगा दिया। जो भी बड़े उद्योग कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं उन्हें कार्बन डाईऑक्साइड टैक्स देना पड़ रहा है। एक टन कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ने पर करीब 45 पाउंड टैक्स देना पड़ता है। टैक्स के कारण बढ़े आर्थिक भार को कम करने के लिए वहां बड़े उद्योग कम कार्बन गैस छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
2050 तक ग्रीन हाउस गैस से मुक्ति का लक्ष्य
नॉर्वे सरकार की कोशिश है कि सन 2030 तक देश में कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 40 प्रतिशत से कम हो जाए और 2050 तक पूरा नॉर्वे ग्रीन हाउस गैस से फ्री हो जाए। नॉर्वे सरकार कोशिश कर रही है कि ग्रीन हाउस गैस से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जाए और इस पैसे का नई टेक्नोलॉजी की खोज में इस्तेमाल किया जाए जिसके जरिए पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा का विकास हो सके। सिर्फ इतना ही नहीं नॉर्वे सरकार ने इस पैसे से एक पेंशन फंड भी बनाया है। इस फंड से गरीबों को पेंशन मिलती है। यह टैक्स और कई देशों में भी लिया जाता है। लेकिन मैंने नॉर्वे का नाम इसीलिए लिया क्योंकि नॉर्वे इसके जरिए ज्यादा सफल हुआ है।
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