उत्तर प्रदेश के वेलनेस सेंटर का ये हाल, अस्पताल हैं या खटाल...

धर्म के नाम पर समाज को लगातार बीमार किया जा रहा है और फिर उस बीमार समाज के इलाज के नाम पर नए विवाद पैदा किए जाते हैं औऱ लोग उस बीमारी को दूर करने जुट जाते हैं.

नमस्कार मैं रवीश कुमार, नफ़रत के मुद्दों को पैदा कर टीवी में डिबेट और अख़बारों में संपादकीय लेख भरे जा रहे हैं. धर्म के नाम पर समाज को लगातार बीमार किया जा रहा है और फिर उस बीमार समाज के इलाज के नाम पर नए विवाद पैदा किए जाते हैं औऱ लोग उस बीमारी को दूर करने जुट जाते हैं. नफरत की राजनीति के चलते समाज के बड़े हिस्से को इस बीमारी का सुख मिलने लगा है. हिजाब का डिबेट उस बीमारी का हिस्सा है जिसे राजनीति ने गुंडागर्दी के नाम पर पैदा किया है. अगर इसकी बहस में नफरत का सुख मिलता है तो बेशक वो सुख हासिल करते रहें लेकिन जहां शारीरिक बीमारी का इलाज होता है, उसकी हालत पर भी नज़र डाल लें. हिन्दी प्रदेशों ने जिस तरह स्वास्थ्य के मुद्दे को पीछे धकेला है उसके बदले में इलाज ने उन्हें भी बर्बाद कर दिया है. घर के घर तबाह हैं और कर्ज़े में हैं. ऐसा नहीं है कि यूपी के चुनावी भाषणों में कोरोना की दूसरी लहर की तबाही का ज़िक्र नहीं हो रहा है लेकिन जिस तरह से हो रहा है उससे पता चलता है कि समाज अपनी ही तबाही को समझने के लायक नहीं बचा है. ऐसे समाज को अगर हिजाब के नाम पर डिबेट की सप्लाई न हो तो उसकी पेट में मरोड़ उठने लगेगी. एक अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव अपने भाषणों में स्वास्थ्य को भी जगह देते हैं. 

पिछले साल अक्तूबर से जब यूपी सरकार ने चुनावी अभियान शुरू किया तो उसके विज्ञापनों में अस्पताल और मेडिकल कालेज का खूब ज़िक्र आया. प्रधानमंत्री ने गोरखपुर एम्स के एक वार्ड का उदघाटन भी किया. लेकिन क्या स्वास्थ्य का मुद्दा आचार संहिता लागू होने के बाद ज़ोर पकड़ सका.यह बात लगभग भुला दी गई है कि 2017 में सरकार में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया था. उस श्वेत पत्र की तुलना में पांच सालों में कितना सुधार हुआ है, इसके लिए अगले श्वेत पत्र का इंतज़ार कीजिए.

यह श्वेत पत्र मुख्यमंत्री बनने के बाद सितंबर 2017 में जारी हुआ था. तब नए नए मुख्यमंत्री ने कहा था कि अस्पतालों में डॉक्टरों के चालीस प्रतिशत पद ख़ाली हैं और पिछली सरकार के पास भर्ती की योजना नहीं थी. इस वक्त कितने डाक्टर बहाल हो चुके हैं, कितने प्रतिशत पद ख़ाली हैं, काश इन सब सवालो पर बहस होती. तब योगी आदित्यानथ ने कहा था कि यूपी के अस्पतालों में सी टी स्कैन से एम आर मशीन तक की भयंकर कमी है. क्या आज हालात बदल गए हैं? कोरोना की दूसरी लहर में आई सी यू की क्या हालत थी, सबने देखा था. श्वेत पत्र जारी करने के कुछ महीने के बाद जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यना केरल जाते हैं तब कहते हैं कि केरल को यूपी के हेल्थ सिस्टम से सिखना चाहिए. जब अखिलेश ने कुछ किया ही नहीं था और इतना खराब कर दिया था तब फिर चंद महीनों में यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी बेहतर हो गई थी? 

हमने 7 dec 2021 के प्राइम टाइम में  यूपी के कई ज़िला अस्पतालों का हाल दिखाया था. यू ट्यूब में प्राइम टाइम को काफी देखा जाता है लेकिन स्वास्थ्य पर किए गए इस एपिसोड को बहुत कम लोगों ने देखा. हमें खुशी है कि हम समाज को लेकर बहुत सही थे कि उसे हेल्थ के मुद्दे से फर्क नहीं पड़ता है. आप उस एपिसोड को यू ट्यूब में देख सकते हैं. हमने दिखाया था कि कई ज़िला अस्पतालों के कई महत्वपूर्ण विभागों में डाक्टर नहीं हैं. इलाज के नाम पर मरीज़ को इस अस्पताल से उस अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. 7 दिसंबर के प्राइम टाइम में हमने अपने सहयोगियों के अलावा यूपी के अख़बारों में छपी खबरों का भी सहारा लिया था. 

आज भी हम अमर उजाला की दो खबरों का सहारा ले रहे हैं. एक आज छपी है और एक कुछ दिन पहले. दोनों गाज़ियाबाद और लोनी के अस्पताल की है.आशुतोष यादव की इस खबर में बताया गया है कि गाज़ियाबाद के बम्हैटा गांव में सवा चार करोड़ का अस्पताल बन कर तैयार है लेकिन एक साल से इलाज शुरू नहीं हुआ है क्योंकि डाक्टर से लेकर नर्स तक के पद ही सृजित नहीं हुए हैं. दूसरी खबर यह है कि लोनी में सत्रह लाख की आबादी पर मात्र पचास बेड का अस्पताल 2018 में बनना शुरू हुआ आज तक बन ही रहा है. इलाज शुरू नहीं हुआ है.

अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर इमारतें जल्दी बन जा रही हैं. पुरानी इमारतों को रंगवा दिया जा रहा है ताकि गांव में लोगों के बीच उम्मीद चालू हो जाए कि रंगाई हुई है तो दवाई भी होगी. एक दो साल इस उम्मीद में कट जाते हैं. यह पैटर्न आपको अब हर राज्य में दिखेगा. इसलिए बिल्डिंग बना कर विकास दिखाने का चलन भी बढ़ा है. आज के प्राइम टाइम के लिए जब हम मेडिकल कालेज की संख्या को लेकर रिसर्च कर रहे थे तब अजीब सा पैटर्न नज़र आया. 2017 के पहले सत्तर साल में बने मेडिकल कालेजों की संख्या अलग अलग बताई जा रही है, 2017 के बाद योगी काल में बने मेडिकल कालेजों की संख्या भी अलग अलग बताई जा रही है. 

यह ट्वीट आठ फरवरी का है जो जिसे बीजेपी यूपी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है.इसमें दावा किया गया है कि पांच साल में यूपी में  33 मेडिकल कॉलेज निर्माण की कार्यवाही को आगे बढ़ाया है . 70 साल में केवल 12 मेडिकल कालेज बने थे. (इमेज चेंज इन) चार दिन बाद योगी आदित्यानाथ जब ट्विट करते हैं तब उसमें 70 साल में बने मेडिकल कालेज की संख्या 12 से बढ़कर 16 हो जाती है. और लिखते हैं कि 2017 के बाद 59 जनपद में न्यूनतम एक मेडिकल कालेज क्रियाशील है. मतलब चालू हालत में हैं.8 फरवरी को 33 मेडिकल बने हैं और निर्माणाधीन हैं लेकिन 12 फरवरी को यूपी में 59 न्यूनतम कॉलेज क्रियाशील हो जाते हैं. औऱ मेडिकल कालेज की संख्या 33 से बढ़कर 59 हो जाती है. 

चार दिन में मेडिकल कालेजों की संख्या 26 मेडिकल कालेज जोड़ दिए जाते हैं. आपने देखा कि योगी आदित्यनाथ 2017 के पहले यूपी में बने मेडिकल कालेज की संख्या 12 और 16 बताते हैं. 4 फरवरी को बीजेपी यूपी की तरफ से जे पी नड्डा का बयान ट्विट किया जाता है कि  2014 में यूपी में 15 मेडिकल कॉलेज थे. अब देश में सबसे अधिक 59 कालेज हैं. पांच फरवरी को यूपी बीजेपी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बयान ट्वीट करता है कि यूपी में 2-4 मेडिकल कालेज ही थे . आज 59 बन गए हैं या निर्माणाधीन हैं. 

पांच साल में यूपी में कितने मेडिकल कालेज बने हैं. 28,33 या 59 .अभी आपने देखा कि मुख्यमंत्री योगी कह रहे हैं कि पांच साल में यूपी में 33 मेडिकल बने हैं औऱ बन रहे हैं. फिर वही मुख्यमंत्री कहते है कि यूपी में 59 मेडिकल कालेज चल रहे हैं. अमित शाह कहते हैं कि योगी काल में मेडिकल कालेज 12 से 40 हो गई है. अमित शाह के अनुसार योगी के काल में 28 मेडिकल कालेज बने हैं. यही नहीं सत्तर साल में बने मेडिकल कालेज की संख्या भी कभी 12,तो कभी 15 तो कभी 16 तो कभी 2-4 बताई जा रही है. ईंट गारे का ही तो कालेज बना होगा, होलोग्राम का तो बना नहीं होगा तब फिर संख्या तो कम से कम ठीक ठीक बताई जा सकती थी. 

11 फरवरी के इस ट्वीट में योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यूपी के सभी 75 ज़िलों में मेडिकल कालेज खोलने की दिशा में हमारी सरकार कासगंज में भी PPP माडल पर मेडिकल कालेज बना रही है.31 जनवरी के अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने कहा था कि देश में 80,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बन गए हैं. हम चाहते हैं कि राष्ट्रपति अगली बार जब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का ज़िक्र करें तो इस रिपोर्ट को भी देख लें. केंद्र सरकार ने लंबी सूची बनाई है कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में क्या क्या होगा. उसे पढ़ कर लगता है कि गांव में अस्पताल ही खुल गया है.हमारे सहयोगी जब इन सेंटरों पर गए तो कहीं ताला मिला तो कहीं ताले से पहले नाला मिला. ड्रेसिंग ड्रम, एग्जामिनेशन लैंप, वेइंग स्केल, हब कटर, नीडल डिस्ट्रॉयर, ऑक्सीजन सिलिंडर, स्टारलाइजर वगैरह वगैरह वेबसाइट में ही मिले.


बलिया जिले का कपूरी नारायणपुर गांव , यह गांव जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर है . इस गांव में प्राथमिक विद्यालय के पास बना यह ANM सेंटर है जिसमें वेलनेस सेंटर कागजों में चल रहा है . इस सेंटर की हालत ये है यह खंडहर बना हुआ है . गांव वालों का कहना है कि यह वर्षों पहले बना था . लेकिन कभी चालू नही हुआ और वेलनेस सेंटर कहां है उनको पता नही है .

कपूरी गांव निवासी दीपक कुमार ने कहा कि एएनम सेंटर बना हुआ है कई वर्षों से बना हुआ है, हमको लगता है कि आप 10 वर्षों से बना है जब से बना हुआ तब से आज तक यहां ना कोई चिकित्सा या कोई कर्मचारी या कोई a.n.m. या कर्मचारी यहां आता है जब भी कोई इलाज कराना होता है तो यहां से 10:00 12 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता है यहां कोई बिरला सेंटर नहीं है और हम लोगों को भी जानकारी नहीं है यहां कोई क्या वैलनेस सेंटर चलेगा आप बिल्डिंग की हालत देख रहे हैं कि यहां न कोई टेबल है ना कुर्सी है कहां से कर्मचारी आएगा और करेगा. कपूरी गांव के बाद NDTV की टीम पहुंची बघेजी गांव में . यहां हमारी मुलाकात वेलनेस सेंटर की CHO से हुई. मगर उनसे वेलनेस सेंटर पर मुलाकात नहीं हुई, किसी दूसरे व्यक्ति के दरवाज़े पर हुई जहां वे अपनी ड्यूटी कर रही थीं. बघेजी में बने वेलनेश सेंटर का क्या हाल है आप भी देख लीजिए . यहां भी वेलनेश सेंटर ANM सेंटर में ही चलता है . इसका भी हाल कुछ ऐसा ही है यह सेंटर भी खंडहर ही बना हुआ है .जब हमने इनसे वेलनेश सेंटर के बारे में पूछा तो CHO का क्या कहना है आप खुद सुनिए 

वेलनेस सेंटर बघेजी की CHO प्रियंका पांडे ने कहा,“जब से हमें चार्ज मिला तब से कोरोना लगा है तो यही वैक्सीनेशन वगैरह में ड्यूटी लगी हुई है तो अभी ओपीडी नहीं चल पा रही है वहां कोई व्यवस्था नहीं है ना चेयर मिला है बैठने की व्यवस्था नहीं है सिर्फ केंद्र बना है ना वहां कोई सफाई कर्मी है ना सफाई होता है पैच वहां बैठने की व्यवस्था हो जाती पानी उन्हीं की व्यवस्था हो जाती बाथरूम होता लेडीज पेशेंट आती है तो उनको देखने में थोड़ा आसानी हो जाती है”

कपूरी नारायणपुर और बघेजी गाव के बाद अब हम आ गए हैं बलिया ज़िले के एक और गांव भगवानपुर, यहां वेलनेस सेंटर बना है. हम कुछ दिन पहले गए थे तब यहां बारिश हुई थी. दीवारों पर रंग रोगन हुआ है लेकिन सेंटर के बाहर ताला लटका मिला. इसी गांव में या यूं कहें कि वेलनेश सेंटर के पास ही बने ANM सेंटर में रह रहे धर्मेंद्र कुमार शाह बताते है कि डॉक्टर साहब यानी CHO एक दो दिन बीच लगाकर आती हैं वेलनेस सेंटर के पास पानी लगा हुआ है इसलिए बैठते नही है गांव में घुम घुमकर सुई लगाते है . 

स्थानीय निवासी ने कहा कि धर्मेंद्र कुमार शाह ने कहा, “मुझे यहां साफ सफाई के लिए रखा गया है जब से यह बनकर तैयार हुआ तो बरसात आ गई पानी लग गया तो डॉक्टर साहब के जो ड्यूटी थी वह यहां बैठकर के दवाई देती थी लेकिन उनका ट्रांसफर हो गया फिर बरसात आ गया तो पानी भर गया रोज डॉक्टर लोग आते हैं तो गांव में घूम घूम कर के सुई लगाते हैं प्रधान जी कह रहे हैं कि सूख जाएगा तो यहां माटी डलवा आएंगे तब डॉक्टर बैठेंगे साल भर से बंद पड़ा है जब से बरसात हुआ. भगवानपुर के बाद मिड्ढा गांव में जहां का भी हाल बाकी वेलनेस सेंटर जैसा ही दिखा . मिड्ढा गांव के रहने वाले हरिश्चन्द राजभर का कहना है कि वेलनेस सेंटर के बारे में कुछ जानकारी नही है .

बलिया ज़िले कई वेलनेस सेंटर या ए एन एम सेंटर का यही हाल है. जिसकी तस्दीक शिवनगर और ककहरा गाव निवासी भी करते हैं.  शिवनगर नई बस्ती के अभिषेक गोंड ने कहा, “यह जो पीछे बिल्डिंग बनी है, यहां पर डॉक्टर भी नहीं रहते मकान कितने दिनों से जर्जर पड़ा है यहां पर वैलनेस सेंटर भी अभी तक नहीं बना है हम लोगों को पता ही नहीं है कि हम बना है कि नहीं मरीज को दिखाने 2 किलोमीटर दूर पीएचसी जाना पड़ता है स्थिति यह है कि यहां रात में किसी की भी तबीयत खराब हो तो 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. बलिया के बाद सोनभद्र हाल जानने पहुंचे तो यहां  स्वास्थ्य केंद्रों का नाम बदल कर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कर दिया गया है लेकिन सुविधा जस की तस है.

दुद्धी ब्लॉक क्षेत्र के अमवार गांव में तब्दील हुए हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर की सुविधाएं नदारद थीं. अमवार गाव निवासी शम्भू नाथ कौशिक ने कहा, “सबसे पहले तो यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम चेंज करके वैलनेस सेंटर कर दिया गया हम लोगों को लगा कि यहां सुविधाएं बढ़ेंगी दुद्धी जाने से या दूर जाने से नजदीक में सुविधा मिल जाएगी लेकिन जब से हुआ तब से यहां बुखार नार्मल दवा दे दिया जाता है और कोई सुविधा नहीं है अगर रात में कोई दिक्कत आ जाए तो कोई नहीं मिलेगा डॉक्टर नहीं मिलेगा यह सब असुविधा है केवल नाम चेंज हुआ है सुविधा वगैरह नहीं है एक्सरे मशीन वगैरह कुछ नहीं है विकास के नाम पर खड़ी झुनझुना है” हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अमवार में डॉक्टर और फार्मेसिस्ट भी नजर आए, कुछ दवाइयां भी दी जा रही थी. मलेरिया डेंगू जैसे रोग के लिए कुछ टेस्टिंग किट भी दिखाए गए लेकिन लैब टेक्नीशियन नहीं है.कर्मचारियों ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के उपकरण अस्पताल में आ गए हैं लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों के कमी के वजह से दुरुस्त नही हो पाया है.

अमवार सेंटर के फार्मासिस्ट श्याम मुरली शर्मा ने कहा, लैब टेक्नीशियन तो नहीं है लेकिन लेकिन कुछ टेस्टिंग हो गया हम लोग कर लेते हैं टेस्टिंग ल होता है जैसे मलेरिया हो गया टाइफाइड हो गया एक्सरे मशीन नहीं है. मवार के बाद हमारी टीम बघाडू गाव पहुंची तो पता चला कि यहां भी एएनएम सेंटर  को हेल्थ और वैलनेस सेंटर बना दिया गया . लेकिन यहां सिर्फ सेंटर में सिर्फ एएनएम की ड्युटी लगाई गई है. वो भी टीकाकरण में पूरे दिन गांव में रहती हैं. सुविधा नाम का कोई भी चीज नही है. “सेंटर पर ना एक्सरा मशीन है ना कोई चेकअप होता है ना कोई यहां डॉक्टर है यहां पर सिर्फ एक एएनएम दे दिया गया है वह भी कहीं टीका होता है तो चली जाती हैं तो यह बंद रहता है अक्षर बंद रहता है कभी कबार टीका लगा हो तो होता है सुविधा के नाम पर यहां कुछ नहीं है”

सरकारी योजना भी लाती है और उस योजना का जमीन पर उतरने का दावा भी करती है लेकिन बलिया और सोनभद्र के हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के हालात का जायजा लेने के बाद यही लगता है की आम लोगों के स्वास्थ्य की ये योजना तो फिलहाल जमीन पर पूरी हरी उतरती नजर नहीं आ रही.

इसी तरह की एक रिपोर्ट बुलंदशहर से भी है. वहां मतदान हो चुका है लेकिन आदमी बीमार तो पड़ ही रहा है. उसके इलाज में ये हेल्थ और वेलनेस सेंटर किस तरह से काम आ रहे हैं, देखा ही जा सकता है.समीर अली अपनी रिपोर्ट में बता रहे हैं कि कई सेंटरों पर ताले लटक रहे थे. कहीं स्टाफ भी मिला तो वहां उपकरण नहीं थे, जिनका जिक्र आयुष्मान भारत ऑफिशियल वेबसाइट पर किया हुआ है.

बुलंदशहर के शिकारपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाते ही आपका स्वागत इस तरह से होता है. पानी और वेस्ट की निकासी नहीं होने पर टॉयलेट का पानी सड़क पर पसरा है. सीएचसी में मौजूद डॉक्टर के.सी राय और डीसीपीएम नीलम सिंह ने बताया की जिन उपकरण और दवाओं का जिक्र ऑफिशियल साइट पर है वह नहीं मिल रही है. डॉक्टर के.सी राय ने बताया कि उनके क्षेत्र में आठ उप केंद्रों को हेल्थ और वेलनेस सेंटर में बदला जा चुका है लेकिन वहां पर एक एएनएम, एक सी एच ओ और एक आशा की ही नियुक्ति की गई है.

शिकारपुर से हम कैलावन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर आ गए. जिस केंद्र को चालू हालत में बता रहे थे वहां ताला लगा मिला. स्थानीय लोगोंं ने कहा कि एच डब्लू सी महीने में सिर्फ दो बार ही खुलता है वो भी सिर्फ बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने के लिए या टीकाकरण के लिए. गरीब ग्रामीणों को इलाज हेतु शिकारपुर या फिर बुलंदशहर जाना पड़ता है. कैलावन एच डब्ल्यू सी के बाद रजपुरा गांव आ गए. यहां भी ताला लटका मिला. अस्पताल के चारों ओर उपले ही उपले दिखाई दे रहे थे.ग्रामीणों ने कह कि जब से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना है, किसी को भी वहां से उपचार नहीं मिला है.स्टाफ ही महीने में एक बार आता है. जिन अस्पतालों को गरीब ग्रामीणों के इलाज हेतु बनाया गया था, उसकी हालत तेबेले जैसी हो गई है. शिकारपुर ब्लॉक के रजपुरा एचडब्ल्यूसी के बाद हमारी टीम सलेमपुर एस डब्ल्यू सी पहुंची वहां भी हालात लगभग एक समान ही थे बिल्डिंग में पूरी तरह से ताले लगे हुए थे और एच डब्ल्यू सी का कोई बोर्ड या लोगो भी नहीं बना हुआ था जबकि शिकारपुर सीएचसी के डाक्टर और स्टाफ सलेमपुर को भी तैयार एचडब्ल्यूसी बता रहे थे जो कि कागज़ों में चालू है. सलेमपुर एच डब्ल्यू सी का जायज़ा लेने के बाद पास के ही गांव जटपुरा पहुंचे.

यहां भी हेल्थ वैलनेस सेंटर पर ताला लटका मिला. गांव के लोगों का कहना था कि 2018 में ही हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बना था. कुछ दिन चला भी लेकिन कई साल से कोई मेडिकल टीम उपचार हेतु नहीं पहुंची है. स्थानीय निवासी रामप्रकाश शर्मा ने बताया कि गांव में वक्त पर इलाज न मिलने के चलते काफी लोगों की मौत भी हो चुकी है कई बार अस्पताल ले जाते वक़्त रास्ते में ही कई ज़िंदगियां हमेशा के लिए खामोश हो चुकी हैं. हमने बुलंदशहर सीएमओ डॉ विनय कुमार सिंह से भी बातचीत की. सीएमओ ने बताया कि जनपद बुलंदशहर में 160 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बने हैं. उन्होंने कहा कि जिन गांव के उप केंद्र की इमारत ठीक हालत में है उनकी रंगाई पुताई करा दी गई है.बाकी जिस उप स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग ज्यादा खस्ता हालत में है वहां पर 10 बाई 14 का रूम बना दिया गया है. सीएमओ से बात कर लगा कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कोई कमी नहीं है. सब ठीक ठाक चल रहा है.

हमारी टीम ने अभी भी अपना सफर खत्म नहीं किया हमारी टीम बुलंदशहर के सदर के गांव ढ़कौली पहुंची.वहां भी दरवाज़ों पर बड़े-बड़े ताले लगे दिखाई दिए और ढ़कौली गांव के लोगों का भी यही कहना था कि उनके गांव का उप स्वास्थ्य केंद्र हमेशा बंद रहता है .गांव के बुजुर्ग व बच्चों को बेहद तकलीफों का सामना करते हुए शहर इलाज के लिए जाना पड़ता है जबकि गांव में सालों से उप स्वास्थ्य केंद्र की यह बिल्डिंग बनी हुई है लेकिन गांव के लोगों को 1 दिन भी इस स्वास्थ्य केंद्र से उपचार नहीं मिला.

दर्जनों हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की खाक़ छानने के बाद हमारी टीम को आखिरकार बुलंदशहर नगर कोतवाली क्षेत्र की धमेड़ा अड्डा बस्ती स्थित बना पीएचसी हैल्थ एंड वैलनेस सेंटर खुला हुआ मिल ही गया, सेंटर में जाकर तस्वीरें कुछ यू थी. सुबह के वक्त ही सेंटर पर एक एएनएम और एक सपोर्टिंग स्टाफ को छोड़ कोई भी मौजूद नहीं था.डॉक्टर, फार्मेसिस्ट, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर और लैब इंचार्ज चारों के ही केबिन खाली थे. पूछने पर पता चला कि सब के सब सीएमओ ऑफिस गए हुए हैं, सपोर्टिंग स्टाफ आकाश कुमार और ए एन एम करिश्मा ने बताया कि वहां सिर्फ प्राइमरी इलाज ही होता है जबसे हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर बना है वहां कोई तब्दीली नहीं हुई है,  ऑक्सीजन नहीं एमरजैंसी किट और मेजर डिसीज़ का इलाज भी उपलब्ध नही हैं. वही जब टेली मेडिसिन सुविधा के बारे में एएनएम करिश्मा से पूछा गया की क्या टेली मेडिसिन की सुविधा केंद्र में उपलब्ध हैं तो पता चला कि उन्हें कोई जानकारी ही नही थी कि ये क्या है. जिस तरह के दावे किए जा रहे हैं कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर मेडिसिन अच्छे इक्विपमेंट्स, डॉक्टर और स्टाफ के लिए अच्छे टॉयलेट और शयन कक्ष हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में बनाए गए हैं. वह सब कोरा झूठ साबित होता नज़र आ रहा हैं क्योंकि एच डब्ल्यू सी की बुनियादी हकीकत यही है जो हमने इस रिपोर्ट के जरिए आप लोगों तक पहुंचाई है. दुर्भाग्यपूर्ण यही हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का कड़वा और काला सच है. 

इंद्रेश पांडे मिर्ज़ापुर के छानबे के लालगंज गए. यह विधानसभा क्षेत्र काफी पिछड़ा माना जाता है. इस स्वास्थ्य केंद्र के बाहर महिलाएं लेटी हुई थीं. जब पूछा गया तो पता चला कि नसबंदी करने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया था. एंबुलेंस आने का इंतज़ार हो रहा था.

सबसे पहले 4 बजे जब हम स्वास्थ केंद्र पहुँचे तो किसी का अता पता नही था, इमरजेंसी सहित हर जगह ताला लगा मिला केवल एक वार्ड बॉय मिला .मीडिया की जानकारी होने पर झटपट कुछ स्टॉफ आ गए और उल्टा मरीजों को ही डांटने लगे .जल्दी जल्दी एम्बुलेंस को मँगाया गया और नसबंदी कराने वाली महिलाओं को घर छोड़ा गया , कुछ और मरीज भी यहां की व्यवस्था से परेशान व नाराज़ मिले . वहीं तीन एम्बुलेंस इसी लालगंज प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के परिसर में सरकारी लापरवाही के कारण जंग खा रही है . अस्पताल के सामने ही कूड़े की ढेर से उठता धुआं भी यहाँ की दुर्व्यवस्थाओं को मुँह चिढ़ा रही है .
जब अस्पताल ही नहीं है या हैं तो इस हालत में हैं तब आयुष्मान कार्ड लेकर आम आदमी का कहां इलाज करा रहा है. यूपी में 15 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. महंगाई और गरीबी इतनी है कि यह योजना न हो तो इस चुनाव में यह मुद्दा आग बन चुका होता. यूपी सरकार ने कहा है कि मार्च तक यह सुविधा चलेगी. क्या इस योजना के कारण यूपी की चुनावी राजनीति में बदलाव होने जा रहा है? इसके रोल पर बहुत बहस हो रही है कि यह योजना बीजेपी के लिए वोट दिलाऊ साबित होने जा रही है?सौरव ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार की है.

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टाइम्स आफ इंडिया की एक खबर आई है कि गुजरात में जीएसटी अधिकारियो ने 32,310 करोड़ का फेक बिल घोटाला पकड़ा है. साढ़े चार साल में यह कारनामा हुआ है. आप हिजाब का डिटेब देखते रहिए उधर भाई लोग,1875 फर्ज़ी कंपनियां बनाकर सरकारी ख़ज़ाने को 4200 करोड़ का चूना लगा चुके हैं. इन फ्राडियो की अलग ही मुफ्त योजना चल रही है. अभी तक ऋषि जी अरेस्ट नहीं हुए हैं वही ऋषि अग्रवाल साहब, जिन पर 23000 करोड़ के बैंक फ्राड का आरोप है. मौज में ही होंगे,ज़रूर घी में सरसों तेल फ्राई कर रहे होंगे. बाई द वे, वो बाबा किधर है जो नेशनल स्टाक एक्सचेंज चला रहा था, क्या उसने 16 फरवरी का प्राइम टाइम देख लिया होगा? ज़रूर हंस रहा होगा. मुझ पर नहीं, देश पर. सुखी जीवन जी रहा होगा. आप बेवजह दुखी न हो, मुफ्त अनाज मिल रहा है ले लीजिए.