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This Article is From Sep 19, 2016

जस्टिस मार्कंडेय काटजू से सुशील महापात्रा के कुछ सवाल

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 19, 2016 12:15 pm IST
    • Published On सितंबर 19, 2016 11:15 am IST
    • Last Updated On सितंबर 19, 2016 12:15 pm IST
माननीय जस्टिस काटजू,

आज मैं आपसे कुछ सवालों का जवाब चाहता हूं. आशा करता हूं कि आप स्पष्ट रूप से अपनी बात रखेंगे क्योंकि आप तो कई राज्यों के कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं. न्यायाधीश के रूप में आपने नाम भी कमाया, रिटायर होने के बाद भी आप समाज के लिए एक न्यायाधीश जैसी भूमिका निभा रहे हैं. कई लोगों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन का दिमाग आपको खाली लगता है, 90 प्रतिशत भारतीयों को मूर्ख भी आप कह चुके हैं, आप तो अपनी ही बिरादरी के कई लोगों पर भी सवाल उठा चुके हैं, कई बार आपने ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें लेकर आपकी तारीफ भी हुई है.

मैं यह जानना चाहता हूं मीडिया को लेकर आपकी राय क्या है? क्या मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए आप हमेशा छाए रहना चाहते हैं और जानबूझकर ऐसे सवाल खड़े करते हैं जो वायरल हो जाते हैं? मैं इसीलिए यह सवाल पूछ रहा हूं क्योंकि आपकी फेसबुक पोस्ट देखने के बाद मैं खुद कई बार कंफ्यूज हो जाता हूं. आपके फेसबुक पोस्ट पर मीडिया के साथ-साथ दूसरे लोगों की आलोचना करते हुए कई बार देखा है, कभी-कभी आपके द्वारा की गई आलोचना मुझे अच्छी भी लगती है. 16 सितंबर को आपने फेसबुक पर यह लिखा कि अमिताभ बच्चन के साथ-साथ ज्यादातर मीडिया वालों का दिमाग खाली है. आपने मीडिया वालों का दिमाग इसीलिए खाली बताया क्योंकि आपको लगता है मीडिया वाले कई बार बच्चन साहब की बेकार की तारीफ करते रहते हैं. फिर यह खबर वायरल होने लगी. जब आपने अमिताभ बच्चन और मीडिया का नाम लिया है तो यह वायरल होनी ही थी.

फेसबुक पर आपका यह पोस्ट देखने के बाद कई मीडिया हाउस ने इस आलोचना को गंभीरता से लेते हुए खबर बना दिया. फिर आप ने इस खबर का लिंक अपने फेसबुक पेज पर शेयर भी किया. कई बार आपका इस तरह का बयान मीडिया में छपता रहता है, फिर आप उसी खबर को अपने फेसबुक पेज पर शेयर कर देते हैं.

मैं आपके सामने एक और उदाहरण पेश करना चाहता हूं. 15 सितंबर 2015 को आपने फेसबुक पर अपने एक पोस्ट में लिखा था, कैसे एक बड़े चैनल के एंकर ने आपके साथ नाइंसाफी की, आपने उस एंकर की आलोचना करते हुए लिखा था कि कैसे उस चैनल के एंकर ने आपको शो में बुलाया और 'आपको मूर्ख बनाया'. आपने उस पोस्ट में लिखा कि एंकर ने आपको फ़ोन किया और यह कहा कि सिर्फ आप ही से बातचीत होगी. पैनल में और कोई नहीं होगा. आपने नाराजगी जताते हुए लिखा कि पूरे पैनल के साथ आपको बिठा दिया गया. आपको डिबेट में बोलने का ज्यादा मौका नहीं दिया गया. आपको अपनी बातों को पूरी करने के लिए मौका भी नहीं मिला. फिर आपने यह भी लिखा कि उस चैनल की बहस में आप दोबारा कभी भाग नहीं लेंगे. मुझे भी आपका यह पोस्ट अच्छा लगा था, मुझे लगा एक एंकर को अपनी बातों पर कायम रहना चाहिए. आपकी बातों को भरोसा करते हुए मैंने पूरी तरह यह मान लिया था कि आप अपने बातों पर कायम रहेंगे और कभी दोबारा उस प्रोग्राम में भाग नहीं लेंगे. ऐसे तो मैं न्यूज़ चैनल कम देखता हूं. कुछ दिन पहले उसी चैनल पर मेरी नज़र पड़ी तो मैंने देखा कि उसी प्रोग्राम में और उसी एंकर के साथ आप पूरे पैनल के साथ बैठे हैं. यह जून 15, 2016 की बात है और बहस ट्रिपल तलाक़ पर थी. गूगल सर्च करने के बाद यह भी पता  चला कि जुलाई के महीने में ज़ाकिर नाईक पर हुई एक बहस में भी आपने उसी चैनल और उसी एंकर के साथ पैनल डिस्कशन में भाग लिया है. यह सब देखने के बाद मैं खुद कंफ्यूज हो जाता हूं. मैं नहीं जानता कि ऐसा क्या हो गया कि आपने उसी चैनल में फिर से बहस में भाग लिया. क्या उस एंकर ने आपसे माफ़ी मांग ली है? या आपने खुद उसको माफ़ कर दिया है? हो सकता है कि ऐसा कुछ आपने लिखा हो और मैंने 'मिस' कर दिया हो, और यह मुझे पता नहीं चल पाया हो. उम्मीद करता हूं कि मेरे सवाल का जवाब आप ज़रूर देंगे.  

काटजू जी, मैंने आपको हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हुए देखा है, लेकिन कुछ दिन पहले आपने बीसीसीआई में सुधारवादी कदमों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया और आपने बीसीसीआई को यह सलाह दी कि वह बड़ी पीठ के समक्ष समीक्षा याचिका दायर करें. लोढा कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट और बीसीसीआई को आपकी सलाह कितनी सही या गलत है, इस पर मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता हूं, लेकिन मैं आपसे सिर्फ एक सवाल का जवाब चाहता हूं, क्या बीसीसीआई के अंदर जो कुछ हो रहा है वह सही है, क्या बीसीसीआई के अंदर भ्रष्टाचार नहीं है? अगर आपको लगता है बीसीसीआई पूरी तरह भ्रष्टाचार से मुक्त है तो ज़रूर बताएं. अगर आपको लगता है बीसीसीआई के अंदर भी कुछ गड़बड़ी है तो फिर आपने इस संस्था को क़ानूनी सलाह क्यों दी? उम्मीद करता हूं, आप मेरे इस सवाल का भी जवाब भी देंगे.

सुशील कुमार महापात्र NDTV इंडिया के चीफ गेस्ट कॉर्डिनेटर हैं...

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