सुशील महापात्रा की कलम से : प्रधानमंत्री का आइडिया ऑफ इंडिया

सुशील महापात्रा की कलम से : प्रधानमंत्री का आइडिया ऑफ इंडिया

शुक्रवार को लोकसभा में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

नई दिल्ली:

"आइडिया ऑफ इंडिया सत्यमेव जयते, आइडिया ऑफ़ इंडिया अहिंसा परमो धर्म,आइडिया ऑफ़ इंडिया सर्व धर्म समभाव, आइडिया ऑफ़ इंडिया सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, आईडिया ऑफ़ इंडिया जन सेवा ही प्रभु सेवा, आइडिया ऑफ़ इंडिया वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाणे रे, पर दुःखे उपकार करे तो ये मन अभिमान न आने रे।"

यह जो शानदार आइडिया के बारे में आप पढ़ रहे हैं यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आइडिया है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को लोकसभा में अपने भाषण के दौरान ऐसे आइडिया की पहल की है। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण के लिए जाने जाते हैं। उनके भाषण में लोग अपना भविष्य ढूंढने लगते हैं। यह सब हम लोकसभा चुनाव के दौरान भी देख चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी की भाषण में लोग भारत के भविष्य की कल्पना कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने जो आइडिया दिए हैं। अगर वह आइडिया हकीकत में बदल जाएं तो आगे देश को शायद किसी आइडिए की जरूरत पड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 18 महीने देश के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन इसका अभी तक कोई नतीजा नहीं आया है। लोग सबसे ज्यादा परेशान महंगाई से हैं। दाल की महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देना जरूरी है।

पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री और बीजेपी कई सवालों से घिरे हुए हैं। एमएम कलबर्गी की हत्या और दादरी जैसी घटना के बाद प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहा था। असहिष्णुता के मुद्दे को लेकर अवार्ड वापसी की वजह से भी बीजेपी दबाव में हैं। पिछले कुछ दिनों से आमिर खान के बयान को लेकर भी कहीं न कहीं बीजेपी बेक फुट पर है। आज प्रधानमंत्री के पास एक मौका था और उस मौके का फायदा उठाते हुए प्रधानमंत्री ने अपना सन्देश पहुंचाने की कोशिश की। लेकिन सबसे बड़ा धक्का जो बीजेपी को लगा है वह है बिहार में हार की वजह से। बिहार की हार से बीजेपी ने बहुत कुछ सीखा है। बिहार में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री के भाषण और आज के भाषण में जमीन-आसमान का फर्क है। बिहार में प्रधानमंत्री जब भाषण दे रहे थे तब ऐसा लग रहा था कि प्रधानमंत्री नहीं बल्कि कोई बीजेपी के नेता भाषण दे रहें हैं। लेकिन लोकसभा में आज का भाषण एक प्रधानमंत्री के भाषण की तरह था। अगर बिहार में बीजेपी की जीत होती तो शायद इस जीत की खुशी में बीजेपी की कई कमियां छुप जातीं।

प्रधानमंत्री का यह भाषण उन नेताओं के ऊपर कितना प्रभाव डालता है यह देखना बाकी है जो नेता सिर्फ अपने राजनैतिक फायदा के लिए अनाप शनाप बयान देते रहते हैं। दंगा के दौरान भड़काऊ भाषण देते हैं। ऐसे नेताओं को प्रधानमंत्री के इस भाषण से कुछ सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री यह आइडिया भी उन भक्तों के लिए है जो सोशल मीडिया में गलत आइडिया का इस्तेमाल करते हुए दूसरों को गाली देते रहते हैं। अगर हम सब इस देश के नागरिक हैं तो हमको अपने बात रखने का अधिकार है। लेकिन गाली गुलज के जरिए दूसरे को चुप करवा देना हमारे संविधान का हिस्सा नहीं है।

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को और एक अच्छी पहल करते हुए करीब 18 महीने के बाद विपक्ष के नेता सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चाय के लिए बुलाया। कई बार राजनीति की लड़ाई में अहम मुद्दे छुप जाते हैं जिसकी वजह से देश को नुकसान होता है। अगर सही में देश का विकास करना है तो सरकार और विपक्ष के बीच जो मतभेद है उसको बातचीत के जरिए ही दूर करना पड़ेगा। बीजेपी के नेताओं को प्रधानमंत्री के इस आइडिया से कुछ सीखना पड़ेगा नहीं तो यह आइडिया सिर्फ आइडिया ही रह जाएगा।

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