महावीर रावत की कलम से : 'क्रिकेट के भगवान' को जन्मदिन मुबारक, फिर याद आए वे 24 साल

नई दिल्ली:

कोई उन्हें अपने समय का सबसे संपूर्ण क्रिकेटर मानता है, कोई उन्हें रन मशीन और कोई उन्हें इस खेल को खेलने वाला सबसे महान खिलाड़ी। लेकिन इतना तो तय है कि सचिन तेंदुलकर कोई आम क्रिकेटर या कोई आम हस्ती नहीं है। उनकी बल्लेबाज़ी में वो सादगी थी, वो तकनीक थी, वो बैंलेस था जो आप मेहनत करके भी हासिल नहीं कर सकते, क्योंकि भगवान ये गुण आप को खुद देते हैं। हर परिस्थिती में शांत रहना, हर देश के हालात के अनुकूल अपनी बल्लेबाज़ी को ढालना और 24 साल तक नए-नए और तरह-तरह के गेंदबाज़ों के खिलाफ़ डटे रहना, सचिन तेंदुलकर की यही सबसे खास बात थी।

गावस्कर का कद इसीलिए इतना ऊंचा है क्योंकि उन्होंने उस समय के सबसे तेज़ वेस्ट इंडियन पेस बैट्री के सामने उन्हीं की पिचों पर रन बनाए। जिस वक्त कैरेबियाई गेंदबाज़ दुनियाभर के बल्लेबाज़ों पर आग उगल रहे थे, छोटे से कद के गावस्कर उनके सामने बिना हैल्मट डटे हुए थे और ईंट का जवाब पत्थर से दे रहे थे। 20 साल बाद ऐसा ही कुछ सचिन तेंदुलकर ने किया। जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की दुनिया भर में तूती बोलती थी तब सिर्फ 19 साल की उम्र में सचिन ने दुनिया की सबसे तेज़ पर्थ की पिच पर शतक जड़ा। इस पारी को आज भी इस कुख्यात पिच पर खेली गई सर्वश्रेष्ठ पारियों में गिना जाता है।

सचिन 16 साल के थे जब टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने कदम रखा। वौ मैच वकार यूनिस का भी पहला मैच था। वकार के एक बाउंसर ने सचिन को खून से लतपत कर दिया, लेकिन 16 साल का ये बच्चा खून से सने कपडों में मैदान पर डटा रहा। सिर्फ़ 17 साल की उम्र में पहला शतक आया, मगर 25 साल की उम्र से पहले पहले उनके नाम 16 टेस्ट शतक हो चुके थे।

साल 2000 में वो पहले बल्लेबाज़ बन गए, जिनके नाम 50 अन्तरराष्ट्रीय शतक थे, 2008 तक वो ब्रायन लारा के सर्वाधिक टेस्ट रनों के पार चले गए और जल्द ही वो टेस्ट मैचों में 13000 रन और 50 शतक बनाने वाले बलेबाज़ बन गए. रिकॉर्ड के मामले में सचिन का मुक़ाबला सिर्फ़ अपने आप से था।

सचिन ने वनडे की शुरुआत निचले क्रम पर बल्लेबाज़ी के साथ की थी, मगर न्यूज़ीलैंड दौरे पर नवजोत सिंह सिद्दू की गर्दन में खिंचाव आया और सचिन तेंदुलकर ने कोच से कहा, मैं ओपनिंग करना चाहता हूं। बस सचिन ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका पहला शतका 79वें वनडे मैच में आया था, लेकिन मैदान पर करियर खत्म होते होते उनके नाम 49 वनडे शतक थे, जो अपनी कल्पना के परे था।

36 साल और 306 दिन की उम्र किसी भी क्रिकेटर के रिटायरमेंट की उम्र होती है, लेकिन सचिन ने इस पड़ाव पर दोहरा शतक जड़कर सबको हैरान कर दिया। वनडे क्रिकेट में सबसे कामयाब बल्लेबाज़ के हाथों ही इस फॉर्मेट का पहला दोहरा शतक बनना था। 2012 में अपने 39वें जन्मदिन से सिर्फ 1 महिने पहले सचिन क्रिकेट की दुनिया में शतकों का शतक जड़ने वाले पहले क्रिकेटर बन गए। काफी मुमकिन है कि ब्रैडमेन के 99.94 के रन औसत की तरह ही ये रिकॉर्ड भी अमर रहेगा।

24 साल लंबे इस सफ़र का अंत हुआ 16 नवंबर 2013 को सचिन ने अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद क्रिकेट को अलविदा कह दिया। देशभर में क्रिकेट प्रेमियों की आंखें नम थीं, और मानो क्रिकेट के जिस्म से उसकी रूह चली गई। आज भी सचिन किसी मैदान पर जब नज़र आते हैं। तो मैदान "सचिन" "सचिन" की गूंज से दहक उठता है। उनका पहले अपना बायां पैड पहनना, उनके घुंघराले बाल, उनकी बच्चों जैसी आवाज या फिर चेहरे पर वो दिल को छू लेनी वाली हंसी, उनकी हर अदा पर देश फिदा है।

मगर ऐसा नहीं कि सचिन ने नाकामी नहीं देखी। 2006 में लगातार खराब फॉर्म के चलते उन्हें 'ENDulkar' कहा जाने लगा। पहले टेनिस एल्बो की चोट ने उनके करियर को हाशिए पर ला दिया। पर सचिन हमेशा कहते रहे, 'When people throw stones at you, you convert them into milestones.'

जब सचिन मैदान पर बल्लेबाज़ी करते थे, तब देश की सभी तकलीफें मानो खत्म हो जाती थीं। जब वो शतक बनाते थे, मानो ये भरोसा होता था कि All is Well. ऐसे महान खिलाड़ी को जन्मदिन की शुभकामनाएं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

हैपी बर्थडे सचिन!