2012 में जब दिल्ली नगर निगम का बंटवारा हुआ था, तो पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर पद पर बीजेपी को एक ऐसी उम्मीदवार की ज़रूरत थी, जो पढ़ी-लिखी हो, सामान्य परिवार से हो, मेहनती हो, संगठन में काफी काम किया हो - और इन सभी मानकों पर अन्नपूर्णा मिश्रा खरी उतरीं... उन्हें बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम का पहला मेयर बनाया, लेकिन जब वर्ष 2013 में उनके बेटे कपिल मिश्रा ने बीजेपी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से मोर्चा खोला और चुनाव लड़ा, तो उनका राजनैतिक करियर धीरे-धीरे ढलान की ओर चल पड़ा...
जैसे-जैसे कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी में बढ़ने लगे, मां अन्नपूर्णा का कद बीजेपी में घटने लगा, हालांकि अन्नपूर्णा को कभी बीजेपी से कोई शिकायत नहीं रही... दिल्ली में विधायक और मंत्री रहते हुए कपिल मिश्रा ने प्रधानमंत्री पर कई व्यक्तिगत तीखी टिप्पणियां कीं, जिनसे बीजेपी के कई बड़े नेताओं का गुस्सा अन्नपूर्णा मिश्रा पर उतरा, लेकिन बेटे के करियर के खातिर वह हमेशा चुप रहीं, और लगातार बीजेपी को भरोसा दिलाती रहीं कि बेटा भले ही आम आदमी पार्टी में है, वह सैद्धांतिक और संगठन के लिहाज़ से बीजेपी के नजदीक है
जब पिछले साल मई माह में बीजेपी ने बिजली और पानी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कपिल मिश्रा के खिलाफ कई प्रदर्शन किए, तो अन्नपूर्णा मिश्रा ने भी अपने बेटे कपिल के खिलाफ लिखे नारे की तख्ती उठा रखी थी... मैंने उनसे पूछा था कि क्या आप मानती हैं कि दिल्ली जल बोर्ड में आपका बेटा काम नहीं कर रहा है, तो उन्होंने कहा था, यह पूरी सरकार काम नहीं कर रही है, और मेरा बेटा भी उसी में है...
उस प्रदर्शन में अन्नपूर्णा मिश्रा की तस्वीर कई बीजेपी के नेता भी हंसते-हंसते खींच रहे थे... पत्रकारों को बताते रहे - देखो, मंत्री की मां अपने ही बेटे के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है... यह भले ही अन्नपूर्णा की राजनीतिक मजबूरी रही हो या राजनीति की स्वाभाविक मांग, लेकिन बेटे के चलते वह 2013 के बाद राजनीति में सामान्य नहीं रहीं...
हालांकि ग्वालियर के राजपरिवार में भी लोग अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों में रहे हैं, लेकिन एक राजपरिवार और एक सामान्य राजनीतिक परिवार का द्वंद्व किसी से छिपा नहीं... हो सकता है कि कल कपिल के दरवाज़े दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लिए खुल जाएं, लेकिन मां-बेटे के राजनीतिक स्वभाव की परतें अलग-अलग होने के चलते राजनीतिक रास्ते दोनों के लिए मुश्किल-भरे ही रहेंगे... बेटा कपिल मिश्रा जहां अरविंद केजरीवाल से विदेशी दौरों का हिसाब लेने के लिए अनशन पर बैठा है, वहीं मां को केजरीवाल को भावुक चिट्ठी लिखकर याद दिलाना पड़ रहा है - याद है, जब तुम मेरे घर आए थे और कहा था, कपिल को पार्टी में लेना चाहता हूं, चुनाव लड़वाना है, लेकिन कपिल मान नहीं रहा, क्योंकि वह केवल आंदोलन करना चाहता था... तब तुम आए थे मेरे पास, कि कपिल की ज़रूरत है...
इस चिट्ठी में वह मानती हैं, कपिल ज़िद्दी है, लेकिन राजनीति ने हमेशा जिद्द और अकड़ को वक्त-वक्त पर तोड़ा है - भले ही वह किसी भी पार्टी की हो या किसी भी नेता की... लेकिन मां-बेटे की राजनीतिक नैया आरोपों की उफनती नदी में हर लहर के साथ डगमगा रही है, और वक्त के साथ अब यह किश्ती किसी किनारे लग पाएगी, या हिचकोले खाकर बह जाएगी, इसकी गवाही आने वाला वक्त ही देगा...
रवीश रंजन शुक्ला NDTV इंडिया में रिपोर्टर हैं...
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This Article is From May 12, 2017
पहले बेटे के चक्कर में राजनैतिक कद घटा, अब मां लिख रही हैं अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी
Ravish Ranjan Shukla
- ब्लॉग,
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Updated:मई 12, 2017 12:19 pm IST
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Published On मई 12, 2017 12:19 pm IST
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Last Updated On मई 12, 2017 12:19 pm IST
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