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This Article is From Feb 13, 2017

यूपी की जूलियटों, खोल दो अपनी लटों को...बचा लो अपने रोमियो को

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 13, 2017 12:43 pm IST
    • Published On फ़रवरी 13, 2017 12:11 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 13, 2017 12:43 pm IST
1597 में विलियम शेक्सपीयर ने रोमियो जूलियट की दुखांत प्रेम कथा लिखी. 420 साल बाद मैंने 13 फरवरी 2017 को रोमियो जूलियट की कहानी के लिए गूगल सर्च किया और पहली बार पढ़ा. 420 पर ज़्यादा ध्यान न दें. इससे पहले 1987 के साल में हिन्दी फिल्म 'डांस डांस' का आगमन हुआ था. इस फिल्म का एक गाना काफी मशहूर हुआ था. मूर्ति भसानों के दुखद क्षणों में शोक नृत्य के लिए लड़कों के काफी काम आता था. बप्पी लाहिड़ी के संगीत निर्देशन में अलिशा चिनॉय की दिलकश आवाज़ में गाने के बोल थे 'रोमियो ओ रोमियो, जाने मन तुम नंबर वन हो, हर जवां दिल की धड़कन हो, हैं सितारे तुम पर मेहरबां, तुम हो तुम, तो हम भी हम हैं.' मैंने इसी गाने में पहली बार रोमियो का उल्लेख सुना था. इस गाने में जूलियट की जगह जानियों का ज़िक्र आया है. जानियो कहां की रहने वाली थी पता नहीं चल पाता है! तीस साल बाद यूपी चुनाव में एंटी रोमियो दल के बहाने रोमियो के बारे में सुन रहा हूं तो सोचा कुछ पता किया जाए.

राजनीति ने 'डांस डांस' के रोमियो जूलियट के रचनाकारों से बहुत नाइंसाफ़ी की. रोमियो का किरदार निभाने वाले मिथुन चक्रवर्ती को तृणमूल कांग्रेस ने राज्य सभा भेज दिया. उसी बंगाल से इस गाने को संगीत देने वाले स्वर्णजड़ित बप्पी लाहिड़ी को बीजेपी ने 2014 के लोकसभा में उम्मीदवार बनाया. चुनाव हार गए. उम्मीद करता हूं कि भारत के स्वर्ण पुरुष बप्पी दा को अपना ही गाना सुनते हुए ग्लानि नहीं होगी. आप भी डांस डांस के सारे गाने सुनियेगा. राजनीतिक रूप से जड़ हो चुकी नसों में थिरकनें उत्पन्न करने हेतु यह गाना आयुर्वेदिक और आर्गेनिक असर करता है.

मैंने शेक्सपीयर की कोई कहानी नहीं पढ़ी है लेकिन उनकी कहानी और किरदारों का नाम इतना सुना है कि लगता है पढ़ी है. भारत के जज लोग अपने फैसले में शेक्सपीयर की कहानी से बहुत प्रेरणा पाते हैं. गूगल सर्च के तमाम प्रसंगों में कहीं इस बात का ज़िक्र नहीं मिलता है कि इटली के वेरोना शहर का रोमियो यूपी के कैराना में लड़कियों को छेड़ता था. स्कूल कालेजों के बाहर जाकर लव जेहाद करता था. ईव टीज़िंग अर्थात छेड़खानी करता था. निर्भया कांड के बाद बनी वर्मा कमेटी की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख नहीं मिलता है कि भारत में औरतों और लड़कियों के ख़िलाफ़ घरेलू और बाहरी हिंसा के लिए रोमियो ही ज़िम्मेदार है. शेक्सपीयर साहब क़ब्र में लेटे लेटे सोच रहे होंगे कि कहीं उनकी रोमियो जूलियट कहानी का किसी ने ग़लत अनुवाद तो नहीं कर दिया है.  

प्रेम तो रोमियो और जूलियट दोनों को हुआ था, लेकिन एंटी रोमियो दल बनाने वालों को रोमियो ही क्यों खलनायक दिखा, इसके कारण गूगल जगत में ज्ञात नहीं हैं. रोमियो और जूलियट की प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि में परिवारों की दुश्मनी है, जिसे यूपी में हिन्दू और मुसलमान की दुश्मनी में बदल दिया गया है. लव जेहाद का नाम दिया जाता है. शहरों की तरह गांव क़स्बों में फैलते 'लव देहात' को रोकने के लिए 'लव जेहाद' का नाम दिया गया है. वैसे ही भारत में प्रेम की हर संभावना तमाम तरह की आशंकाओं से घिरी होती है. एंटी रोमियो दल उन्हीं आशंकाओं का एक स्थायी कानूनी थानेदार होगा. नौजवानी के दिनों के हर संबंध प्रेम संबंध नहीं होते लेकिन हर संबंधों में प्रेम की संभावना ख़त्म करने के लिए छेड़खानी का कारण खोज लिया जाता है.

छेड़खानी के नाम पर मेरठ से लेकर झांसी तक में जूलियटों के पहलू से रोमियो उठाए जायेंगे, थाने ले जाने से पहले और थाने ले जाकर कूटे जायेंगे. उनके कोमल मनों पर एंटी रोमियो दल कितना गहरा असर करेगा. मां बाप से लेकर जले-भुने प्रेमी इसका इस्तमाल करेंगे. कौन किस जोड़े को किस स्थिति में घेर लेगा और राजनीतिक रंग दे देगा इसकी आशंका हर वक्त बनी रहेगी।. क्या पुलिस के ख़ौफ़ में नौजवानों को एक दूसरे से प्रेम या दोस्ती करनी होगी? क्या जूलियटों को अपने रोमियो को छेड़खानी के आरोप से बचाने के लिए थाने में प्रेम की बात कबूल करनी होगी? क्या रोमियो को अपनी जान बचाने के लिए व्हाट्स एप मे भेजा गया जूलियट का प्रेम संवाद दिखाना होगा? छेड़खानी रोकने के लिए तमाम कानून से पुलिस लैस है तो फिर यह नया लेवल क्यों?

एंटी रोमियो दल कुछ और नहीं बल्कि उस राजनीतिक सोच को कानूनी मान्यता देने का प्रयास है जो लव जेहाद के नाम पर लड़के लड़कियों के व्यक्तिगत संबंधों में दखल देने का अधिकार मांगता है. संस्कृति बचाने का यह अभियान दरअसल लड़कियों को टारगेट करता है. कस्बों तक में लड़कियां स्कूटी हांकते हए अपने सपनों की उड़ान भर रही हैं. उन सपनों में प्रेम का पंख न लग जाए इसलिए एंटी रोमियो दल के होर्डिंग राज्य भर में लगा दिये गए हैं. हिन्दू मुस्लिम लड़के लड़कियों को करीब आकर बातचीत और एक दूसरे को जानने की हर संभावनाओं पर पुलिस का पहरा बिठाने की बात हो रही है. किसी कैफे में साथ कॉफी पी रहे दोस्तों को भी शक से देखा जाएगा या उनको ब्लैकमेल किया जाएगा कि लव जेहाद का मामला बनाकर एंटी रोमियो दल बना दिया जाए. लव जेहाद के नाम पर एंटी रोमियो दल आएगा, फिर वो अंतर्जातीय विवाह या सजातीय प्रेमियों को भी निशाना बनाएगा. पुलिस या प्रेम के दुश्मनों को छेड़खानी का रंग देने में कितनी देर लगेगी. मां बाप अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए जूलियटों के साथ छेड़खानी का आरोप लगाने लगेंगे. एंटी रोमियो दल की कल्पना कोई हल्का फुल्का मज़ाक नहीं है.

हमारे दल युवाओं की बात बहुत करते हैं लेकिन युवाओं के लिए एक बंधा बंधाया समाज बनाना चाहते हैं. आखिर इन दलों के मेनिफेस्टों में अंतर्जातीय विवाह के वादे क्यों नहीं हैं. केंद्र और राज्य सरकारें अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए पांच हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक की राशि देती हैं. यह योजना इसलिए है कि ताकि समाज से जाति का बंधन टूटे. इस योजना का प्रचार कोई सरकार क्यों नहीं करती है. कोई राजनीतिक दल क्यों नहीं करता है. मेनिफेस्टों में लिखा होता कि जो भी जाति तोड़कर शादी करेगा उसे सरकार पांच हज़ार नहीं बल्कि दस लाख रुपये देगी. इन बातों पर चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि हमारे राजनीतिक दल ही जाति व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं. इसलिए वे प्रेम संबंधों की हर संभावना का संस्कृति और धर्म के नाम पर विरोध करते हैं. युवाओं में डर पैदा करने का यह अभियान ज़ोर शोर से चलाया जा रहा है. क्यों नहीं राजनीतिक दल जाति को तोड़ने के लिए इसकी बहस कराते हैं, क्यों नहीं राजनीति में जात-पात से मुक्ति की चाह रखने वाला मिडिल क्लास अंतरजातीय विवाह का समर्थन करते हैं. ढोंग की भी एक सीमा होती है.

केंद्र सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय के तहत डॉ अंबेडकर फाउंडेशन है. 2013 में इसके हवाले से एक योजना बनी थी जिसका नाम है डॉ अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिजेज़. इसके तहत अनुसूचित जाति की लड़की या लड़के से शादी करने पर ढाई लाख रुपये मिलेंगे. सरकार साल में ऐसी पांच सौ शादियों को मदद राशि देकर प्रोत्साहित करेगी. मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि 2015 तक इस योजना का लाभ सिर्फ 19 लोगों ने लिया था जबकि एक साल में 500 लोगों को मिलना था. इनमें से एक भी यूपी से नहीं है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से दस लोगों ने इसका लाभ लिया है.

29 जनवरी 2015 के टाइम्स ऑफ इंडिया में पंकुल शर्मा की एक रिपोर्ट है कि यूपी सरकार अंतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़े को मेडल, सर्टिफिकेट और पचास हज़ार रुपये देगी. अख़बार की ख़बर के अनुसार इन जोड़ों को वेलेंटाइन डे से हफ्ता भर पहले 8 फरवरी 2015 को मेरठ में दिया जाना था. यह योजना भी केंद्र सरकार की डॉ अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरीजेज़ का ही हिस्सा लगता है लेकिन यहां ढाई लाख की राशि को पचास हज़ार कर दिया गया है. गोवा में यह राशि पच्चीस हज़ार है और बिहार में 50,000 है. यानी जो सरकारें अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए छिप-छिपा कर योजना चलाती हैं, अगर वह इनका खुलेआम प्रचार करें तो समाज को कितना लाभ होगा. लेकिन उन्हीं सरकार के समर्थक राजनीतिक दलों और संगठनों के ज़रिये प्रेम के खिलाफ वातावरण बनाया जा रहा है.

भारत के युवाओं को हर दल से पूछना चाहिए कि आप प्रेम संबंधों और अंतर्जातीय विवाह पर अपनी स्थिति साफ कीजिए. यूपी की जूलियटों को अपनी लटें खोलकर हवा में लहरा देनी चाहिए कि उनके व्यक्तिगत पसंदों में कोई धर्म या जाति की लाठी लिए किस अधिकार से चला आएगा. यह उनकी मुक्ति पर प्रहार है. रोमियो उस प्रेमी का नाम है जिसने जूलियट के लिए जान दे दी. जूलियट की जान नहीं ली. जूलियटों को यह सवाल सबसे करना चाहिए कि जब प्रेम कथाएं बदल दी जाएंगी तो प्रेम की संभावना कहां बचेगी. लड़के लड़कियों को सिनेमा, स्कूल, कैफे सब जगह जाना चाहिए, अपने संबंधों को परखना चाहिए. पसंद को धार देनी चाहिए. हो सके तो इसे एक मज़बूत रिश्ते में भी बदल दें. एंटी रोमियो दल के नाम पर धर्म का ख़ौफ पैदा न किया जाए. बात शुरू हुई थी डांस डांस के गाने से. राजकपूर साहब की फिल्म बॉबी के गाने सुनिये. आपकी राजनीतिक और मानसिक जड़ता को गति मिलेगी. मैं यहां बॉबी के एक गाने के कुछ बोल लिख रहा हूं जिसे शायद राजकपूर ने यूपी के सियासी दलों के लिए लिखा होगा.

'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो...बुल्ले शाह ये कहता..पर प्यार भरा दिल कभी न तोड़ो...इस दिल में दिलबर रहता....जिस पलड़े में तुले मोहब्बत...उस में चांदी नहीं तौलना तौबा मेरी न ढोलना...मैं नहीं बोलना...आग ते इश्क बराबर दोनों, पर पानी आग बुझाये...आशिक के जब आंसू निकले....और अगन लग जाए.....तेरे सामने बैठकर रोना..ओ तेरे सामने बैठकर रोना, दिल कर दुखड़ा नहीं बोलना...'

इस गाने को गाते हुए नरेंद्र चंचल की आवाज़ से जो हूक उठती है काश वो अगर यूपी की फ़िज़ाओं में लहरा उठे तो सरसों के खेतों में उमंग पैदा हो जाए. यूपी की जूलियटों तुम्हें अच्छा आशिक मिले और रोमियो तुममें आशिक बनने की तहज़ीब आए, हम यही दुआ करेंगे. एंटी रोमियो दल के सिपाहियों को प्रेम रोग लग जाए, हम यह भी दुआ करेंगे. समाज में मोहब्बत का पैगाम फैलाते रहिए. मुरादाबाद से दिल्ली लौटते वक्त एक पुलिस थाना पड़ता है. इस प्रसंग में यह नाम दिलचस्प लगा इसलिए आपके लिए तस्वीर खींच लाया हूं...

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