“मान लीजिए बहुत सारी अल्ट्रावॉयलेट किरणें या शक्तिशाली किरणें शरीर पर डाली जाती हैं, और मुझे लगता है कि इसे चेक नहीं किया गया है. लेकिन मैं कहता हूं कि अगर आप शरीर के भीतर रोशनी ले जाते हैं, या तो आप अपनी त्वचा के ज़रिए कर लें या किसी और तरीके से और मुझे लगता है इसका जल्दी ही परीक्षण किया जाएगा.“
विषाणुओं को मारने वाला रसायान ( disinfectant) एक मिनट में ही मार देता है. एक मिनट में. और कई तरीके हैं जिससे हम ये कर सकते हैं. शरीर के भीतर इंजेक्शन देकर या उससे शरीर को साफ करके. क्योंकि आप देखिए कि यह फेफड़े के भीतर जाता है. इसका असर होता है. इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए.
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने कोविड-19 लेकर जो उपाय सुझाए हैं उससे दुनिया भर के झोला छाप डॉक्टरों में गजब की बेचैनी मची है. आप सोचिए जिस रसायन का छिड़काव कर आप विषाणु या कीटाणु को मारते हैं उसे इंजेक्शन से शरीर के भीतर पहुंचाया जाए तो क्या होगा. जवाब साधारण है. मरीज मर जाएगा.
ट्रंप के सपोर्टर अपने राष्ट्रपति और नेता की हर बेवकूफियों को कोहिनूर हीरा समझकर सर पर बिठाते थे लेकिन ये एक ऐसा बम गिरा है कि बेवकूफों को भी लग रहा है कि उनके पास अक्ल थी तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं. क्या तब भी नहीं कर रहे हैं जब ट्रंप की बातों में आकर डॉक्टर कीटाणुनाशक इंजेक्शन इंसान को देने लगेंगे और वो मरने लगेगा?
इसी ट्रंप के लिए फरवरी के महीने में अहमदाबाद में रैली सजाई गई थी. इनकी सोहबत से भारत विश्व गुरु बनने का सपना देख रहा था. जिस महीने में कोरोना से लड़ने की तैयारी हो जानी चाहिए थी उस महीने हम अहमदाबाद में ट्रंप के स्वागत के लिए दीवारें बना रहे थे. उस सभा का क्या असर हुआ? लोगों की स्मृतियों में उसकी तस्वीरें धुंधली हो गई हैं. लेकिन जनवरी और फरवरी के महीने में भारत और अमेरिका की बेपरवाही वहां के लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए भारी पड़ गई.
ट्रंप ने अपने इस बयान से अमेरिका को शर्मिंदा किया है. राष्ट्रपति पद की गरिमा गिरा दी है. सत्ता को ताश के पत्तों का खेल समझने वाला यह बादशाह का इक्का, जोकर का पत्ता बन गया है. अमेरिका में कीटनाशक स्प्रे बनाने वाली कंपनी लाइज़ोल ने लोगों से कहा है कि ऐसा बिल्कुल न करें. उनकी जान चली जाएगी.
यह काबिले गौरतलब है कि ट्रंप अपनी तमाम बेवकूफियों से बेपर्दा होने का जोखिम उठाते हैं और हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाज़िर होते हैं. प्रेस का मज़ाक उड़ाते हैं, मगर प्रेस के सामने होते हैं. सवालों के सामने होते हैं. कई बार तो ढाई-ढाई घंटे तक प्रेस के बीच होते हैं. भारत जब सुपर पावर होगा तब ये सब तो होगा नहीं, क्योंकि आज ही नहीं होता है.
अब उनके साथी और सहयोगी इस फिराक़ में हैं तो कैसे भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से इस बादशाह को दूर रखा जाए. भले ही इसके समर्थक हर तर्क और तहज़ीब को ताक पर रखकर झंडा उठाए फिर रहे हैं लेकिन 24 अप्रैल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोविड-19 के उपचार को लेकर जो कहा है, उसके बाद सुनने वाले बेहोश हुए जा रहे हैं.
ट्रंप कहते हैं कि मजाक किया था मगर आप वीडियो देखें. जब वो बोल रहे थे तो कितने गंभीर थे. दुनिया में ऐसे ही रंगीन खयालों का दौर है. जनता इन्हें कुर्सी पर बिठाकर खुद से बदला ले रही है. एक जोकर के पीछे दांव लगाकर उसने पाया क्या. अमेरिका में 53000 से अधिक लोग मर गए. उसकी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई.
भारत में ट्रंप के समर्थकों को निराश होने की ज़रूरत नहीं है. अभी तो ट्रंप ने गौ मूत्र का आइडिया नहीं बेचा है. गौ मूत्र पार्टी से कोरोना से लड़ने वालों को प्रधानमंत्री मोदी ने भी भाव नहीं दिया. पहले राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि इसका कोई इलाज नहीं है. किसी गौ मूत्र वाले ने नहीं कहा कि प्रधानमंत्री गलत बोल रहे हैं, गौ मूत्र से इलाज हो सकता है.
बेवकूफी विकल्प है. दुनिया में अजब-गजब नेताओं का दौर चल रहा है. नौकरियां जा रही हैं. सैलरी बढ़ी नहीं, पिछले पांच-छह साल में. लेकिन कभी माइग्रेंट तो कभी ईरान के नाम पर ट्रंप के समर्थकों को मीम का खुराक मिल जाता है. नशा चढ़ता रहता है. पहले तमाशा होता था तो मास्टर के हाथ में जोकर होता था और जनता हंसती थी. अब जोकर के हाथ में जनता है. वो जानती है कि जोकर ही उसका मास्टर है. इसलिए डर से उसने हंसना भी छोड़ दिया है. ट्रंप की सफलता के लिए हवन जारी रहे. कीटनाशक से इंजेक्शन बनाने वाले इस जोकर राष्ट्रपति और उसके समर्थकों को ईश्वर एक इंजेक्शन की शक्ति दे. कोविड-19 की विदाई संभव है.
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