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This Article is From Jan 16, 2019

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे का विदेशों में काले धन का कारखाना : 'कैरवां' की रिपोर्ट

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 16, 2019 18:04 pm IST
    • Published On जनवरी 16, 2019 14:56 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 16, 2019 18:04 pm IST

'डी' कंपनी का अर्थ अभी तक दाऊद इब्राहीम का गैंग ही होता था, लेकिन भारत में एक और 'डी' कंपनी आ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और उनके बेटों विवेक और शौर्य के कारनामों को उजागर करने वाली 'कैरवां' पत्रिका की रिपोर्ट में यही शीर्षक दिया गया है. साल दो साल पहले हिन्दी के चैनल दाऊद को भारत लाने के कई प्रोपेगैंडा प्रोग्राम करते थे, उनमें डोभाल को नायक की तरह पेश किया जाता था. किसने सोचा होगा कि जज लोया की मौत पर 27 रिपोर्ट छापने वाली 'कैरवां' पत्रिका 2019 की जनवरी में डोभाल को 'डी' कंपनी का तमगा दे देगी.

कौशल श्रॉफ नाम के एक खोजी पत्रकार ने अमेरिका, इंग्लैंड, सिंगापुर और केमैन आइलैंड से दस्तावेज़ जुटाकर डोभाल के बेटों की कंपनी का खुलासा किया है. 'कैरवां' पत्रिका के अनुसार ये कंपनियां हेज फंड और ऑफशोर के दायरे में आती हैं. टैक्स हेवन वाली जगहों में कंपनी खोलने का मतलब ही है कि संदिग्धता का प्रश्न आ जाता है और नैतिकता का भी. यह कंपनी 13 दिन बाद 21 नवंबर 2016 को टैक्स केमन आइलैंड में विवेक डोभाल अपनी कंपनी का पंजीकरण कराते हैं. कैरवां के एडिटर विनोद होज़े ने ट्वीट किया है कि नोटबंदी के बाद विदेशी निवेश के तौर पर सबसे अधिक पैसा भारत में केमैन आइलैंड से आया था. 2017 में केमैन आइलैंड से आने वाले निवेश में 2,226 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी. अब इसका  मतलब सीधे भ्रष्टाचार से है या महज़ नैतिकता से.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल भारत के नागरिक नहीं हैं, इंग्लैंड के नागरिक हैं, और सिंगापुर में रहते हैं, और GNY ASIA Fund के निदेशक हैं. केमैन आइलैंड, टैक्स चोरों के गिरोह का अड्डा माना जाता है. कौशल श्रॉफ ने लिखा है कि विवेक डोभाल यहीं 'हेज फंड' का कारोबार करते हैं. BJP नेता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे शौर्य और विवेक का बिज़नेस एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट में कुछ जटिल बातें भी हैं, जिन्हें समझने के लिए बिजनेस अकाउंट को देखने की तकनीकि समझ होनी चाहिए. 'कैरवां' की रिपोर्ट में विस्तार से पढ़ा जा सकता है.

2011 में अजित डोभाल ने एक रिपोर्ट लिखी थी कि टैक्स चोरी के अड्डों पर कार्रवाई करनी चाहिए और उनके ही बेटे की कंपनी का नाम हेज फंड और ऐसी जगहों पर कंपनी बनाकर कारोबार करने के मामले में सामने आता है. विवेक डोभाल की कंपनी के निदेशक हैं डॉन डब्ल्यू ईबैंक्स और मोहम्मद अलताफ मुस्लियाम. ईबैंक्स का नाम पैराडाइज़ पैपर्स में आ चुका है. ऐसी कई फर्ज़ी कंपनियों के लाखों दस्तावेज़ जब लीक हुए थे, तो 'इंडियन एक्सप्रेस' ने भारत में पैराडाइज़ पेपर्स के नाम से छापा था. उसके पहले इसी तरह फर्ज़ी कंपनियां बनाकर निवेश के नाम पर पैसे को इधर से उधर करने का गोरखधंधा पनामा पेपर्स के नाम से छपा था. पैराडाइस पेपर्स और पनामा पेपर्स दोनों में ही वॉकर्स कॉरपोरेट लिमिटेड का नाम है, जो विवेक डोभाल की कंपनी की संरक्षक कंपनी है.

'कैरवां' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विवेक डोभाल की कंपनी में काम करने वाले कई अधिकारी शौर्य डोभाल की कंपनी में भी काम करते हैं. इसका मतलब यह हुआ है कि कोई बहुत बड़ा फाइनेंशियल नेटवर्क चल रहा है. इनकी कंपनी का नाता सऊदी अरब के शाही खानदान की कंपनी से भी है. भारत की गरीब जनता को हिन्दू-मुस्लिम परोसकर सऊदी मुसलमानों की मदद से धंधा हो रहा है. वाह! मोदी जी, वाह!

हिन्दी के अख़बार ऐसी रिपोर्ट सात जन्म में नहीं कर सकते. उनके यहां संपादक चुनावी और जातीय समीकरण का विश्लेषण लिखने के लिए होते हैं. पत्रकारिता के हर छात्र को 'कैरवां' की इस रिपोर्ट का विशेष अध्ययन करना चाहिए. देखना चाहिए कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और उनके बेटों का काला धन बनाने का कारखाना पकड़ने के लिए किन-किन दस्तावेज़ को जुटाया गया है. ऐसी ख़बरें किस सावधानी से लिखी जाती हैं. यह सब सीखने की बात है. हम जैसों के लिए भी. मैंने भी इस लेवल की एक भी रिपोर्ट नहीं की है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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