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This Article is From Feb 09, 2022

रोजगार और कारोबार की मंदी जानलेवा हो गई है...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 10, 2022 09:14 am IST
    • Published On फ़रवरी 09, 2022 23:58 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 10, 2022 09:14 am IST

नमस्कार मैं रवीश कुमार, आज सोशल मीडिया और गोदी मीडिया के ज़रिए दिन भर बहुत मेहनत की गई धार्मिक मुद्दे की बहस गरम हो जाए ताकि उसके तवे पर टीवी के स्टुडियो पर लावा बनकर मकई के दाने उछलने लगे.खूब गलत बातें कही गईं ताकि सही बात करने वाले सही करने आ जाएं और बहस जम जाए.सरकार और कोर्ट तक मामले को ले जाकर 
मामले को आधिकारिक भी बना दिया गया तो बचना मुश्किल था. हमारे पास इसकी गिनती तो नहीं है कि इस एक मुद्दे पर बहस पैदा करने के लिए कितने चैनलों के कितने संवाददाता और ऐंकर लगाए गए. मतदान से पहले इस तरह की मेहनत अब सामान्य हो चुकी है.वैसे इसका एक फायदा है कि नौजवान जब बर्बाद हो जाएंगे तब दस बीस साल तक बर्बादी का पता नहीं चलेगा इस तरह नौजवानों करीब दो दशक तक इसके दुख से बच जाएंगे.तो आज हमने तय किया है कि निहायत ही बोरिंग टेलीविज़न करेंगे ताकि आपसे देखा न जाए.मरोड़ होने लगे कि दूसरे चैनल पर ही चलते हैं वहां हिन्दू मुस्लिम का मैच चल रहा है.लेकिन हम आज सरकार की एक ऐसी घोषणा का पुतात्तिवक उत्तखनन कर रहे हैं जिसके एलान के वक्त हेडलाइन शानदार बनी ती.नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की बात करेंगे.

रोज़गार को लेकर विपक्ष पर कुछ नहीं करने का आरोप लगाने वाले लोगों लोक सभा और राज्य सभा की वेबसाइट से उन सवालों को खोज कर पढ़ सकते हैं जो विपक्ष के अलग अलग दलों के सांसदों ने सरकार से पूछे हैं.तब आप जानेंगे कि विपक्ष ने कितने अहम सवाल पूछे हैं.सरकार ने रेलवे की परीक्षा की विसंगतियों को दूर करने के लिए एक कमेटी बना दी है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि रेलवे और अन्य परीक्षाओं से जुड़ी समस्याओ का समाधान हो गया है.रेलवे में सवा दो लाख से अधिक पद ख़ाली हैं.सवा दो लाख भर्ती कब निकलेगी और कब पूरी होगी.कोई नहीं जानता है.राज्य सभा में वाई एस आर कांग्रेस के सांसद वी विजय साई रेड्डी,सीपीएम के सांसद वी शिवदासन और लोकतांत्रिक जनता दल के श्रेयांश कुमार ने केंद्र में खाली पड़े आठ लाख पदों का सवाल उठाया.जल्दी भर्ती करने की मांग की.विपक्ष के सांसद पूछ रहे हैं कि सशस्त्र बलों के सवा लाख से अधिक पद खाली हैं, रेलवे में ही सवा दो लाख से अधिक पद ख़ाली हैं.युवाओं के लिए धार्मिक मुद्दे तो तुरंत लांच हो जाते हैं लेकिन नौकरी की तारीख का एलान नहीं होता है.सरकार हमेशा भर्ती की बात पर गोल मोल जवाब देती है या जवाब नहीं देती है.

जब आठ लाख पद खाली हैं तो फिर इनकी भर्ती का एलान करने में केंद्र को क्या दिक्कत हो रही है, इससे तो राज्यों पर भी भर्ती निकालने और पूरी करने का दबाव बनेगा और नौजवानों का काफी भला होगा.यूपी में चुनाव आया तो केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बलियान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा कि कोविड के कारण भर्ती बंद थी उसे शुरू किया जाए.कई जगहों पर इसे प्रमुखता से छापा गया.इस पत्र से यह पता चला कि सेना की भर्ती बंद है जबकि इस दो साल में असंख्य रैलियां हो गईं, चुनाव हो गए.मंत्री जी ने एक और हकीकत बता दी कि दो साल से भर्ती होने से 18 से 21 साल के युवाओं का चांस चला गया.इसलिए रक्षा मंत्री से मांग की है कि उम्र सीमा में छूट देकर इन्हें मौका दिया जाए.कोरोना के कारण यूपीएससी की परीक्षा देने वाले उम्मीदवार एक और मौके की मांग करते रहे तब सरकार ने नहीं माना.उस समय भी कई सांसदों ने उनके पक्ष में आवाज़ उठाई थी.इस पत्र पर सेना ने कुछ भी नहीं कहा है.

मीडिया में इन मुद्दों पर बात करना, सरकार से ज्यादा मीडिया से संघर्ष करना हो गया है.इन युवाओं से आगरा में हमारे सहयोगी नसीम और अलीगढ़ में अदनान ने बात की.आगरा का यह सिरोली गांव है.यहां के नौजवानों ने अपने खर्चे से 410 मीटर का ट्रैक बनवाया है ताकि इस पर दौड़ने का अभ्यास करते हुए वे सेना या पुलिस की भर्ती में पास हो जाएं.सुबह शाम बिना नागा ये नौजवान दौड़ लगाते रहते हैं और कसरत करते रहते हैं.इनका कहना है कि कई साल से पुलिस और सेना की भर्ती नहीं आई है.इनकी यही समस्या है.नौकरी निकलती नहीं और निकलती है तो नतीजा नहीं निकलता.( पटना विज़ुअल)  इसी तरह से मनीष कुमार ने कुछ दिन पहले पाटने के मॉइनउल हक स्टेडियम से ये तस्वीरे भेजी थी की बिहार के नौजवान सेना की प्रैक्टिस कर रही थी. बिहार से लेकर राजस्थान तक में नौजवान दिन रात पुलिस और सेना की भर्ती के लिेए कसरत करतने रहते हैं.सेना की भर्ती के लिए हज़ारों की संख्या में नौजवान आ जाते हैं लेकिन इसका इंतज़ाम तो हो ही सकता था.जब पूरी आबादी के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट का सिस्टम रातों रात बन सकता है तो हर उम्मीदाव को अलग अलग समय पर बुलाकर भर्ती की शारीरिक और लिखित परीक्षा ली जा सकती थी.

अतुल कुलश्रेष्ठ सेना से रिटायर हैं और जोधपुर में रहते हैं.सेना में भर्ती होने वालों को ट्रेनिंग देते हैं.कोचिंग चलाते हैं.उनका भी कहना है कि भर्ती बार बार स्थगित होने से छात्रों की उम्र बढ़ती जा रही है और वे इसके लिए अयोग्य होते जा रहे हैं.
अब हम आते हैं कि नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी पर.इसके ज़रिए दावा किया गया था कि इस समय एस एस सी, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड या बैंक की परीक्षा अलग अलग एजेंसियां करती हैं.इससे काफी समय लगता है और छात्रों के बहुत पैसे लग जाते हैं.तो इसकी जगह एक नई भर्ती एजेंसी नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी NRA का आइडिया लाया गया.इसकी घोषणा दो साल पहले 1 फरवरी 2020 के बजट में निर्मला सीतारमण ने की थी.

तब तमाम परीक्षा एजेंसियों की जगह NRA के बनने से छह सौ करोड़ से अधिक की बचत होगी.इससे जुड़ी खबरों में यह भी लिखा मिला कि सरकार तीन साल में 1500 करोड़ NRA को देगी.कितना पैसा दिया है, हमें इसकी जानकारी नहीं मिल सकी.फिलहाल आप 1 फरवरी 2020 के बजट में इसका एलान देखिए.तालियों से स्वागत किया गया था.ज़ाहिर है परीक्षा में सुधार को लेकर यह एक बड़ा कदम था तो अखबारों में इस खबरों को प्रमुखता भी मिलनी ही थी.आगे आप जानेंगे कि इस क्रांतिकारी एलान का क्या हश्र होता है. पहले इन हेडलाइनों को आप ड्रीम सीक्वेंस में देखिए.नौकरी पर बात नहीं करनी वाली सरकार ने भर्ती परीक्षा का एक नया सिस्टम बनाने का एलान किया था तो हेडलाइन में जान आ गई थी.

अखबारों ने हिन्दी में अखबार में JOB लिखा, नौजवानों के चेहरे लगाए और इस खबर को चटख बना दिया ताकि उम्मीद की हवा आंधी में बदल जाए.उस समय यह भी बताया गया था कि इस एजेंसी के तहत ग्रुप बे अराजपत्रित पदों की बहाली की जानी थी.स्टाफ सलेक्शन कमीशन, रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड और इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल की परीक्षा इसके ज़रिए होगी ताकि समय की बचत हो.अब मुकदमों से मुक्ति मिलेगी.परीक्षा के लिए दूर नहीं जाना होगा.भर्ती समय पर होगी समय पर निकलेगी.वगैरह वगैरह ड्रीम में आने लगे.यह फ्लैशबैक फरवरी 2020 का है, जब नौजवान इस खबर को देखते ही हवा में स्लो मोशन में उड़ने लगे होंगे.कुछ तो हो रहा है.बस यही तो होना है जो कुछ तो हो रहा है.हो या न हो, कुछ होते रहना चाहिए.नौजवान हर दिन अपने कमरे में स्लो मोशन में हौले हौले दोड़ने का अभ्यास भी करें, फील आएगी और मुस्लिम विरोधी डिबेट में उलझे रहें दस बीस साल पल में गुज़र जाएंगे, पता भी नहीं चलेगा. 

एक फ़रवरी 2020 के बजट में नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का एलान होता है.जून 2020 में कोरोना के कारण सरकार ने उस साल के बजट में घोषित नई योजनाओं पर 31 मार्च 2021 तक के लिए रोक लगा दी थी लेकिन खुद ही प्रधानमंत्री ने 19 अगस्त 2020 को  ट्वीट किया कि कैबिनेट ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी को मंज़ूरी दी थी.यही नहीं 11 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के लिए पदों को मंज़ूर किया गया .प्रधानमंत्री ट्वीट में कहते हैं कि नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी करोड़ों युवाओ के लिए वरदान साबित होगी.कॉमन परीक्षा के ज़रिए कई तरह की परीक्षाओं से मुक्ति मिलेगी.उनकी कीमती वक्त बचेगा और संसाधन भी.पारदर्शिता को बड़ा बल मिलेगा. हमने इंटरनेट पर काफी सर्च किया कि नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की वेबसाइट कौन सी है, दफ्तर कहां है तो हमें सफलता नहीं मिली.यह हमारी भी कमी हो सकती है इसलिए उम्मीद करते हैं कि इस शो को देखने के बाद सरकार नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की वेबसाइट का लिंक की जानकारी ट्विट कर देगी फिर हम अगले शो में ज़रूर बताएंगे.लेकिन देखिए आपको टाइम लाइन याद तो है न.फिर से रिवाइज़ करते हैं.

NRA की टाइम लाइन देखिए - फरवरी 2020 के बजट में घोषणा होती है, सात महीने बाद अगस्त 2020 में कैबिनेट फैसला लेती है, फ़िर अगले महीने सितंबर 2020 में कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह लोकसभा में लिखित जवाब देते हैं कि सितंबर 2021 से यह एजेंसी परीक्षा लेने लगेगी. सितंबर 2021 सितंबर आ गया तो मंत्री कहने लगे कि 2022 से NRA परीक्षा लेने लगेगी. उनके इस बयान को लेकर सितंबर 2021 में सरकारी सूचना एजेंसी PIB ने प्रेस रिलीज जारी की थी जिसमें कहा गया था कि मंत्री ने NRA को ऐतिहासिक सुधार  बताया है.तो आपने देखा सितंबर 2021 इसे भर्ती की परीक्षा लेनी थी लेकिन उस महीने मंत्री कहते हैं कि 2022 से परीक्षा होगी.2020 से 2022 आ गया.अब मार्च 2022 में NRA किस भर्ती की परीक्षा लेने वाली है इसकी जानकारी हमें तो तब मिलती जब NRA की कोई वेबसाइट मिलती.जो कि मिली नहीं.कई लोग कहते हैं कि विपक्ष अपना काम नहीं करता है.लेकिन आपने देखा कि रोज़गार की बात को लेकर राज्य सभा में विपक्ष के सांसदों ने सवाल उठाया.आप नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी भूल गए होंगे लेकिन कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल को याद रहा.

दिसंबर 2021 में कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री से एक सवाल किया है कि क्या प्रधानमंत्री बताएंगे कि NRA का ढांचा बन कर तैयार हो गया है, यदि हो गया है तो इसके डिटेल क्या है, क्य NRA ने परीक्षा लेनी शुरू कर दी है  क्या NRA पहले से मौजूद भर्ती एजेंसियों की जगह ले लेगा.इस तरह से सिब्बल ने NRA को लेकर काफी विस्तृत सवाल पूछा है.
कपिल सिब्बल के इस सवाल का जवाब सरकार किस तरह से देती है, वह भी दिलचस्प है.सवाल यह था कि NRA का ढांचा तैयार हो गया है और यह कब से भर्ती करेगी.प्रधानमंत्री से सवाल था तो अब मैं जवाब पढ़ रहा हूं.इस जवाब की हिन्दी मेरी नहीं है राज्य सभा के जवाब से ही पढ़ रहा हूं.युवा चाहें तो हौले हौले स्लो मोशन में दौडते हुए इस जवाब को सुन सकते हैं.उनके भविष्य का सवाल है.सभी उम्मीदवारों को एक ही मंच प्रदान करके सरकारी नौकरी पाने का प्रयास कर रहे उम्मीदवारों की कठिनाइयों को कम करने और भर्ती में समानता और समावेशिता का एक नया मानक स्थापित करने के लिए सरकार ने एक स्वतंत्र स्वायत्त संगठन के रूप में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) की स्थापना की है जो केंद्र सरकार में पदों की कुछ श्रेणियों हेतु उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग / शॉर्टलिस्ट करने के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) आयोजित करेगी, जिसके लिए कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) के माध्यम से भर्ती की जाती है.एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस जैसी केंद्र सरकार की मौजूदा भर्ती एजेंसियां अपनी आवश्यकता के अनुसार डोमेन विशिष्ट परीक्षाएं / परीक्षण आयोजित करना जारी रखेंगी.एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी) का भी गठन किया गया है, जो पाठ्यक्रम, परीक्षा की योजना शुल्क संरचना, सामान्यीकरण (नॉर्मलाइज़ेशन) और मूल्यांकन पर मार्गदर्शन के अलावा परीक्षणों के आयोजन के लिए अपनाई जाने वाली तकनीकों पर भी अपनी सिफारिशें देगी.

वह कमेटी कहां है जिसका काम पाठ्यक्रम, फीस और नार्मलाइज़ेशन पर रिपोर्ट देना था.इस कमेटी के रहते रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर जब सवाल उठे तो एक नई कमेटी क्यों बनानी पड़ी.कपिल सिब्बल और सरकार के जवाब का मूल्यांकन होना चाहिए कि क्या वही कहा गया है जो पूछा गया था.सवाल प्रधानमंत्री से था लेकिन उनके ही कार्यालय के मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जवाब दिया है.NRA के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए हमने काफी सर्च किया कि इसकी कोई वेबसाइट है या नहीं.कहीं दफ्तर तो होगा.शायद हमारे सर्च करने में कोई कमी रह गई होगी.यह सब इसलिए बता रहे हैं क्योंकि मामूली जानकारी भी आसानी से नहीं मिलती है.

अंत में हमें कार्मिक मंत्रालय की वेबसाइट की शऱण में जाना पड़ा.इस पर सरकारी आदेशों के सर्कुलरका एक सेक्शन है.यहां पर 11 जनवरी 2021 का एक सर्कुलर मिला है जिससे पता चलता है, NRA के मुख्यालय के लिए 31 पद बनाए गए हैं.क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए 24 पद बनाए गए हैं.इससे यह साफ हो जाता है कि एक फरवरी 2020 की घोषणा के एक साल बीत जाने के बाद इस एजेंसी के अधिकारियों के लिए पद का सृजन किया जाता है.अब आप मामला समझ रहे हैं या आपसे ये बोरिंग पड़ताल नहीं देखा जा रहा है, आप धर्म को लेकर बहस देखना चाहते हैं? जिस एजेंसी को भर्ती करनी है उसी के अफसरों की भर्ती पूरी हुई है या नहीं पता नहीं चलता, बस इतना पता चलता है कि एलान के डेढ़ साल अफसरों के पद का सृजन होता है.जिस एजेंसी को करोड़ों छात्रों की परीक्षा करानी है उसके लिए 55 अफसर काफी हैं इस पर अलग से बहस हो सकती है.कहीं मामला आउटसोर्स करने का तो नहीं है.यह भी पूछा जा सकता है.

बहरहाल 11 जनवरी 2021 का सर्कुलर है कि तीन निदेशक नियुक्त होंगे.इसके सात महीने बाद यानी 28 जुलाई 2021 की खबर मिलती है कि हेमत कुमार पाटिल को नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का निदेशक बनाया गया है.तो आपने यह जाना कि भर्ती एजेंसी की नियुक्ति होने में ही सात महीने लग गए.इससे इतना तो साफ हो गया कि जब निदेशक की नियुक्ति हुई है तो कम से कम दफ्तर भी होगा और मुख्यालय भी.यह एजेंसी अगर कार्मिक मंत्रालय के अधीन होनी है या वहां इसकी वेबसाइट का लिंक तो होना चाहिए.हम लगातार खोज रहे हैं, पता चलेगा तो अगले दिन के कार्यक्रम में भी बताएंगे. 

हमने काफी मेहनत की NRA का पता लगाने की.सरकारी सूचना एजेंसी PIB की साइट से NRA पर आठ पन्नों का एक बुकलेट भी मिला.जिसमें प्रधानमंत्री की तस्वीर है और सुनहरे भविष्य की और प्रस्थान करने वाले युवाओं की भी तस्वीर है.परीक्षा की खूबियां बताई गई हैं.नवबर 2021 में बुलकेट तैयार हो गया था मगर फरवरी 2022 तक NRA कहां है, कौन सी परीक्षा ले रही है इसका पता नहीं है.1 फरवरी 2020 को नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का एलान हुआ था वो एजेंसी कहां है.दो साल बीत चुके हैं.खबरों में छपा है कि कैबिनेट ने इस बात की भी मंज़ूरी दी है कि अगले तीन साल में नेेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्थापना के लिए 1517 करोड़ दिए जाएगे.इस पैसे से NRA की स्थापना होगी और देश भर में परीक्षा केंद्र बनेंगे.तो सरकार ने इस मामले में कितने पैसे दिए हैं, कितना खर्च हुआ है.

तो आपने जाना कि जो एलान होता है उसे ज़मीन पर आने में कितना वक्त लग रहा है.दो साल में केंद्र सरकार नई भर्ती एजेंसी के तहत परीक्षा शुरू नहीं करा सकी, एजेंसी की हालत भी भर्ती परीक्षा जैसी हो गई है.इसके चालू होने में भी परीक्षाओं की तरह दो दो साल लग रहे हैं.उत्तर भारत में इस परीक्षा एजेंसी को लेकर कोई बहस नहीं है लेकिन दक्षिण भारत में नीट मेडिकल परीक्षा को लेकर ज़ोरदार बहस चल रही है. मंगलवार को तमिलनाडू विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई जहां दोबारा नीट exemption bill पर चर्चा हुई और इसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया.पिछले साल सितंबर में भी यह बिल पास किया गया था मगर राज्यपाल आर एन रवि ने वापस कर दिया है.बीजेपी के  विधायकों को छोड़ कर सभी दलों ने मतदान में हिस्सा और बिल के पक्ष में वोट किया है.इस दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का भाषण पढ़िएगा जिसके कुछ अंश हिन्दू में छपे हैं.

मुख्यमंत्री ने हवा में नीट के खिलाफ तर्क नहीं दिए हैं बल्कि पूरी तैयारी और ठोस तर्कों के आधार पर नीट का विरोध किया है कि इस परीक्षा के कारण केवल पैसे वाले और कोचिंग वाले छात्रों को मदद मिल रही है.ग़रीब और साधारण घरों का बच्चा डाक्टर नहीं बन पा रहा है.तमिलनाडु ने जस्टिस ए के राजन की कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट यह बात कहती है.ग़रीब और कमज़ोर छात्रों के लिए परीक्षा कैसी हो इसके लिए तमिलनाडू में विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है.राजनीति हो  सकती है लेकिन तर्कों की तैयारी देखिए तो पता चलता है कि वहां के नेता अपने गरीब छात्रों के हित में कैसे एकजुट हैं और तैयार हैं.क्या राज्यपाल फिर से विधानसभा में पास किए गए बिल को वापस कर देंगे?

तमिलनाडू में यह मुद्दा काफी बड़ा हो गया है.केंद्र और राज्य के बीच टकराव का कारण भी बन गया है.हिन्दू अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि राष्ट्रपति को भेजने के बजाए राज्यपाल ने बिल को लौटा कर क्या गलत नहीं किया है? इस मुद्दे को लेकर विधायिका और राज्यपाल आमने सामने हो गए हैं.2006 में राष्ट्रपति कलाम ने इसी तरह के एक बिल को मंज़ूरी दे दी थी और तमिलनाडू दस साल तक इस तरह की परीक्षा से बाहर था.वहां पर बारहवीं के नंबर पर मेडिकल में प्रवेश मिलता है.नीट की परीक्षा व्यवस्था लागू होने के बाद से राज्य में बीस छात्र आत्महत्या कर चुके हैं.

क्या यह सवाल उत्तर भारत के नेताओं के नहीं होने चाहिए कि नीट जैसी परीक्षा से केवल अमीर छात्रों को मौका मिल रहा है, उन्हीं को मिल रहा है जो लाखों रुपये की कोचिंग कर सकते हैं, इसका विकल्प क्या हो सकता है इसे लेकर कोई बहस नहीं है.उत्तर भारत के तमाम राज्यों की भर्ती परीक्षाओं को लेकर सड़क पर हैं.राजस्थान से लेकर यूपी और झारखंड से लेकर बिहार तक.लेकिन आज तक इन परीक्षाओं की खामियों को दूर नहीं किया गया.कोई 2011 की भर्ती के लिए लड़ रहा है तो कोई 2014 के लिए.हम मध्य प्रदेश से एक रिपोर्ट दिखाना चाहते हैं.अगर कोई छात्र कोरोना के कारण या किसी भी कारण दसवीं की परीक्षा का फार्म नहीं भर पाया है तो उसे भरने का मौका दिया जा रहा है.बस 900 रुपये की जगह 10,000 लेट फीस ली जा रही है.

मध्य प्रदेश में पांच करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त अनाज दिया जा रहा था.जिस राज्य में पांच  करोड़ लोग गरीब हो उस राज्य के मंत्री और अफसर फैसला करते हैं कि दसवीं की परीक्षा का फार्म भरने की लेट फीस दस हज़ार होगी.इनकी उदारता वाकई सराहनीय है.वर्ना तो ऐसी सोच के अफसर फार्म भरने के बदले मकान और ज़मीन भी ज़ब्त कर लेते.पोजिटिव सोचिए कि वे केवल दस हज़ार मांग रहे हैं.अब हम आपको आत्महत्या से जुड़ी खबर दिखाने जा रहे हैं.

प्रधानमंत्री तारीफ पर तारीफ कर रहे हैं कि लघु मध्यम उद्योग को मदद दी गई है.यह मदद लोन के रुप में दी गई है .दुनिया के कई देशों में इस सेक्टर के हाथ में पैसा दिया गया है.कर्मचारियों को अतिरिक्त पैसा दिया गया है.उसकी तुलना में भारत की यह नीति लाख करोड़ की हेडलाइन ज़रूर बनाती है लेकिन मदद करने के नाम पर डूब रहे कारोबार पर और कर्ज़ा डाल देती है.बागपत के एक व्यापारी पति पत्नी ने एक साथ ज़िंदगी खत्म करने की कोशिश की.उनका व्यापार घाटा काफी बढ़ गया था.इन्होंने सरकार की गलत नीतियों को भी अपने बिजनेस के डूबने का कारण बताया है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित रूप से राज्य सभा में कहा है कि 2018-20 के बीच 16000 लोगों ने दिवालिया होने या क़र्ज़ के बोझ से दबे होने के कारण आत्म हत्या की है.जबकि 9,140 लोगों ने बेरोज़गारी के कारण आत्म हत्या की है.

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