रवीश कुमार : चीन की देवी मां क्वानियन के आगे भारतीय भक्तों की अर्ज़ी

नई दिल्ली : कई बार अनजान रास्तों पर भटकते हुए आप नए किस्सों से टकरा जाते हैं। गाज़ियाबाद में महिला थाना का पता पूछ रहा था, तभी बिजली के खंभे पर एक बैनर टंगा दिखा। मां क्वानियन का प्रकट उत्सव मनाया जा रहा है। मैंने मां क्वानियन का नाम कभी नहीं सुना था। मेरी कार बहुत आगे निकल चुकी थी, लेकिन लगा कि मैंने कुछ नया देखा है, बस अपनी कार को बैक गियर में चलाना शुरू कर दिया। वापस उस खंभे के नीचे पहुंचकर तस्वीर उतारी और फेसबुक पर स्टेटस अपलोड कर दिया। खूब प्रतिक्रियाएं आईं, किसी ने विकीपीडिया पर उनकी जानकारी का लिंक भी दिया. मगर मेरा मन नहीं मान रहा था। आज सुबह मोबाइल में उस तस्वीर को बड़ा किया तो कुछ फोन नंबर भी मिले। मैंने खुद को डॉक्टर अशोक वासुदेव कहने वाले जनाब को फोन कर दिया। आगे की कहानी इस प्रकार है।

देखो जी, मां क्वानियन (Kuan Yin / Guanyin / Quan Yin), जैसे भारत में मां कात्यायनी हैं न, ऊर्जा की देवी, वैसे ही चीन में इनकी बड़ी मान्यता है। मां क्वानियन चक्रा बैलेंस करती हैं। हमारे शरीर में सात बुनियादी चक्र हैं। मां क्वानियन के कारण ही चीन में लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं। वैसे मेरे लिए यह जानकारी किसी रहस्यमयी कथा से कम नहीं थी, फिर भी मैं डॉक्टर अशोक से पूछता जा रहा था और वह खुलकर बताए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि चीन में डॉक्टर के क्लिनिक नहीं होते हैं।

अशोक जी, आप कबसे मां क्वानियन की पूजा कर रहे हैं? हम तो 2008 से पूजा कर रहे हैं। भारत में पिछले दो साल से इनका जन्मदिन मना रहा हूं। अब हम देवी-देवताओं के बर्थडे को हिन्दी में जन्मदिन तो नहीं कहते न। इसलिए हम प्रकट उत्सव कहते हैं। 19 मार्च को है, आप भी आइए। देखिए, शहर के सारे वीआईपी होंगे। शहर के मेयर तेलूराम कंबोज जी भी आ रहे हैं। बीजेपी के हैं। सांसद वीके सिंह को भी बुलाया है, मगर वह तो मंत्री हैं, उनका आना लास्ट मिनट में टल भी सकता है। अगर कुछ नहीं हुआ तो 90 प्रतिशत से ज्यादा चांस हैं कि केंद्रीय मंत्री और सांसद वीके सिंह आ सकते हैं। बीएसपी के एमएलसी प्रशांत चौधरी और बागपत से बीएसपी की विधायक हेमलता चौधरी भी हमसे हीलिंग की सेवा लेते हैं। वे लोग भी होंगे। चीन के कल्चर का खाना तो यहां नहीं खिला सकते, इसलिए हम भंडारा टाइप कर देते हैं। वहां का खाना यहां नहीं चल सकता जी। मेरे मन में यह बात गुदगुदी कर गई कि चीन का खाना नहीं चल सकता, मगर देवी चल सकती हैं।

आप हीलिंग करते हैं। जी, मैं कई तरह की हीलिंग करता हूं। बिजनेस हीलिंग, कॉरपोरेट हीलिंग, रिलेशनशिप हीलिंग, एरिया हीलिंग और पोलिटिकल हीलिंग। एरिया हीलिंग क्या होती है। मैं ऐसे ही उनसे सवाल किए जा रहा था। डॉक्टर अशोक ने बताया कि अब जैसे एनसीआर है, यहां सुख-शांति बनी रहे, कोई आतंकी हमला न हो, इसके लिए मैं अपनी तरफ से एनसीआर की हीलिंग कर देता हूं। और पोलिटिकल हीलिंग क्या होती है। देखो जी, आप चुनाव लड़ रहे हो। मैं यहां से बता देता हूं कि किस एरिया में आपका निगेटिव चल रहा है। मैं हीलिंग से उसे ठीक कर देता हूं।

फोन पर हुई बातचीत में मुझे कई बार हंसी आई, लेकिन मेरी दिलचस्पी किसी चीज़ को जानने में थी। अगर यही था तो प्रधानमंत्री को गाजियाबाद के मेयर डॉक्टर अशोक के बारे में बता देते और वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी को तीन सीटों तक सीमित कर देते। बीजेपी 67 सीटें जीत लेती, लेकिन डॉक्टर अशोक के दावे को मानें तो दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के दो उम्मीदवारों ने भी उनसे एरिया और पोलिटिकल हीलिंग ली थी। बीएसपी और बीजेपी के नेता तो संपर्क में हैं ही।

डॉक्टर अशोक ने बताया कि वह साल में चार बार चीन जाते हैं। मां क्वानियन का मुख्य मंदिर पोटोंशा द्वीप में हैं। इस मंदिर की ज्यादा मान्यता है। मैं यहां लोगों की अर्जी लगा देता हूं। जो लोग सीधे इस मंदिर से कृपा चाहते हैं, अपनी अर्जी मुझे देते हैं और मैं हर तीन महीने पर वहां जाकर लगा देता हूं। कितने पैसे लेते हैं अशोक जी? चीन जाने का खर्चा तो होता होगा। हां जी, उसके लिए एक अर्जी के लिए एक लाख रुपये लेते हैं। पोलिटिकल अर्ज़ी होती है। बिजनेस अर्ज़ी होती है। वहां अर्ज़ी लगाने से जल्दी फायदा होता है।

वैसे हम घर बैठे फोन पर भी साधना करा देते हैं। आपको एक बार क्लिनिक आना होता है। उसके बाद फोन से इलाज चालू रहता है। दस मिनट का कॉल होता है और उसके लिए आपको 150 रुपये देने होते हैं। बीमारी के हिसाब से किसी का इलाज दस दिन, तो किसी का तीन से चार महीने चलता है।

अशोक ने बताया कि उन्होंने चीन से इसका कोर्स किया है। भारत में कोर्स कराते हैं। लेवन वन के कोर्स के लिए 11,000 फीस है तो लेवल टू के 51,000 और लेवल थ्री के लिए 1,11,000 रुपये। मेरे ग्राहक और छात्र देश भर में और दुनिया भर में फैले हैं। हम यह कोर्स आनलाइन सिखाते हैं। इतना महंगा क्यों है। देखो जी, एनर्जी यानी ऊर्जा किसे कितने वोल्ट की देनी होती है, यह तय करना आसान नहीं है। हम मरीज़ को उसी हिसाब से एनर्जी देते हैं, जिससे वह ठीक होता है।

आप अगर यह समझ रहे हैं कि मैं मां क्वानियन के बहाने डॉक्टर अशोक का प्रचार कर रहा हूं तो मैं कहूंगा कि आप गलत हैं। मैंने इसी दिल्ली में शनि देव को प्रचलित होते देखा है और दर्ज भी किया। साईं भजन की लोकप्रियता ने कैसे भगवती जागरण का स्वरूप बदल दिया, इसका अध्ययन किया है। भगवती जागरण माता की चौकी हो गई और लोगों ने साईं और शनि को इसलिए अपना लिया कि उनके यहां कम भीड़ होती है। नतीजा, साईं और शनि के पास भीड़ उमड़ने लगी। दिल्ली के कई मंदिरों की अर्थव्यवस्था हिलने लगी तो उन्होंने अपने यहां आनन-फानन शनि देव के लिए जगह बनाई। क्या पता, मां क्वानियन में भी वैसी ही संभावना हो। वैसे अशोक जी का इरादा मां क्वानियन का मंदिर बनाने का भी है।

मां क्वानियन के प्रकट उत्सव को भक्ति के नाम पर पैकेजिंग के कारोबार के रूप में देखना चाहिए। एक ऐसे राजनीतिक समय में, जब चर्च और मस्जिदों के बारे में हिंसक बातें कही जा रही हैं, ठीक उस समय में गाज़ियाबाद में चीन से आई एक देवी मां क्वानियन का स्वागत हो रहा है। भंडारा लगेगा। क्या यह दिलचस्प नहीं है। हमारी राजनीति भले ही ढकोसले का शिकार है, लेकिन हमारी भक्ति कितनी उदार है। हम ऑनलाइन कोर्स के जरिये मां क्वानियन की भक्ति सीख सकते हैं। उनसे अपना पेट भर सकते हैं, किसी को झूठी उम्मीद दिला सकते हैं और क्या पता, जैसा कि दावा किया जाता है, मुक्ति भी दिला ही देते होंगे। चुनाव में निगेटिव एरिया वालों से जीतने के लिए वोट भी दिला देते होंगे, लेकिन इस प्रकट उत्सव की सफलता का दूसरा पहलू यह है कि भारतीयों को देश के सिस्टम ने इस कदर हताश कर दिया है, कि वे अपनी समस्याओं के इलाज के लिए न सिर्फ कितनी भी रकम खर्च कर सकते हैं, बल्कि चीन तक जा सकते हैं।

इसलिए मैंने मां क्वानियन के होर्डिंग में ज़रूरत से ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। हम अपनी चाहतों के लिए किसी को भी चाह सकते हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ किसी की इबादतगाह इसलिए ढहा देने की बात करते हैं कि वहां पूजा-अर्चना करने वालों के मज़हब के बादशाहों ने हम पर हुकूमत की थी। इतिहास के उस एक अध्याय को पूरा इतिहास बताकर बदला लेने वालों को अपने वर्तमान में झांककर देखना चाहिए। शनि मंदिरों से जाकर पूछिए कि शुरू में शनि की पूजा का कितना विरोध हुआ था और क्यों हुआ था।

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भारत भले ही चीन से महान बनना चाहता हो, उसे शत्रु पड़ोसी के रूप में देखता हो, कारोबार में उससे आगे निकलना चाहता हो, लेकिन उसी भारत में चीन की एक देवी मां क्वानियन का गाजे-बाजे के साथ स्वागत हो रहा है। मां क्वानियन को मां कात्यायनी के समकक्ष बताकर उसका भारतीयकरण भी हो ही चुका है। मां क्वानियन हम आपका धार्मिक विविधताओं वाले इस महान देश में स्वागत करते हैं।