रवीश कुमार : हनीफ की 'कार्टो', इरफान का गैस-आयरन - 'स्किल इंडिया' पर भारी 'जुगाड़ इंडिया'

नई दिल्ली : ज़रूरतें किसी का इंतज़ार नहीं करतीं... सोनीपत जाने के लिए एक गलत मोड़ लेने की 'सज़ा' यह मिली कि हम एक सही स्टोरी तक पहुंच गए... पता पूछते वक्त ध्यान गया कि कपड़े इस्त्री करने वाली प्रेस या आयरन एक छोटे-से गैस सिलेंडर से जुड़ी हुई है... अब तक हमने ऐसी आयरन को बिजली और कोयले से चलते तो देखा था, मगर गैस सिलेंडर से कभी नहीं... बस, कार से उतरा और पूछने लगा...

इरफान ने बताया कि वह चार साल से आयरन के लिए गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करता है... चूंकि वह सड़क पर ठेला लगाता है, इसलिए उसे बिजली का कनेक्शन नहीं मिलता... इरफान ने यह आयरन पाकिस्तान से मंगाया है, जो चार हज़ार रुपये का है... गांव-देहात में लोग गैस सिलेंडर से गीज़र तो चला लेते हैं, लेकिन आज आयरन चलते देख लगा कि काश बड़ी कंपनियां भी सामाजिक ज़रूरतों को बेहतर तरीके से सोचतीं...

इसी तरह चंडीगढ़ हाईवे पर पीले रंग की यह 'कार्टो' दिखी तो मुझसे रहा नहीं गया... चौंकिए मत, कार और ऑटो को मिलाकर मैंने 'कार्टो' शब्द बनाया है... किसी तरह इस ऑटो को रुकवाया तो कहानी का एक और ख़ज़ाना हाथ लग गया... हवलदार अत्तर सिंह ने बताया कि बजाज चेतक स्कूटर के इंजन से यह ऑटो जैसी सवारी बनाई गई है, और कुल पच्चीस हज़ार रुपये में बन गया है...

अत्तर सिंह के मुताबिक, इससे एक लिटर पेट्रोल में 35 किलोमीटर का माइलेज मिलता है... इस 'कार्टो' को आप स्कूटर की तरह बाहर लगी किक से स्टार्ट करते हैं... अत्तर सिंह के पांव नाकाम हो चुके हैं, इसलिए उन्होंने इसे अपनी ज़रूरत के हिसाब से बनवाया है... अत्तर सिंह के मुताबिक, इसे बनाने वाला कारीगर हनीफ भी शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है... उसके दोनों पैर नहीं हैं, मगर डेढ़ फुट के हनीफ ने कमाल की गाड़ी बना दी है...

अत्तर सिंह की 'कार्टो' टाटा की नैनो कार से भी छोटी है... बजाज को पता भी नहीं होगा कि उनके चेतक स्कूटर के इंजन से ऐसी कार बन सकती है... हनीफ की बनाई कार बैटरी से चलने वाली 'रेवा' कार से भी छोटी है...

अब सोचिए, पच्चीस हज़ार रुपये की कार के बारे में कोई ब्रांड वाली बड़ी कंपनी नहीं सोच सकी, तो क्या हुआ... किसी हनीफ ने सोचा भी और करके भी दिखा दिया... यही है असली स्किल इंडिया...

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