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This Article is From Jul 17, 2021

एक तरह से आईटी सेल ने दानिश के काम की तारीफ की...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 17, 2021 17:22 pm IST
    • Published On जुलाई 17, 2021 17:22 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 17, 2021 17:22 pm IST

तालिबान के हाथों दानिश सिद्दीक़ी की हत्या के बाद आईटी सेल भयंकर तरीक़े से सक्रिय है. उसे लगता है कि लोग मूर्ख हैं और जो भी वो फैलाएगा वही समझेंगे. इस तरह का भ्रम आईटी सेल पाल सकता है. कई मैसेज में देखा कि श्मशान से तस्वीरें लेकर दानिश ने दुनिया भर में भारत की छवि को नुक़सान पहुँचाया. श्मशान से पत्रकारिता नहीं करनी चाहिए.

पहली बात कि श्मशान से रिपोर्टिंग अकेले दानिश ने नहीं की. कई चैनलों के पत्रकारों ने की. अब ये अलग बात है कि तमाम तस्वीरों में दानिश की तस्वीर ने झूठ के पर्दे को उधेड़ दिया तो इसमें दानिश की ग़लती नहीं थी बल्कि उसकी योग्यता थी कि सारी तस्वीरों में आईटी सेल की सेना को दानिश की तस्वीर याद रही. तो एक तरह से आईटी सेल वाले दानिश के काम की तारीफ़ कर रहे हैं. लोहा मान रहे हैं.

श्मशान से शानदार रिपोर्टिंग गुजराती भाषा के अख़बारों ने की. सरकार अपनी ही जनता के मरने पर उसकी गिनती छिपा रही थी. आप भी मानेंगे कि यह सही काम नहीं था. गुजरात समाचार, संदेश, सौराष्ट्र समाचार और दिव्य भास्कर ने श्मशान से आँकड़ों निकाल कर सरकारी झूठ की धज्जियाँ उड़ा दी. दानिश ने दिल्ली से वही काम किया और दूसरे चैनलों के पत्रकारों ने भी रिपोर्टिंग की.

एक बात कही जा रही है कि बाहर के मुल्कों में श्मशान की रिपोर्टिंग नहीं हुई. यह ग़लत है. पहली लहर के दौर में ट्रंप के न्यूयार्क की हालत ख़राब थी. इतने लोग मरे कि क़ब्रिस्तान कम पड़ गए. क़ब्रिस्तान में जगह की कमी और अंतिम संस्कार के लिए इंतज़ार कर रहे परिजनों को लेकर खूब रिपोर्टिंग हुई है. न्यूयार्क में भी शवों की संख्या कम बताने को लेकर सवाल उठे. न्यूयार्क के प्रशासन ने इस गलती के लिए माफ़ी माँगी और संख्या में सुधार किया.

आप सभी सोशल मीडिया पर मदद माँग रहे थे. क्योंकि आपके अपने तड़प कर मर रहे थे. तो क्या आप भारत को बदनाम कर रहे थे? संघ और बीजेपी के नेता अपनों के तड़प कर मर जाने , बिना इलाज के मर जाने की बात लिख रहे थे क्या वो भारत को बदनाम कर रहे थे ? जो पत्रकार सरकार की झूठ और उसकी बदइंतज़ामी को रिपोर्ट कर रहा था क्या वो भारत को बदनाम कर रहा था ? इतनी चिन्ता थी तो सरकार ने लोगों की जान क्यों नहीं बचाई ?

आप व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के फार्वर्ड के चक्कर में ज़रूर रहें क्योंकि बौद्धिक और आर्थिक सत्यानाश क़रीब है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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