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This Article is From Jan 18, 2020

रवीश कुमार का ब्लॉग : CAA पर असम के मंत्री हिमंता बिश्व शर्मा का बयान पढ़ें और जोर से हंसे

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 18, 2020 12:01 pm IST
    • Published On जनवरी 18, 2020 11:50 am IST
    • Last Updated On जनवरी 18, 2020 12:01 pm IST

नागरिकता संशोधन क़ानून इसलिए लाया गया है ताकि इसके आधार पर जनता को उल्लू बनाया जा सके. अब देखिए. हिन्दी प्रदेशों में अख़बारों और व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी में जो ठेला गया है उसका आधार सिर्फ़ यह है कि किसी के कपड़े देखकर बहुसंख्यक सोचना बंद कर देंगे और बीजेपी की तरफ़ एकजुट हो जाएंगे. हंसी आती है. हर दूसरी चर्चा में सुनता रहता हू. क्या यह मान लिया गया है कि लोगों ने सोचना बंद कर दिया है?

असम की बात क्यों नहीं होती? असम के उप मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा अपनी तरफ़ से नागरिकता संशोधन क़ानून का मतलब बदलने लगे हैं. यानि उनका भी आधार इस थ्योरी पर है कि जनता उल्लू है.

हिमंता कहते हैं कि इस क़ानून में धार्मिक प्रताड़ना पर नागरिकता देने की कोई शर्त ही नहीं है.

यहां पर रूकें और ज़ोर से तीन बार हा हा हा कहें. फिर आगे पढ़ें. 

हिमंता ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा है कि कड़े नियम बनाए जा रहे हैं ताकि कोई फ्राड तरीक़े से धर्मांतरण का बहाना बना कर नागरिकता न ले ले. उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से छह मज़हबों के लोगों को नागरिकता देने के लिए धार्मिक प्रताड़ना कभी कोई शर्त ही नहीं थी.

फिर से हंसे.. हा हा हा... अब आगे पढ़ें.

संसद की बहस में सरकार के पक्ष हों या इंटरव्यू में अमित शाह की समझाई हुई क्रोनोलोजी..सबमें धार्मिक प्रताड़ना की बात है मगर असम के उप मुख्यमंत्री कहते हैं कि धार्मिक प्रताड़ना की बात ही नहीं?

मंत्री जी कहते हैं कि कैसे साबित करेंगे कि धार्मिक प्रताड़ना हुई है? इसके लिए बांग्लादेश जाना होगा... वहां से प्रमाण पत्र लाना होगा... बांग्लादेश क्यों ऐसा प्रमाण देगा?

सोचिए असम के उप मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा शर्मा भी क़ानून को नहीं समझ पाए या वो यह समझ रहे हैं कि जनता वाक़ई उल्लू है. उसे एक बार धार्मिक प्रताड़ना बोल कर उल्लू बनाया जा सकता है और फिर दोबारा धार्मिक प्रताड़ना है ही नहीं ये बोल कर भी उल्लू बनाया जा सकता है....

और रही बात हिन्दी प्रदेशों के नौजवानों की तो उनके बारे में सही यक़ीन काम कर रहा है कि वो सिर्फ़ कपड़े देखते हैं... उन्हें कपड़े दिखा दो.... दाढ़ी टोपी दिखा दो.... वो उल्लू बन जाएंगे... क्या पता नेता उनके बारे में सही भी हो!

असम में विरोध ने वहां की सरकार के सुर बदल दिए हैं.. अमित शाह को सबसे पहले इन मंत्रियों को समझाना चाहिए...

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