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This Article is From Feb 19, 2019

माँ-बहन की गालियों पर मां-बहन ही चुप हैं, क्यों चुप हैं?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 19, 2019 10:48 am IST
    • Published On फ़रवरी 19, 2019 10:40 am IST
    • Last Updated On फ़रवरी 19, 2019 10:48 am IST

देशभक्ति के नाम पर गालियों पर छूट मिल रही है. दो चार लोगों को ग़द्दार ठहरा कर हज़ारों फोन नंबरों से गालियां दी जा रही हैं. भारत में देशभक्त तो बहुत हुए मगर गाली देने वाले ख़ुद को देशभक्त कह सकेंगे यह तो किसी देशभक्त ने नहीं सोचा होगा.

इन गालियों से मुझे देने वाले की सोच की प्रक्रिया का पता चलता है. माताओं और बहनों के जननांगों के नाम दी जाने वाली गालियों से साफ़ पता चलता है कि उन्हें औरतों से कितनी नफ़रत है. इतनी नफ़रत है कि नाराज़ मुझसे हैं और ग़ुस्सा मां-बहनों के नाम पर निकलता है. कभी किसी महिला ने गाली नहीं दी. गाली देने वाले सभी मर्द होते हैं. ये और बात है कि गाली देने वाले ये मर्द जिस नेता और राजनीति का समर्थन करते हैं उसी नेता और दल को लाखों की संख्या में महिलाएँ भी सपोर्ट करती हैं. पता नहीं उस खेमे की महिला नेताओं और समर्थकों की इन गालियों पर क्या राय होती होगी.

मैंने देखा तो नहीं कि उस खेमे की महिला नेताओं और समर्थकों ने कभी इन गालियों का प्रतिकार किया हो. विरोध किया हो. यहाँ तक कि जब महिला पत्रकारों को गालियाँ दी जाती हैं उसका भी विरोध नहीं करती हैं. इस तरह माँ बहन की गालियाँ देने वालों को उस दल की माँ बहन का भी समर्थन प्राप्त हैं. पहली बार माँ और बहने माँ बहनों के नाम पर दी जाने वाली गालियों का समर्थन कर रही हैं. उस दल की सभी माँ बहनों को मैं अपनी माँ और बहन मानता हूँ. तमाम गालियाँ आप सभी के लिए पेश करता हूँ जो मुझे दी जा रही हैं.

मैं बिल्कुल परेशान नहीं हूँ. जब देश की माताएँ और बहनें परेशान नहीं हैं तो माँ बहन की गालियों को लेकर परेशान होने का कोई तुक नहीं बनता है. मेरी राय है कि हर किसी को चराक्षर गालियों का इस्तमाल आना चाहिए. साथ में गराक्षर गालियों का उपयोग हो तो देशभक्ति का A प्लस सर्टिफ़िकेट मिलना चाहिए. हर किसी के पास चराक्षर और गराक्षर गालियों की डिक्शनरी होनी चाहिए.

मुझे लगता है कि देशभक्ति की भावना पनपाने के लिए यूनिवर्सिटी में तोप के साथ-साथ गालियों का कोर्स भी होना चाहिए. यह बहुत ग़लत बात है कि सिर्फ मर्द ही देशभक्ति के लिए आवश्यक गालियों का प्रयोग कर रहे हैं. आधी आबादी को भी गालियाँ देने की ट्रेनिंग होनी चाहिए. आख़िर सबको देशभक्त होना है. सबको गालियाँ देनी हैं. आख़िर माँ बहनें माँ-बहन की गालियों पर चुप क्यों हैं? वे क्यों नहीं माँ-बहन की चराक्षर और गराक्षर वाली गालियाँ दे रही हैं?

इस प्रकार मैं अपनी माँ और बहन को दी गई ये गालियाँ भारत माता के राष्ट्र को समर्पित करता हूँ. भारत माता की जय. भारत माता की जय. भारत माता की जय.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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